Mujahana• Bilingual-Weekly• Volume 21 Year 21 ISSUE 43Y, Oct 21-27, 2016. Published every Thursday for Manav Raksha Sangh, Registered Trust No 35091 by Ayodhya Prasad Tripathi, at 77, Khera Khurd, Delhi – 110082. ``Phone +91-9868324025.; +(91) 9152579041 . Printed by Ayodhya Prasad Tripathi at 77 Khera Khurd, Delhi-110082. Editor: Ayodhya Prasad Tripathi. Processed on Desk Top Publishing & CYCLOSTYLED by Ayodhya Prasad Tripathi. Email: aryavrt39@gmail.com; Web site: http://aaryavrt.blogspot.com and http://www.aryavrt.com Muj16W43Y MANYTA Dated:10/22/2016
||श्री गणेशायेनमः|| प्रेसनोट महामहिम बान की मून जी! मैंने आर्यावर्त सरकार का गठन किया, बाबरी ढांचा गिरवाया, चर्च/मस्जिद, बाइबल/कुरान, बपतिस्मा/अज़ान, धर्मान्तरण का विरोध करता हूँ, और साध्वी प्रज्ञा का सह अभियुक्त हूँ. http://www.aryavrt.com/Home/aryavrt-in-news http://www.aryavrt.com/babri-affidavits http://www.aryavrt.com/judgment-on-azaan-eng http://www.aryavrt.com/malegaon-notice-crpc160 ”साध्वी (प्रज्ञा) की ज़मानत ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने ... कहा कि साध्वी प्रज्ञा सिंह इस बात से इनकार नहीं कर सकती कि धमाकों के लिए इस्तेमाल बाइक से उनका संबन्ध है। कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान के मुताबिक भोपाल में हुई मीटिंग में साध्वी मौजूद थीं। उस मीटिंग में औरंगाबाद और मालेगांव में बढ़ रही जिहादी गतिविधियों और उन्हें रोकने पर चर्चा हुई। यंहाँ तक कि मीटिंग में मौजूद सभी लोगों ने देश में तत्कालीन सरकार को गिराकर अपनी स्वतन्त्र सरकार बनाने की बात भी की थी।” जज के उपरोक्त निर्णय से स्पष्ट है कि एलिजाबेथ के इंडियन उपनिवेश सरकार के राष्ट्रपति, राज्यपाल, जज, पुलिस सहित प्रत्येक उपनिवेशवासी को उपनिवेश की चाकरी करने में लज्जा नहीं आती और न ही वे बाइबल, कुरान, चर्च, मस्जिद आदि के हठधर्म न्यायिक जांच (Inquisition), जिहाद, बपतिस्मा, अज़ान, खुत्बे, लूट, हत्या और नारी बलात्कार आदि को अपराध मानते हैं! इन्हीं हठधर्मिताओं के विरोध के कारण आर्यावर्त सरकार के दारा सिंह १९९९ से जेल में हैं. मेरे विरुद्ध ५० अभियोग चले, ३ आज भी लम्बित हैं. मुझे जेल में जहर दिया गया. मेरी पुलिस द्वारा पिटाई हुई. मेरी २ अरब रु० की सारी सम्पत्ति राज्यपाल और जजों ने मिल कर लूट ली. मुझे पेंशन नहीं दी जा रही है. जजों ने अपने अभिरक्षा में साध्वी प्रज्ञा की रीढ़ की हड्डी तोड़वा दी. साध्वी प्रज्ञा को भी जहर दिया गया, जिसके कारण वे कैंसर से पीड़ित हैं. हमारे धनंजय देसाई बंद हैं. अब कमलेश तिवारी पर रासुका लगी है. अब्रह्मी संस्कृतियों ने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति और निवासियों को नष्ट कर दिया| लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए| एलिजाबेथ मानवजाति को मिटाने में लिप्त