Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 19 Year 19 ISSUE 06A, Jan. 31- Feb. 06, 2014. This issue is Muj14W06A Khatna Muj14W06A Khatnaबाइबल, उत्पत्ति १७:११ “और तुम अपने चमड़ी का मांस खतना करेगा, और यह वाचा मेरे और तुम्हारे betwixt की निशानी होगी.” किसान सांड़ को वीर्यहीन कर दास बना लेता है और (अ)ब्राह्मी संस्कृतियां खतना और इन्द्र की भांति मेनकाओं का प्रयोग कर दास बनाती हैं| मनुष्य को दास बनाने का सर्वोत्तम मार्ग है, उसको वीर्यहीन करना| खतने पर अपने शोध के पश्चात १८९१ में प्रकाशित अपने ऐतिहासिक पुस्तक में चिकित्सक पीटर चार्ल्स रेमोंदिनो ने लिखा है कि पराजित शत्रु को जीवन भर पुंसत्वहीन कर (वीर्यहीन कर) दास के रूप में उपयोग करने के लिए शिश्न के अन्गोच्छेदन या अंडकोष निकाल कर बधिया करने (जैसा कि किसान सांड़ के साथ करता है) से खतना करना कम घातक है| पीटर जी यह बताना भूल गए कि दास बनाने के लिए खतने से भी कम घातक वेश्यावृत्ति को संरक्षण देना है| अहम् ब्रह्मास्मि बनाम भेंड़ और मुजाहिद ब्रह्म यानी चेतन परमाणु सच्चिदानंद ईश्वर का सूक्षतम लेकिन सम्पूर्ण अंश है| यह व्याख्या के परिधि में आ ही नहीं सकता| इसकी मात्र अनुभूति हो सकती है| इसे समझने के लिए मैं एक लघु कथा का आश्रय लेता हूँ|
एक गांव में चार अंधे रहते थे| उस गांव में एक हाथी आया| गावं के लोग हाथी देखने के लिए उमड पड़े| अंधे भी गए| लेकिन वे देख तो सकते नहीं थे| अतएव, सभी अंधों ने हाथी को छुआ| जिसके हाथ में हाथी का कान लगा, उसने बताया कि हाथी सूप है| जिसके हाथ पैर लगा उसने बताया कि हाथी खम्भा है| जिसके हाथ शरीर लगा उसने बताया कि हाथी पहाड़ है और जिसके हाथ पूँछ लगी उसने बताया कि हाथी रस्सी है| 'अहम् ब्रह्म अस्मि' का तात्पर्य अहम् ब्रह्मास्मि का सरल हिन्दी अनुवाद है कि मैं ब्रह्म हूँ । साधारण व्यक्ति दिग्भ्रमित हैं। इसका कारण यह है लोग - जड़ बुद्धि व्याख्याकारों के कहे को अपनाते है। किसी भी अभिकथन के अभिप्राय को जानने के लिए आवश्यक है कि उसके पूर्वपक्ष को समझा जाय। हम वैदिक पंथी उपनिषदों के एक मात्र प्रमाणिक भाष्यकार आदिशंकराचार्य के कथन को प्रमाण मानते हैं, जो किसी व्यक्ति-मन में किसी भी तरह का अंध-विश्वास अथवा विभ्रम नहीं उत्पन्न करना चाहते थे। इस अभिकथन के दो स्पष्ट पूर्व-पक्ष हैं- १) वह धारणा जो व्यक्ति को अधीन करने के लिए धर्म का आश्रित बनाती है। जैसे, एक मनुष्य क्या कर सकता है, करने वाला तो कोई और ही है। मीमांसा दर्शन का कर्मकांड-वादी समझ , जिसके अनुसार फल देवता देते हैं, कर्मकांड की प्राविधि ही सब कुछ है । वह दर्शन व्यक्ति सत्ता को तुच्छ और गौण करता है- देवता, मन्त्र और धर्म को श्रेष्ठ बताता है। एक व्यक्ति के पास पराश्रित और हताश होने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचता। धर्म में पैगंबर/पौरोहित्य के वर्चस्व तथा कर्मकांड की 'अर्थ-हीन' दुरुहता को यह अभिकथन (अहम् ब्रह्मास्मि) चुनौती देता है। २) सांख्य-दर्शन की धारणा है कि व्यक्ति (जीव) स्वयं कुछ भी नहीं करता, जो कुछ भी करती है -प्रकृति करती है। बंधन में भी पुरूष को प्रकृति डालती है तो मुक्त भी पुरूष को प्रकृति करती है। यानि पुरूष सिर्फ़ प्रकृति के इशारे पर नाचता है। इस विचारधारा के अनुसार तो व्यक्ति में कोई व्यक्तित्व है ही नहीं। इन दो मानव-सत्ता विरोधी धारणाओं का खंडन और निषेध करते हुए शंकराचार्य मानव-व्यक्तित्व की गरिमा की स्थापना करते हैं। आइये, समझे कि अहम् ब्रह्मास्मि का वास्तविक तात्पर्य क्या है? अहम् यानी मैं स्वयं ‘ब्रह्म’ अस्मि यानी हूँ और यही सच है और यह उतना ही सच है जितना कि दो और दो का चार होना| ब्रह्म है मानव के रोम-रोम में उपलब्ध चेतन परमाणु| यह सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सर्व-व्याप्त, वह शक्ति है जिससे सब कुछ, यहाँ तक कि ईश्वर भी उत्पन्न होते हैं। अहम् ब्रह्मास्मि का तात्पर्य यह निर्देशित करता है कि मानव यानी प्रत्येक व्यक्ति स्वयं संप्रभु है। उसका व्यक्तित्व अत्यन्त महिमावान है - इसलिए हे मानवों! आप चाहे मुसलमान हो या ईसाई, अपने