Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 19 Year 19 ISSUE 29C, Jul 11-17, 2014. This issue is Muj14W29C Dhara 196CrPC Muj14W29C Dhara 196CrPCमौत का फंदा धारा १९६ Muj14W29C Dhara 196CrPC मौत का फंदा धारा १९६ उप राज्यपाल दिल्ली. महामहिम जी! हमारे दो अभियोग प्राथमिकी ४०६/२००३ व १६६/२००६ थाना नरेला दिल्ली, रोहिणी के MM वि० श्री संदीप गुप्ता के न्यायालय में लम्बित हैं| एलिजाबेथ के दबाव के कारण बारम्बार अनुरोध के बाद भी दिल्ली सरकार अभियोग वापस न ले सकी| NBW के बाद ३०-१-१४ को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ८२ के अधीन कार्यवाही भी हो गई| बाइबल, लूका १९:२७ का आदेश है, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो|". आप एलिजाबेथ के दास हैं. एलिजाबेथ ने आप का मनोनयन जातिसंहार के लिए किया है| जब हम सनातनियों का संहार हो जायेगा, तब मुसलमानों और गैर कैथोलिक ईसाइयों का जातिसंहार होगा| जातिसंहार को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१), भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ का संकलन किया गया है| आप तभी तक उप राज्यपाल रहेंगे, जब तक एलिजाबेथ का हित साधते यानी ईसा के राज्य का संरक्षण, पोषण व संवर्धन करते रहेंगे| भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) किसी नागरिक को जीने का अधिकार नहीं देता| ईसाई मुसलमान की हत्या करेगा और मुसलमान ईसाई की| कोई भी जज बाइबल, कुरान और भारतीय संविधान का विरोध नहीं कर सकता| (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). पाकपिता मोहनदास करमचन्द गांधी, मोहम्मद अली जिन्ना, जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ पटेल और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर में एक समानता थी| सभी बैरिस्टर थे| सभी को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७, का पूरा ज्ञान था| आक्रांता अंग्रेजों ने इस अधिनियम को हॉउस ऑफ कामन्स में सत्ता के हस्तांतरण के पूर्व १८ जुलाई १९४७ को पास किया था और १५ अगस्त १९४७ को ब्रिटेन शासित भारत का दो उपनिवेशों (भारत तथा पाकिस्तान) में विभाजन किया गया। http://www.legislation.gov.uk/ukpga/Geo6/10-11/30 इसके बाद सन १९४८ में बने बर्तानिया कानून के अंतर्गत हर भारत या पाकिस्तान वासी बर्तानिया की प्रजा है और यह कानून भारत या पाकिस्तान के तथाकथित सार्वभौम गणराज्य प्राप्त कर लेने के पश्चात भी लागू है l २२ जून १९४८ को भारत के दूसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l “मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ कि मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवं मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ कि मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सेवा करूँगा l ” लेकिन १५ अगस्त १९४७ से आज तक आप सहित किसी ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ का विरोध नहीं किया| सब ने अपने अनुयायियों के साथ विश्वासघात किया और आज भी कर रहे हैं| आप विरोध कर भी नहीं सकते| मात्र हमारी गुप्त सहायता कर सकते हैं| महामहिम जी! आप की सरकार ने मुझ पर अब तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन संस्तुति के बाद भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन ४९ अभियोग चलाए| अन्य तो निपट गए, लेकिन ४ आज भी लम्बित हैं| यह संस्कृतियों का युद्ध है, जिसे हम १९९१ से लड़ रहे हैं| एक बार अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा, “भारत एक भी सैनिक बाहर भेजे बिना तमाम देशों पर विजय प्राप्त करने वाला दुनिया में एकमात्र देश है." हम आप का अहित नहीं करेंगे| लेकिन एलिजाबेथ आप को मिटाने के लिए आप का ही आज भी उपयोग कर रही है| मुझे कत्ल करवा कर या जेल भेज कर आप अपना व अपनी कौम का ही अहित करेंगे| अतः आप से आग्रह है कि मेरे अभियोग वापस ले लें और विश्व के ५३ उपनिवेशों को एलिज़ाबेथ के चंगुल से मुक्त कराकर पुण्य अर्जित करें| भवदीय; अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सू० स०) फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१ Registration Number is : GNCTD/E/2014/03741
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