है| अमेरिकी, भारतीय और संयुक्त राष्ट्र संघ का सार्वभौमिक मानवाधिकार का घोषणापत्र उपनिवेशवासियों को ‘स्वतंत्रता’ का वचन देता है| पाक पिता गाँधी ने भी हमसे राम राज्य का वादा किया था. एलिजाबेथ के राज्यपाल, जज और राज्यपाल के अधीनस्थ लोकसेवक उपनिवेशवासियों को एलिजाबेथ के उपनिवेश में रहने के लिए और चर्च/मस्जिद से बपतिस्मा/अज़ान (ईशनिंदा) और खुत्बे का प्रसारण सहन करने के लिए उत्पीड़ित कैसे कर सकते हैं? तथाकथित महामहिम राज्यपाल और उसके अधीनस्थ तथाकथित विद्वान जज को इस बात के लिए लज्जा नहीं है कि वह डायन एलिजाबेथ के उपनिवेश का बलिपशु है. न इस बात के लिए लज्जित है कि उपरोक्त के आँखों के सामने एलिजाबेथ उनकी नारियों का बलात्कार कराएगी. उनका मांस खायेगी और लहू पिएगी. विवरण के लिए नीचे की लिंक क्लिक करें:- http://www.aryavrt.com/astitv-ka-snkt आप सहित, जज, राष्ट्रपति और राज्यपाल इस बात के लिए भी लज्जित नहीं होते कि चर्चों/मस्जिदों से उनकी आस्था का अपमान और उनके इष्टदेवों की निंदा की जाती है. इंडियन/काफ़िर को कत्ल करने के खुत्बे दिए जाते हैं. उल्टे जज इस बात से अत्यधिक पीड़ित है कि मैंने बाबरी ढांचा गिरवा दिया. हम मस्जिद, अज़ान और खुत्बे का विरोध कर रहे हैं. हम इस्लाम ब्रांड साम्प्रदायिक सद्भाव, “मात्र अल्लाह पूज्य है!” को बिगाड़ रहे हैं. हम एलिजाबेथ के उपनिवेश में रहने के लिए तैयार नहीं हैं. अंग्रेजों की कांग्रेस ने भारतीय संविधान, जिसने राज्यपालों, जजों व लोकसेवकों की पद, प्रभुता और पेट को वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश से जोड़ दिया है, का संकलन कर जिन अनुच्छेदों २९(१), ६० व १५९ और भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ व दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं १९६ व १९७ द्वारा अब्रह्मी संस्कृतियों को उनकी हत्या, लूट और बलात्कार की संस्कृतियों को बनाये रखने का मौलिक अधिकार दे कर इंडिया में रोका है और विकल्पहीन व दया के पात्र जजों, सांसदों, विधायकों और लोक सेवकों ने जिस भारतीय संविधान में आस्था व निष्ठा की शपथ ली है, उसके अनुच्छेद २९(१) ने अब्रह्मी संस्कृतियों को वैदिक सनातन संस्कृति को मिटाने का असीमित मौलिक मजहबी अधिकार दे रखा है. उपनिवेशवासी जानना चाहते हैं कि उपनिवेश स्वतंत्रता कैसे है और मस्जिद, जहां से काफिरों के आराध्य देवों की ईशनिंदा की जाती है और जहां से काफिरों को कत्ल करने की शिक्षा दी जाती है, को नष्ट करना अपराध कैसे है? उपनिवेशवासियों को कत्ल करने से जिनको जन्नत मिलेगी और नारियों का बलात्कार करने से हूरें. उनको उपनिवेशवासी क्यों रहने दें? महामहिम जी! हमें भूल जाइये. यदि अपना अस्तित्व चाहें तो उपनिवेशवाद का अंत करने के लिए आर्यावर्त सरकार को मान्यता दीजिए. अप्रति. http://www.aryavrt.com/muj16w43y-manyta Registration Number is : PMOPG/E/2016/0397459 10/22/2016
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