Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 19 Year 19 ISSUE 36A, Sep 05-11, 2014. This issue is Muj14W36B CrPC 196 Muj14W36B CrPC 196मौत का फंदा धारा १९६ इस्लाम और ईसाइयत का विरोध करने के कारण, उप राज्यपाल दिल्ली की संस्तुति पर, हमारे विरुद्ध दो अभियोग प्राथमिकी ४०६/२००३ व १६६/२००६ थाना नरेला दिल्ली, रोहिणी के MM वि० श्री संदीप गुप्ता के न्यायालय में लम्बित हैं| अब्रह्मी संस्कृतियाँ मानवमात्र को नपुंसक व दास बनाने की अपराधिनी हैं. पैगम्बरों के आदेश और अब्रह्मी संस्कृतियों के विश्वास के अनुसार दास विश्वासियों द्वारा अविश्वासियों को कत्ल कर देना ही अविश्वासियों पर दया करना और स्वर्ग, जहाँ विलासिता की सभी वस्तुएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, प्राप्ति का पक्का उपाय है. अब्रह्मी संस्कृतियाँ धरती के किसी भी व्यक्ति को जीने व धन रखने का अधिकार नहीं देती हैं. हमारे पूर्वजों के साथ छल किया गया है. इंडियन उपनिवेश को समझौते में २०वीं सदी का मीरजाफर (गांधी) माउंटबेटन को सौंप गया है. हम आज भी एलिजाबेथ के दास हैं और मानवमात्र को स्वतंत्र करना चाहते हैं. http://www.aryavrt.com/muj14w36a-isis-jihad-1 इनके अतिरिक्त हमने बाबरी ढांचा गिराया है| हमारे ९ अधिकारी मक्का, मालेगांव आदि के विष्फोट के अभियुक्त हैं और २००८ से जेलों में बंद हैं| हमने आर्यावर्त सरकार का गठन किया है| टाइम्स आफ इंडिया के अनुसार स्वराज्य का गठन अपराध है| मनुष्य के पुत्र का मांस खाने वाली और लहू पीने वाली एलिजाबेथ (बाइबल, यूहन्ना ६:५३) द्वारा हम उपरोक्त कारणों से सताए जा रहे हैं. पढ़िये नीचे की लिंक, http://www.aryavrt.com/Home/aryavrt-in-news http://www.aryavrt.com/malegaon-notice-crpc160 जिस भवन से ईशनिंदा का प्रसारण होता हो और काफिरों को कत्ल करने की शिक्षा दी जाती हो, उसे नष्ट करना अपराध कैसे है? धरती पर शासन अब्रह्मी संस्कृतियों का ही है. किसी शासक ने विश्वासियों के कत्ल, नारियों के बलात्कार, धर्मान्तरण, जिसके विरुद्ध इस्लाम और ईसाइयत में कत्ल का आदेश है, और लूट पर ऊँगली क्यों नहीं उठाई? http://www.aryavrt.com/dharmantarana-dhokha-hai निम्नलिखित लिंकों के अनुसार हमने जजों, संघ व राज्य सरकार को अनगिनत पत्र लिखे हैं, लेकिन न तो हमारे ९+१ अधिकारियों को छोड़ा जा रहा है और न ही हमारे विरुद्ध झूठे अभियोग वापस लिए जा रहे हैं. http://www.aryavrt.com/muj14w29-dpskdhara-196 http://www.aryavrt.com/crpc196-recall-14801 http://www.aryavrt.com/crpc196kii-vivashta-13o15 http://www.aryavrt.com/dhara-196-crpc http://www.aryavrt.com/dhara-196-muj14w27a http://www.aryavrt.com/dhara-196-muj14w28 http://www.aryavrt.com/muj13w02-enbw http://www.aryavrt.com/muj13w08-enbwy http://www.aryavrt.com/muj13w15-dhara-196 http://www.aryavrt.com/muj13w16-dhara-153_196 http://www.aryavrt.com/muj13w24-dhara196 http://www.aryavrt.com/muj13w45-dhara196-crpc http://www.aryavrt.com/muj14w29c-dhara-196crpc http://www.aryavrt.com/muj14w33ay-dhara-196crpc NBW के बाद ३०-१-१४ को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ८२ के अधीन कार्यवाही भी हो गई| बाइबल, लूका १९:२७ का आदेश है, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो|". उपनिवेश का प्रत्येक शासक एलिजाबेथ का दास है. एलिजाबेथ ने शासकों का मनोनयन जातिसंहार के लिए किया है| जब हम सनातनियों का संहार हो जायेगा, तब मुसलमानों और गैर कैथोलिक ईसाइयों का जातिसंहार होगा| इस्लाम को अपनी संस्कृति को बनाये रखने का असीमित मौलिक मजहबी अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) से प्राप्त है| सरकार के पुलिस के संरक्षण में मस्जिदों से ईमाम दिन में पांच समय अज़ान द्वारा स्पष्ट चेतावनी देते हैं कि मात्र अल्लाह पूज्य है (यह ईशनिंदा है और इसके लिए इस्लाम में मृत्युदंड निर्धारित है) और मस्जिदों से ईमाम शुक्रवार को मुसलमानों को शिक्षा/खुतबे देते हैं कि काफ़िर मुसलमानों के खुले दुष्मन हैं| (कुरान ४:१०१). काफिरों को कत्ल कर दो| अज़ान और मस्जिद से दिए जाने वाले खुतबों के विरुद्ध काफ़िर शिकायत नहीं कर सकते और न जज सुनवाई कर सकता है| (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). पुलिस किसी ईमाम के विरुद्ध आज तक अभियोग न चला सकी| अब्रह्मी संस्कृति के अनुयायियों को नारियों का बलात्कार करने का अधिकार ईसाइयत (बाइबल, यश्याह १३:१५), इस्लाम (कुरान २३:६) और लोकतन्त्रीय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) से प्राप्त है| इस असीमित मौलिक मजहबी अधिकार को संरक्षण, पोषण व संवर्धन देने के लिए एलिजाबेथ के मनोनीत राष्ट्रपति व राज्यपाल, विवश हो कर, शपथ लेते हैं| (भारतीय संविधान के अनुच्छेद ६० व १५९). इनको संरक्षण, पोषण व संवर्धन देने का, राष्ट्रपति और राज्यपालों को, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अंतर्गत, उत्तरदायित्व दिया गया है| लोकसेवक या जज भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१), दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ और कुरान के आगे विवश हैं! यह लोग तभी तक नौकरी या शासन करेंगे, जब तक एलिजाबेथ का हित साधेंगे - यानी ईसा के राज्य का संरक्षण, पोषण व संवर्धन करते रहेंगे| मानवजाति को बचाने का उपाय मात्र इस्लाम और ईसाइयत का समूल नाश है. स्वतंत्रता की यह लड़ाई मात्र हमारी नहीं है, यह अब्रह्मी संस्कृति के अनुयायियों की भी है. जितने संकट में वैदिक सनातन संस्कृति के अनुयायी हैं, उससे अधिक आतताई अब्रह्मी संस्कृतियों के अनुयायी हैं. निर्णय महामहिम के हाथों में. अंत में मैं महामहिम से आग्रह करता हूँ कि मानवजाति के हित में मुझे राजनैतिक शरण देने की कृपा करें. हमारे सभी अधिकारी जेल में हैं. दिल्ली सरकार मुझे जेल में जहर तो दे ही चुकी है, अब सरकार का इरादा मेरी हत्या करना है. अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सू० स०) फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१ ०७ सितम्बर. २०१४य
|