Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 19 Year 19 ISSUE 48, Nov 28-Dec 04, 2014. This issue is Muj14W48y Vivash jj Muj14W48y Vivash jjविवश जज IN THE COURT OF SH. SANDEEP GUPTA MM ROHINI DISTT. COURTS, DELHI FIR No. 406/2003 u/s 153A PS NARELA DELHI. FIR No. 166/2006 u/s 153A and 295A PS NARELA State Vs Ayodhya Prasad Tripathi and another मुख्य न्यायमूर्ति श्री दत्तू महोदय, स०न्यायालय,दिल्ली. अब्रह्मी संस्कृतियों का एक भी आलोचक जीवित नहीं छोड़ा जाता| गैलेलियो हों या आस्मा बिन्त मरवान या संविधान के संकलनकर्ता अम्बेडकर अथवा साध्वी प्रज्ञा - सबके विरोध को दबा दिया गया| अब हमारी बारी है. http://society-politics.blurtit.com/23976/how-did-galileo-die- http://www.aryavrt.com/asma-bint-marwan http://www.aryavrt.com/asama-binta-maravana मिथक – न्यायपालिका के स्वतंत्र होने का| दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ आप एलिजाबेथ के उपनिवेश के दास हैं. छोटे जजों की नियुक्ति तो आयोग करता है, लेकिन उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के जज का मनोनयन एलिजाबेथ के दास करते हैं. बाकी विवरण के लिए नीचे की लिंक क्लिक करें:- http://www.aryavrt.com/Home/aatankvadi-bhrasta-judge आप का मनोनयन भी एलिजाबेथ ने इसलिए कराया है कि आप ने एलिजाबेथ के उपनिवेश और मौत के फंदे भारतीय संविधान का विरोध कभी नहीं किया. अज़ान व मस्जिद का विरोध नहीं किया. अपने इष्टदेव की ईशनिंदा सुनकर आप लज्जित नहीं होते. पद, प्रभुता और पेट के लोभ में आप ने अपनी धरती, नारियां और जीवन अब्रह्मी संस्कृतियों को सौंप दिया है. हम आप के नारियों और सम्मान को बचाना चाहते हैं. आप यह युद्ध नहीं लड़ सकते! मात्र गुप्त रूप से हमारी सहायता कर सकते हैं. किसी का जीवन सुरक्षित नहीं है। (बाइबल, लूका १९:२७) व (कुरआन ८:१७) – जिनके विरुद्ध कोई जज सुनवाई ही नहीं कर सकता| (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). मस्जिद, अज़ान और खुत्बे भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अपराध से मुक्त हैं| अपमान और ईशनिंदा सहन करना काफिरों की विवशता है. भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ का नियंत्रण दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अंतर्गत एलिजाबेथ के दासों राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास है| – लेकिन मस्जिद, अज़ान और खुत्बों का विरोध भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन संज्ञेय गैर जमानती अपराध है यानी मानवता को मिटाने के लिए अज़ान, धर्मान्तरण, मस्जिद और चर्च लोक लूट तंत्र के चारो स्तम्भों द्वारा प्रायोजित व संरक्षित है| कुरान के अनुसार अल्लाह व उसके इस्लाम ने मानव जाति को दो हिस्सों मोमिन और काफ़िर में बाँट रखा है| धरती को भी दो हिस्सों दार उल हर्ब और दार उल इस्लाम में बाँट रखा है| (कुरान ८:३९). काफ़िर को कत्ल करना व दार उल हर्ब धरती को दार उल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का जिहाद और असीमित संवैधानिक मौलिक मजहबी अधिकार है| भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१). जब तक धरती पर बाइबल, कुरान और भारतीय संविधान सम्मान पायेगा, वैदिक सनातन धर्म मिटाया जायेगा. एलिजाबेथ को मनुष्य के पुत्र का मांस खाना और लहू पीना है. २०वीं सदी के मीरजाफर पाकपिता - राष्ट्रहंता बैरिस्टर मोहनदास करमचन्द गांधी तो हमें छठे जार्ज के जबड़े में १५ अगस्त, १९४७ को ही डाल गया. मुसलमान मस्जिद से आप सहित हर काफ़िर के आराध्यदेवों की अज़ान द्वारा प्रतिदिन ५ समय ईशनिंदा करते हैं. इस्लाम में ईशनिंदा करने वाले को मृत्युदंड दिया जाता है और इंडिया में भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन अपराध है. लेकिन आप किसी मुसलमान के विरुद्ध अभियोग नहीं चला सकते हैं. इंडिया आतताई और गो-नरभक्षी (बाइबल, यूहन्ना ६:५३) एलिजाबेथ का उपनिवेश है. जब तक इंडिया उपनिवेश रहेगा, आप व आप की संतति का संहार होगा. न्यायमूर्ति जी! अब्रह्मी संस्कृतियों का विरोध करने के कारण दिल्ली सरकार ने मुझ पर अब तक, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन संस्तुति के बाद, भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन ४९ अभियोग चलाए| अन्य तो निपट गए, लेकिन ४ आज भी लम्बित हैं| यह संस्कृतियों का युद्ध है, जिसे हम १९९१ से लड़ रहे हैं| एक बार अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा, “भारत एक भी सैनिक बाहर भेजे बिना तमाम देशों पर विजय प्राप्त करने वाला दुनिया में एकमात्र देश है." एलिजाबेथ आप को मिटाने के लिए आप का ही आज भी उपयोग कर रही है| मुझे कत्ल करवा कर या जेल भेज कर आप अपना व अपनी जाति का ही अहित करेंगे| माउन्टबेटन ने, इंद्र के मेनका की भांति, अपनी पत्नी एडविना को नेहरू व जिन्ना को सौंप दिया| क्या आप उपनिवेश और भारतीय संविधान से मुक्ति लेने में और वैदिक सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए, गुप्त रूप से हमारी सहायता कर सकते हैं? लेकिन सावधानी पूर्वक, अन्यथा संकट में पड़ जायेंगे. अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सू० स०) फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१ Registration Number is : DARPG/E/2014/08936
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