Mujahana• Bilingual-Weekly• Volume 21 Year 21 ISSUE 30GNLY, Jul 22-28, Published every Thursday for Manav Raksha Sangh, Registered Trust No 35091 by Ayodhya Prasad Tripathi, at 77, Khera Khurd, Delhi – 110082. ``Phone +91-9868324025.; +(91) 9152579041 . Printed by Ayodhya Prasad Tripathi at 77 Khera Khurd, Delhi-110082. Editor: Ayodhya Prasad Tripathi. Processed on Desk Top Publishing & CYCLOSTYLED by Ayodhya Prasad Tripathi. Email: aryavrt39@gmail.com Web site: http://aaryavrt.blogspot.com andhttp://www.aryavrt.com remrnaaik16728y ||श्री गणेशायेनमः|| Reminder 3 Letter No. RemRNaaik16728y Dated; Thursday, July 28, 2016 सेवा में, महामहिम श्री नाइक जी! उप्र सरकार, राज भवन, लखनऊ– २२६००१. मेरा पिछला अनुस्मरण नीचे संलग्न है: आप ने मेरे अनुस्मरण का उत्तर नहीं दिया. दे भी नहीं सकते, क्योंकि एलिजाबेथ ने आप का मनोनयन वैदिक सनातन धर्म को समूल नष्ट करने के लिए किया है. आप अपनी ही रक्षा नहीं कर सकते, प्रदेश वासियों को क्या बचाएंगे? मेरी विवादित भूमि आप व जजों ने लूटी है. आप ने भारतीय संविधान में आस्था व निष्ठा की और परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण की शपथ ली है, आप को किसी शत्रु की आवश्यकता नहीं है और न ही किसी को श्राप देने की आवश्यकता है| भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) ने मानव जाति के शत्रुओं, अब्रह्मी संस्कृतियों के अनुयायी उन ईसाइयों और मुसलमानों, को वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश का, असीमित मौलिक मजहबी अधिकार दे दिया है, जिन्होंने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया| लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए| इंडिया गौ नर भक्षी एलिजाबेथ का उपनिवेश है. ईसाई व मुसलमान बपतिस्मा व अज़ान द्वारा आप के संरक्षण, पोषण व संवर्धन में आप के अपने ही ईष्ट्देवों की निंदा करते हैं, आप को कत्ल करने की स्पष्ट घोषणा करते हैं, ईसा को तो आप राजा मानते ही हैं, (बाइबल, लूका १९:२७), इस्लाम का भी संरक्षण, पोषण व संवर्धन के लिया विवश हैं, जबकि कुरान के अनुसार अल्लाह व उसके इस्लाम ने मानव जाति को दो हिस्सों मोमिन और काफ़िर में बाँट रखा है| धरती को भी दो हिस्सों दार उल हर्ब और दार उल इस्लाम में बाँट रखा है| (कुरान ८:३९). काफ़िर को कत्ल करना (कुरआन ८:१७) व दार उल हर्ब धरती इंडिया को दार उल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का जिहाद यानी काफिरों की हत्या करने का, असीमित संवैधानिक मौलिक मजहबी अधिकार है| (भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१)) ईसाइयत और इस्लाम किसी को उपासना स्थल रखने का अधिकार नहीं देते. [(बाइबल, व्यवस्था विवरण १२:१-३) व (कुरान, बनी इस्राएल १७:८१ व कुरान, सूरह अल-अम्बिया २१:५८)] अब्रह्मी संस्कृतियाँ रहेंगी तो मानवजाति बचेगी नहीं| ईसाई मुसलमान को कत्ल करेगा व मुसलमान ईसाई को| अंततः एलिजाबेथ अपने ही प्रोटेस्टेंट व अन्य समुदाय को कत्ल करेगी| भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) अब्रह्मी