Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 19 Year 19 ISSUE 37, Sep 12-18, 2014. This issue is Muj14W37 CrPC 196LG Muj14W37 CrPC 196LGविषय; प्राथमिकी ४०६/२००३ व १६६/२००६ थाना नरेला दिल्ली, रोहिणी के MM वि० श्री संदीप गुप्ता के न्यायालय में लम्बित. संदर्भ: मौत का फंदा धारा १९६ महामहिम श्री नजीब जंग महोदय, मैं इस्लाम व ईसाइयत का विरोधी हूँ. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन, आप की संस्तुति पर, भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन हमारे विरुद्ध दो अभियोग प्राथमिकी ४०६/२००३ व १६६/२००६ थाना नरेला दिल्ली, रोहिणी के MM वि० श्री संदीप गुप्ता के न्यायालय में लम्बित हैं| हमारे पूर्वजों के साथ छल किया गया है. इंडियन उपनिवेश को समझौते में २०वीं सदी का मीरजाफर (गांधी) माउंटबेटन को सौंप गया है. ईसाई व मुसलमान सहित हम सभी आज भी एलिजाबेथ के दास हैं. हम मानवमात्र को स्वतंत्र करने में आप का सहयोग चाहते हैं. http://www.aryavrt.com/muj14w36a-isis-jihad-1 हमने बाबरी ढांचा गिराया है| हमारे ९ अधिकारी मक्का, मालेगांव आदि के विष्फोट के अभियुक्त हैं और २००८ से जेलों में बंद हैं| हमने आर्यावर्त सरकार का गठन किया है| टाइम्स आफ इंडिया के अनुसार स्वराज्य का गठन उपनिवेश की, मनुष्य के पुत्र का मांस खाने वाली और लहू पीने वाली, मल्लिका एलिजाबेथ (बाइबल, यूहन्ना ६:५३), के विरुद्ध राजद्रोह है. पढ़िये नीचे की लिंक, http://www.aryavrt.com/Home/aryavrt-in-news http://www.aryavrt.com/malegaon-notice-crpc160 आर्यावर्त सरकार जानना चाहती है कि जिस भवन से अज़ान (ईशनिंदा) का प्रसारण होता हो और काफिरों को कत्ल करने की शिक्षा दी जाती हो, उसे नष्ट करना अपराध कैसे है? भारतीय दंड संहिता की धारा १०२ देखें. http://www.aryavrt.com/dharmantarana-dhokha-hai निम्नलिखित लिंकों के अनुसार हमने जजों, संघ व राज्य सरकार को अनगिनत पत्र लिखे हैं, लेकिन न तो हमारे ९+१ अधिकारियों को छोड़ा जा रहा है व न ही हमारे विरुद्ध झूठे अभियोग वापस लिए जा रहे हैं. http://www.aryavrt.com/muj14w29-dpskdhara-196 http://www.aryavrt.com/crpc196-recall-14801 http://www.aryavrt.com/crpc196kii-vivashta-13o15 http://www.aryavrt.com/dhara-196-crpc http://www.aryavrt.com/dhara-196-muj14w27a http://www.aryavrt.com/dhara-196-muj14w28 http://www.aryavrt.com/muj13w02-enbw http://www.aryavrt.com/muj13w08-enbwy http://www.aryavrt.com/muj13w15-dhara-196 http://www.aryavrt.com/muj13w16-dhara-153_196 http://www.aryavrt.com/muj13w24-dhara196 http://www.aryavrt.com/muj13w45-dhara196-crpc http://www.aryavrt.com/muj14w29c-dhara-196crpc http://www.aryavrt.com/muj14w33ay-dhara-196crpc NBW के बाद अब ३०-१-१४ को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ८२ के अधीन कार्यवाही भी हो गई| बाइबल, लूका १९:२७ का आदेश है, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो|". उपनिवेश का प्रत्येक शासक एलिजाबेथ का दास है. एलिजाबेथ ने शासकों का मनोनयन जातिसंहार के लिए किया है| सनातनियों के संहार के बाद एलिजाबेथ मुसलमानों और गैर कैथोलिक ईसाइयों का जातिसंहार कराएगी| ईसाई व मुसलमान को आतताई अब्रह्मी संस्कृतियों को बनाये रखने का असीमित मौलिक मजहबी अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) से प्राप्त है| सरकार के पुलिस के संरक्षण में मस्जिदों से ईमाम दिन में पांच समय अज़ान द्वारा स्पष्ट चेतावनी देते हैं कि मात्र अल्लाह पूज्य है (यह ईशनिंदा है और इसके लिए इस्लाम में मृत्युदंड निर्धारित है) और मस्जिदों से ईमाम शुक्रवार को मुसलमानों को शिक्षा/खुतबे देते हैं कि काफ़िर मुसलमानों के खुले दुष्मन हैं| (कुरान ४:१०१). काफिरों को कत्ल कर दो| अज़ान और मस्जिद से दिए जाने वाले खुतबों के विरुद्ध काफ़िर शिकायत नहीं कर सकते और न जज सुनवाई कर सकता है| (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के सन १८६० से संकलन के बाद से आज तक पुलिस किसी ईमाम के विरुद्ध अभियोग न चला सकी| अब्रह्मी