Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 19 Year 19 ISSUE 02, Jan 10 – 16, 2014. This issue is Muj14W02 PragyaKi
Chunauti आधुनिक दुर्गा प्रज्ञा की चुनौती| लोकसेवक जी! आप की सेवा में साध्वी प्रज्ञा की यूट्यूब प्रस्तुत है| उनकी रीढ़ की हड्डी तो २००८ में ही तोड़ दी गई थी| क्यों कि हम ईशनिन्दक अज़ान और कत्ल की शिक्षा देने वाले मस्जिद में बम विष्फोट करते है| यह IPC की धारा १०२ के अंतर्गत हमारा कानूनी अधिकार है| साध्वी जी को कैंसर हुआ है| http://www.youtube.com/watch?v=qXTC-lkeBZw हम अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार के भगवा आतंकवादी हैं| हम यह जानने के लिए पीड़ित हैं कि अज़ान पंथनिरपेक्ष पूजा का प्रसारण और मस्जिद, जहाँ से काफिरों को कत्ल करने की शिक्षा दी जाती है, पूजा स्थल कैसे हैं| मस्जिदों का विध्वंस अपराध कैसे है - भा०दं०सं० की धारा १०२ से प्राप्त हमारा कानूनी अधिकार क्यों नहीं? आप आज भी ब्रिटिश उपनिवेश की प्रजा हैं| हमने स्वतंत्रता के उस युद्ध को प्रारम्भ कर दिया है, जिसे १५ अगस्त, १९४७ से छल से रोका गया है| {भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७, अनुच्छेद ६ (ब)(।।) भारतीय संविधान व राष्ट्कुल की सदस्यता}. आप के पास जीवित रहने व सम्पत्ति और पूँजी रखने का अधिकार ही नहीं है| ईसाइयत और इस्लाम का अविष्कार बिना युद्ध मानवमात्र को दास बनाने के लिये किया गया है| खतने पर अपने शोध के पश्चात १८९१ में प्रकाशित अपने ऐतिहासिक पुस्तक में चिकित्सक पीटर चार्ल्स रेमोंदिनो ने लिखा है कि पराजित शत्रु को जीवन भर पुंसत्वहीन कर (वीर्यहीन कर) दास के रूप में उपयोग करने के लिए शिश्न के अन्गोच्छेदन या अंडकोष निकाल कर बधिया करने (जैसा कि किसान सांड़ के साथ करता है) से खतना करना कम घातक है| पीटर महोदय यह बताना भूल गए कि दास बनाने के लिए खतने से भी कम घातक वेश्यावृत्ति को संरक्षण देना है| मूसा से लेकर सोनिया तक सब वही कर रहे हैं| विशेष विवरण के लिये नीचे की लिंक पर क्लिक करें:- http://en.wikipedia.org/wiki/Peter_Charles_Remondino http://www.aryavrt.com/veerya-1 (अ)ब्राह्मी संस्कृतियां खतना और यौनशिक्षा के प्रयोग द्वारा वीर्यहीन कर दास बनाती हैं| किसान को सांड़ को दास बना कर खेती के योग्य बैल बनाने के लिए सांड़ का बंध्याकरण करना पड़ता है, लेकिन लूट और यौनाचार के लोभ में यहूदी और मुसलमान मजहब की आड़ में स्वेच्छा से गाजे बाजे के साथ वीर्यहीन बनने के लिए खतना कराते हैं और अपने ब्रह्मतेज को गवां देते हैं| जीवन भर रोगी, अशक्त और दास बन कर जीते हैं| यहाँ विश्वामित्र और मेनका का प्रसंग प्रासंगिक है| इंद्र ने वीर्यवान विश्वामित्र को पराजित करने के लिए मेनका का उपयोग किया| मूसा और मुहम्मद ने तो इंद्र की भांति धरती की सभी नारियां मुसलमानों और ईसाइयों को सौंप रखी हैं| (बाइबल, याशयाह १३:१६) व (कुरान २३:६). इतना ही नहीं ईसा ने बेटी (बाइबल, १, कोरिन्थिंस ७:३६) से विवाह की छूट दी है| अल्लाह ने मुहम्मद का निकाह उसकी पुत्रवधू जैनब (कुरान, ३३:३७-३८) से किया और ५२ वर्ष के आयु में ६ वर्ष की आयशा से उसका निकाह किया| आप की कन्या को बिना विवाह बच्चे पैदा करने के अधिकार का संयुक्त राष्ट्र संघ कानून पहले ही बना चुका है| [मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा| अनुच्छेद २५(२)]. “विवाह या बिना विवाह सभी जच्चे-बच्चे को समान सामाजिक सुरक्षा प्रदान होगी|”] यानी वीर्यहीन बनाने के सभी कुछ! मल ही बल है और वीर्य ही जीवन| ईश्वर ने मनुष्य को वीर्य के रुप में अपनी सारी शक्ति दी है। वीर्य अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों का दाता, स्वतंत्रता, परमानंद, आरोग्य, ओज, तेज और स्मृति का जनक है| वैदिक सनातन धर्म वीर्य को साक्षात ईश्वर का पर्याय मानता है| इसके किसी भी तरह के क्षरण को घृणित पाप मानता है| वैदिक सनातन धर्म की मान्यता है कि विद्या मात्र ब्रह्मविद्या है और ज्ञान मात्र ब्रह्मज्ञान| वीर्यरक्षा के बिना ब्रह्मज्ञान सम्भव नहीं| अतः जो कोई वीर्यक्षरण करता या कराता है, मानवजाति का भयानक शत्रु है| जेहोवा और अल्लाह मूसा और मुहम्मद