संस्कृति के अनुयायियों को जजों सहित जनसेवकों व मानव मात्र के नारियों के बलात्कार, लूट, हत्या और वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश का असीमित मौलिक मजहबी अधिकार देता है| दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ व १९७ के अधीन जज, जनसेवक और उपनिवेशवासी राष्ट्रपति और राज्यपालों के आज्ञाकारी नौकर हैं| आप उपनिवेश का विरोध नहीं कर सकते. लेकिन जो विरोध करे, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा १२१ के अधीन, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ द्वारा संस्तुति देकर, फांसी दिलाने के लिए विवश हैं. कमलेश तिवारी पर आप ने रासुका लगाया है, लेकिन स्वयं पुलिस संरक्षण देकर मस्जिदों से प्रातः से देर रात तक ईशनिंदा और कत्ल होने की धमकी सुनते रहने के लिए विवश हैं. गौ हत्यारे अख़लाक़ को आप ने २.५ करोड़ इनाम दिया और दिलाया और १८ हिंदुओं पर रासुका लगा रखा है. आप ने काठ के मंदिर का लाउडस्पीकर उतरवा दिया और अब कांवरियों का डी जे उतरवा दिया, लेकिन न मस्जिदों के लाउडस्पीकर उतरवा सकते हैं और न ताजिया बंद करा सकते हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) के अधीन, आप और आप के जजों ने, मिलकर मेरी सारी सम्पत्ति लूट ली है. दया के पात्र मीडिया कर्मियों, विधायकों, सांसदों, जजों, राज्यपालों और लोक सेवकों के पास भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) ने कोई विकल्प नहीं छोड़ा है| वर्तमान परिस्थितियों में एलिजाबेथ द्वारा सबका भयादोहन हो रहा है| लोकसेवक लूटें तो जेल जाएँ और न लूटें तो जेल जाएँ| या तो वे स्वयं अपनी मौत स्वीकार करें, अपनी नारियों का अपनी आखों के सामने बलात्कार कराएँ, शासकों (एलिजाबेथ के दासों) की दासता स्वीकार करें व अपनी संस्कृति मिटायें अथवा नौकरी न करें| इनके अपराध परिस्थितिजन्य हैं, जिनके लिए अब्रह्मी संस्कृतियाँ. उपनिवेश व भारतीय संविधान उत्तरदायी है| भारतीय संविधान ने प्रजातंत्र के चारो स्तंभ के लोगों के पद, प्रभुता और पेट को आत्मघात व वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश से जोड़ दिया है| आप अपनी ही रक्षा नहीं कर सकते. चारों ओर से एलिजाबेथ के गुप्तचरों से घिरे हैं. आप चाहें तो मेरी गुप्त सहायता कर सकते हैं. अन्यथा आप बचेंगे नहीं. अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सू० स०) फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१ Your Registration Number is : DARPG/E/2016/13261 http://www.aryavrt.com/remrnaaik16728y +++ Reminder 2
Disposed on 17/01/2012 Application U/s 482 / 1973 / 2012 [Gorakhpur] Petitioner: VEER BAHADUR TIWARI Respondent: STATE OF U.P. AND ANOTHER Counsel (Pet.): B.K. TRIPATHI Counsel (Res.): GOVT. ADVOCATE
कृपया मेरे पत्र का उत्तर दें. पत्रांक RemRNaaik 16509 ०९ मई २०१६