संस्कृति के अनुयायियों को नारियों का बलात्कार करने का अधिकार ईसाइयत (बाइबल, यश्याह १३:१५), इस्लाम (कुरान २३:६) और लोकतन्त्रीय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) से प्राप्त है| इस असीमित मौलिक मजहबी अधिकार को संरक्षण, पोषण व संवर्धन देने के लिए आप विवश हो कर, शपथ ले चुके हैं| (भारतीय संविधान के अनुच्छेद १५९). इस्लाम और ईसाइयत का संरक्षण, पोषण व संवर्धन करने का, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अंतर्गत, आप पर दायित्व है| लोकसेवक या जज भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१), दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ और कुरान के आगे विवश हैं! यह लोग तभी तक नौकरी या शासन करेंगे, जब तक एलिजाबेथ का हित साधेंगे - यानी ईसा के राज्य का संरक्षण, पोषण व संवर्धन करते रहेंगे| मानवजाति को बचाने का उपाय मात्र इस्लाम और ईसाइयत का समूल नाश है. स्वतंत्रता की यह लड़ाई हमसे अधिक अब्रह्मी संस्कृति के अनुयायियों की है. आप स्वयं संज्ञान लें क्यों कि आप एलिजाबेथ के मातहत और उपकरण बन कर रह गए हैं. हम अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार के बागी हैं| हमारा कथन है कि भारतीय संविधान मानव जाति को मिटाने के लिए संकलित किया गया है| यदि आप अपनी रक्षा करना चाहते हैं तो समस्या की जड़ अब्रह्मी संस्कृतियों को, निजहित में, मिटाने में हमारा सहयोग कीजिए| आप दया के पात्र हैं. भारतीय संविधान ने आप के पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा है| वर्तमान परिस्थितियों में एलिजाबेथ द्वारा सबका भयादोहन हो रहा है| आप या आप के लोक सेवक लूटें तो जेल जाएँ और न लूटें तो जेल जाएँ| आप लोग या तो स्वयं अपनी मौत स्वीकार करें, अपनी नारियों का अपनी आखों के सामने बलात्कार कराएँ, शासकों (एलिजाबेथ के दासों) की दासता स्वीकार करें व अपनी संस्कृति मिटायें अथवा नौकरी न करें| आप के अपराध परिस्थितिजन्य हैं, जिनके लिए उपनिवेश व संविधान उत्तरदायी है| संविधान ने आप की पद, प्रभुता और पेट को वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश से जोड़ दिया है| हम वैदिकपंथी मानवमात्र का अहित नहीं करेंगे और एलिजाबेथ की ईसाइयत इस्लाम को नष्ट करेगी. अब्रह्मी संस्कृतियाँ मानवमात्र को नपुंसक व दास बनाने की अपराधिनी हैं. पैगम्बरों के आदेश और अब्रह्मी संस्कृतियों के विश्वास के अनुसार दास विश्वासियों द्वारा अविश्वासियों को कत्ल कर देना ही अविश्वासियों पर दया करना और स्वर्ग, जहाँ विलासिता की सभी वस्तुएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, प्राप्ति का पक्का उपाय है. वैदिक सनातन धर्म किसी भी अन्य धर्म के लिए कोई निहित शत्रुता के बिना एक ऐसी संस्कृति है. जो केवल वसुधैव कुटुम्बकम के बारे में बात करती है. इसके आचार, मूल्य और नैतिकता सांप्रदायिक नहीं - सार्वभौमिक हैं| वे पूरी मानव जाति के लिए हर समय लागू हैं| इसका दर्शन मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, चीन, अफगानिस्तान और कोरिया में फैल गया था| एक बार अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा, “भारत एक भी सैनिक बाहर भेजे बिना तमाम देशों पर विजय प्राप्त करने वाला दुनिया में एकमात्र देश है" जहां वैदिक सनातन संस्कृति ने सभी देशों और मजहबों के पीडितों को शरण दिया, वहीं अब्रह्मी संस्कृतियों ने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति और मूल निवासियों को नष्ट कर दिया| लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, अब्रह्मी संस्कृतियां आज तक विफल नहीं हुईं| हम पर अभियोग चलाने से आप को कुछ भी नहीं मिलने वाला. अपनी खैर मनाइए. एलिजाबेथ आप को आप के ही हाथों नष्ट करा रही है और आप विवश हैं. मेरी सलाह मानिये. उपनिवेश से मुक्ति हेतु हमारे अभियोग वापस लेकर अपना कल्याण कीजिए. अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सू० स०) फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१ १३ सितम्बर. २०१४य Registration Number is : GNCTD/E/2014/05288
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