व्यक्तित्व को महत्त्व दो। आत्मनिर्भरता पर विश्वास करो। कोई ईश्वर, पंडित, मौलवी, पादरी और इस तरह के किसी व्यक्तियों को अनावश्यक महत्त्व न दो। तुम स्वयं शक्तिशाली हो - उठो, जागो और जो भी श्रेष्ठ प्रतीत हो रहा हो , उसे प्राप्त करने हेतु उद्यत हो जाओ। याद रखो, जो व्यक्ति अपने पर ही विश्वास नही करेगा - उससे दरिद्र और गरीब मनुष्य दूसरा कोई न होगा। यही है अहम् ब्रह्मास्मि का अन्यतम तात्पर्य। ठीक इसके विपरीत, यहूदीवाद, ईसाइयत और इस्लाम की मौलिक कमजोरी उनके चारित्रिक दोष में है| ईसाइयत और इस्लाम व्यक्ति के व्यक्तिगत विवेक का उन्मूलन कर उसे बिना सोचे समझे हठी मजहबी सिद्धांतों की अधीनता को स्वीकार करने के लिए विवश करते हैं| ईसा व मुहम्मद ने मानव की पीढ़ियों से संचित व हृदय से सेवित सच्चरित्रता, सम्पत्ति व उपासना की स्वतंत्रता और नारियों की गरिमा व कौमार्य को खतना कर व कामी बनाकर लूट व यौनाचार के लोभ में इनके अनुयायियों से छीन लिया है| कुरान व बाइबल हर विवेक, तर्क या प्राकृतिक सिद्धांतों के ऊपर हैं| वह बात भी और वह निंदनीय कार्य भी सही है, जिसे स्वाभाविक नैतिकता की कसौटी पर स्वयं इन पैगम्बरों के गढे ईश्वर भी सही नहीं मानते, क्यों कि पैगम्बरों ने ऐसा कहा व किया था| उदाहरण के लिए चोरी, लूट व नारी बलात्कार ईसाइयत और इस्लाम दोनों में निषिद्ध है| लेकिन इतर धर्मावलंबियों की लूट (कुरान ८:१, ४१ व ६९) व नारी बलात्कार स्वर्ग प्राप्ति का एकमात्र उपाय है| ईसाइयत और इस्लाम के ईश्वरों ने विवेक व सहज अंतरात्मा के उद्गार को निषिद्ध कर दिया है| (बाइबल, उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५). ईसाइयत और इस्लाम के अनुयायियों के बाइबल व कुरान के आज्ञाओं व मुहम्मद व ईसा के कार्यकलापों पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता| (कुरान ५:१०१ व १०२). (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). मानव अपनी तर्क-बुद्धि से कुछ भी कह या कर नहीं सकता| स्वाध्याय व आत्मचिंतन के लिए ईसाइयत और इस्लाम में कोई स्थान नहीं| अशांति, हत्या, लूट व बलात्कार के विरुद्ध भी, जिनका ईसाइयत और इस्लाम समर्थन करते हैं, अनंत काल से प्रतिपादित वेदों व स्मृतियों का प्रयोग सर्वथा वर्जित है|
विद्या मात्र ब्रह्मविद्या है और ज्ञान मात्र ब्रह्मज्ञान| वीर्यरक्षा के बिना ब्रह्मज्ञान सम्भव नहीं| जो कोई वीर्यक्षरण करता या कराता है, मानवजाति का भयानक शत्रु है| गुरुकुलों में वीर्यरक्षा की शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी, जिसे मानवमात्र को भेंड़ बनाने के लिए मैकाले ने मिटा दिया| यदि मानवजाति अपना अस्तित्व चाहे तो गुरुकुलों को पुनर्जीवित करने में हमें सहयोग दे| उपरोक्त लिंक के अध्ययन से आप को स्पष्ट हो जायेगा कि इमाम प्रतिदिन आप व विश्व के सर्वशक्तिमान ओबामा सहित सभी काफिरों के हत्या की, नारियों के बलात्कार की, लूट की और उपासना स्थलों के विध्वंस की निर्विरोध चेतावनी देते रहते हैं| राष्ट्रपति ओबामा सहित सभी लोगों ने भय वश नहीं, बल्कि मानवमात्र को दास बनाने के रणनीति के अंतर्गत, अपना जीवन, माल, नारियां और सम्मान इस्लाम के चरणों में डाल रखा है और दया की भीख मांगने को विवश हैं| ई०स० ६३२ से आज तक इस्लाम और मस्जिद का एक भी विरोधी सुरक्षित अथवा जीवित नहीं है| चाहे वह आसमा बिन्त मरवान हों, या अम्बेडकर या शल्मान रुश्दी हों, या तसलीमा नसरीन या जगतगुरु अमृतानंद देवतीर्थ या साध्वी प्रज्ञा हों अथवा मैं| विशेष विवरण के लिये नीचे की लिंक पर क्लिक करें:- http://www.aryavrt.com/asma-bint-marwan http://www.aryavrt.com/asama-binta-maravana जब तक अब्रह्मी संस्कृतियां हैं, मानवजाति का अस्तित्व खतरे में है| आइये इनको मिलकर मिटायें| अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी, फोन ९१५२५७९०४१ ०३ फरवरी. २०१४य Registration Number is : DARPG/E/2014/00731 http://pgportal.gov.in यह सार्वजनिक अभिलेख है| कोई भी व्यक्ति इस पर हुई कार्यवाही का उपरोक्त न० द्वारा ज्ञान प्राप्त कर सकता है|
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