प्रेषक: अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१ मंगल आश्रम, मुनि की रेती, टिहरी गढ़वाल, २४९१३७ उत्तराखंड| सेवा में, महामहिम श्री नाइक जी! उप्र सरकार, राज भवन, लखनऊ– २२६००१. मेरी भूमि, जिसका फरवरी १९९९ में दुबारा बैनामा हो गया, का ४ न्यायालयों में विवाद चल रहा है, जिसमे से दो में स्वयं आप ही वादी/प्रतिवादी हैं. विवरण नीचे है. IN THE HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD CRIMINAL REVISIONAL JURISDICTION –APPELLATE Application in CRIMINAL MISC. APPLICATION NO. 1973 OF 2012 U/S 482 CrPC. IN THE MATTER OF; VEER BAHADUR TIWARI …... APPLICANT VERSUS STATE OF U.P. AND ANOTHER …………… OPPOSITE PARTIES. फिर भी अभियुक्त को आज तक न्यायालय अभियोग पत्र नहीं दे सकी है. १६ वर्षों में आप ही न्याय नहीं पा सके. विवरण के लिए नीचे की लिंक क्लिक करें:- http://www.aryavrt.com/corruption-gnl ५३ अन्य उपनिवेशों सहित इंडिया आज भी एलिजाबेथ का उपनिवेश है. आज तक आप ने भारतीय स्वतंत्रता (उपनिवेश) अधिनियम, १९४७, का विरोध नहीं किया| डायन एलिजाबेथ की दासता करने में आप को लज्जा नहीं आती. विवरण के लिए नीचे की लिंक क्लिक करें:- http://www.legislation.gov.uk/ukpga/Geo6/10-11/30 मैंने आर्यावर्त सरकार की स्थापना की है. उपनिवेश से मुक्ति के लिए युद्धरत हूँ. इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा १२१ का अपराधी हूँ. आप ने भारतीय संविधान और कानूनों के संरक्षण, पोषण व संवर्धन की शपथ ली है. क्या मुझे फांसी दिलवा सकते हैं? ईस्ट इंडिया कम्पनी के जमाने में केवल संतानहीनों की सम्पत्ति राजवाह (escheat} होती थी| एलिजाबेथ के उपनिवेश में किसी के पास सम्पत्ति और उत्पादन के साधन रखने का अधिकार ही नहीं| [भारतीय संविधान का अनुच्छेद ३९(ग)]. अनुच्छेद ३१ से प्राप्त सम्पत्ति के जिस मौलिक अधिकार को अँगरेज़ और संविधान सभा के लोग न छीन पाए, उसे भ्रष्ट सांसदों और जजों ने मिल कर ईसाई व मुसलमान सहित सभी उपनिवेशवासियों से प्रथम संविधान संशोधन द्वारा लूट लिया और अब तो इस अनुच्छेद को भारतीय संविधान से ही २०-६-१९७९ से मिटा दिया गया है| (ए आई आर १९५१ एस सी ४५८). इस प्रकार दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९७ और भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) के बल पर नमो के नेतृत्व में एलिजाबेथ ने राज्यपालों व जजों सहित आत्मघाती लुटेरे लोकसेवकों की एक सेना बना रखी है, जो दिए की लौ पर मरने वाले पतिंगों की भांति पद, प्रभुता और पेट के लोभ में अपना जीवन, सम्पत्ति, नारियां, वैदिक सनातन संस्कृति और धरती गवाने में लिप्त हैं. इनको किसी शत्रु की आवश्यकता नहीं है. सन १८३५ तक इंडिया सोने की चिड़िया था. सत्ता के हस्तांतरण के दिन यानी १५ अगस्त, १९४७ को इंडिया पर एक पैसा विदेशी कर्ज नहीं था और खजाने में १५५ करोड़ रूपये थे. आज गरीब सहित प्रति व्यक्ति ८६००० रूपये से अधिक का कर्जदार है. यह स्थिति तब है जब भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) के अधिकार से एलिजाबेथ ने जमीनें और जमींदारी लूटी. सोना लूटा. बैंक लूटे. पूँजी और उत्पादन के साधन लूटे. राजा अपने राज्य और प्रिवीपर्स नहीं बचा सके. मेरे पितामह अपनी जमींदारी नहीं बचा सके. बैंकर अपने बैंक नहीं बचा सके. खानों के मालिक अपनी खानें नहीं बचा सके. मैं अपनी २ अरब की सम्पत्ति व हुतात्मा रामप्रसाद बिस्मिल का ४ अरब का स्मारक न बचा सका और न लोकसेवक होते हुए पेंशन ही प्राप्त कर सका. और तो और सहारा श्री सुब्रत राय लम्बे अरसे से जेल में हैं. वह भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) से प्राप्त संरक्षण, पोषण व संवर्धन में! आप अपना धर्म, नारियाँ, जीवन, सम्पत्ति और पूँजी कैसे बचायेंगे? क्या आप को लज्जा नहीं आती? क्या विरोध कर सकते हैं? वह राज्यपाल मूर्ख ही होगा, जो बपतिस्मा, अज़ान के विरुद्ध कार्यवाही कर नौकरी गवांना चाहेगा... राज्यपाल सहित लोकसेवक का पेशा सत्य को नष्ट करना है. बिल्कुल झूठ कहना; समाज को दूषित करना और गालियां देना राज्यपाल व लोकसेवकों की विवशता है. राज्यपाल पर्दे के पीछे शासकों (एलिजाबेथ) के लिए कार्य करने वाले मातहत और उपकरण हैं. ... बौद्धिक वेश्याएं हैं.” आप के पास एक विकल्प है. आर्यावर्त सरकार की गुप्त सहायता करें. निर्णय आप के हाथ में है. आर्यावर्त सरकार की गुप्त सहायता करेंगे, अथवा एलिजाबेथ के उपनिवेश में रह कर अपनी धन, धरती, नारियां और धर्म गवाएंगे. अभियोग ७०२४/२००० उ०प्र० सरकार बनाम शिवमंगल व अन्य के मामले की प्रगति में इलाहबाद उच्च न्यायालय ने १७-०१-२०१२ से रोक लगा दिया है| साहस हो तो कृपया मामले को, राहुल गांधी के सुकन्या बलात्कार की भांति, एक सप्ताह में निपटाने की कृपा करें| अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सू० स०) फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१Registration Number is : DARPG/E/2015/13102
संलग्नक १.खाता विवरण ग्राम का नाम :लच्छीपुर परगना : हवेली तहसील : सदर खाता संख्या : 00074 जनपद : गोरखपुर: फसली वर्ष : 1417-1422 भाग : 1
अयोध्या प्रसाद वेनीमाधव नि.ग्राम भुजहली तह.हाटा 467मि. 0.021 +++ ग्राम का नाम : लच्छीपुर परगना : हवेली तहसील : सदर खाता संख्या : 02503 श्रीमती फुलवा देवी पत्नी शिवमंगल रामकिशुन,सदानन्द पुत्रगण शिवमंगल 467मि. 0.047 मूल पत्रावली से ना.तह.जंगल कौडॢया वाद जनपद : गोरखपुर फसली वर्ष : 1417-1422 भाग : 1 483मि. 0.032 मूल पत्रावली से ना.तह.जंगल कौडॢया वाद सं.346/30.3.99आदेश दिया जाता है कि ग्राम लच्छीपुर 484मि. 0.032 तप्पा कस्वा परगना हवेली तह.सदर गोरखपुर के गाटा सं.467मि./2412वर्गफीट मा.गु.60ख से हक व से विक्रेता शिव मंगल पुत्र हेमराज नि.मु.लच्छीपुर शहर गोरखपुर का नाम निरस्त होकर क्रेता वीरबहादुर तिवारी पुत्र केदारनाथ तिवारी नि. मुक्तिपुर पोस्ट सीतापुरीकुन्ड तह.सदर जिला बलिया का नाम संक्रमणीय भूमिधर दर्ज होवे। मूल प्रत्रावली से ना.तह.जं. कौडॢया वाद सं.346 17. 11. 99 वीरवहादुर बनाम शिवमंगल आदेश श्रीमान् ना.तह.महोदय आदेश दिनाँक 17. 11. 99 आदेश हुआ आदेश दिनाँक 30. 03. 99 निरस्त किया जाता है। संलग्नक २.
Disposed on 17/01/2012 Application U/s 482 / 1973 / 2012 [Gorakhpur]
Petitioner: VEER BAHADUR TIWARI Respondent: STATE OF U.P. AND ANOTHER Counsel (Pet.): B.K. TRIPATHI Counsel (Res.): GOVT. ADVOCATE
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