द्वारा गढ़े गए बिचौलिये और मनुष्य को दास बना कर लूटने के लिए मुखौटे हैं| इनका अस्तित्व ही नहीं है| किसान सांड़ को वीर्यहीन कर दास बना लेता है और (अ)ब्राह्मी संस्कृतियां खतना और इन्द्र की भांति मेनकाओं का प्रयोग कर दास बनाती हैं| मनुष्य के वीर्य की शक्ति को मिटाने का प्रथम प्रयास मूसा ने किया| मुहम्मद ने मूसा का नकल किया| सैतानों मूसा और मुहम्मद ने खतना को मजहब से जोड़ दिया है| ये पैगम्बर नहीं दुर्दांत राक्षस थे| जो उपलब्धि इस्लाम ई० स० ७१२ से ई० स० १८३५ तक अर्जित न कर सका, गुरुकुलों को नष्ट कर, उससे अधिक ईसाइयत ने मात्र ई० स० १८३५ से ई० स० १९०५ के बीच अर्जित कर लिया| सोनिया को परेशानी यह है कि भगवा आतंकवादी कुमारी माताओं को संरक्षण और सम्मान नहीं देते| ईश्वर जारज(जार्ज) और प्रेत नहीं है| जबकि ईसाइयों का मुक्तिदाता ईसा स्वयं ही जारज(जार्ज) व पवित्र? प्रेत है और उसने प्रत्येक ईसाई परिवार को वैश्यालय बना दिया है| अंग्रेजों का शासक परिवार सम्मानित जारज(जार्ज) है| कुमारी माताएं प्रायः प्रत्येक ईसाई घरों में मिलती हैं| हमारे इंडिया में ईसाई घरों में भी कुमारी माताएं नहीं मिलतीं| हमारी कन्याएं १३ वर्ष से भी कम आयु में बिना विवाह गर्भवती नहीं होतीं| हमारे यहाँ विद्यालयों में गर्भ निरोधक गोलियाँ नहीं बांटी जाती| इससे वीर्यहीनता के प्रसार में सोनिया को कठिनाई है| सोनिया वैदिक सनातन संस्कृति को मिटाने की दौड़ में सबसे आगे है| मात्र ३ वर्षों की अवधि में सोनिया ने, नागरिकों को वीर्यहीन कर, वैदिक सनातन संस्कृति की जड़ें ही नष्ट कर दी हैं| लव जेहाद, बेटी व पुत्रवधू से विवाह, सहजीवन व समलैंगिक मैथुन, सगोत्रीय विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई है| बारमें दारूपीने वाली बालाओं का सम्मान हो रहा है! स्कूलों में यौन शिक्षा लागू हो गई है| अब आमेर खजाने की चोरनी सोनिया टाटा, बिड़ला, आदि को लूटने के लिए एफडीआई लागू कर चुकी है| वैदिक सनातन धर्म किसी भी अन्य धर्म के लिए कोई निहित दुश्मनी के बिना एक ऐसी संस्कृति है. जो केवल वसुधैव कुटुम्बकम के बारे में बात करती है. इसके आचार, मूल्य और नैतिकता सांप्रदायिक नहीं - सार्वभौमिक हैं| वे पूरी मानव जाति के लिए हर समय लागू हैं| इसका दर्शन मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, चीन, अफगानिस्तान और कोरिया में फैल गया था| एक बार अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा, “भारत एक भी सैनिक बाहर भेजे बिना तमाम देशों पर विजय प्राप्त करने वाला दुनिया में एकमात्र देश है|" ठीक इसके विपरीत ईसाइयत और इस्लाम संस्कृतियों ने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया| लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए| ईसाइयत व इस्लाम मिशन व जिहाद की हठधर्मिता के बल पर वैदिक संस्कृति को मिटा रहे हैं| वे हठधर्मी सिद्धांत हैं, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो|" (बाइबल, लूका १९:२७) और "और तुम उनसे (काफिरों से) लड़ो यहाँ तक कि फितना (अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की उपासना) बाकी न रहे और दीन (मजहब) पूरा का पूरा (यानी सारी दुनियां में) अल्लाह के लिए हो जाये|" (कुरान, ८:३९). लोकसेवक जी! निर्णय कीजिये किसके हाथों मरेंगे? उपरोक्त तथ्य बताना या प्रकाशित करना भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन अपराध है| लेकिन अज़ान द्वारा मस्जिद से ईशनिंदा और कत्ल करने के खुत्बे (शिक्षाएं) अपराध नहीं माने जाते| भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) ने बलात्कारी मुसलमानों को अपनी संस्कृति को बनाये रखने का और राष्ट्रपति और राज्यपाल ने क्रमशः अनुच्छेदों ६० व १५९ के अधीन मुसलमानों की बलात्कारी संस्कृति के संरक्षण, पोषण व संवर्धन की शपथ ले रखी है| इसके अतिरिक्त मुसलमानों की बलात्कारी संस्कृति को कार्यान्वित करने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन उत्तरदायित्व भी सौप रखा है| ईसाई व मुसलमान वर्चस्व का युद्ध लड़ने के लिये विवश हैं, जिसके कारण डायनासोर की भांति मानवजाति का अस्तित्व संकट में है| उपरोक्त आलोचनाएं ईसाइयत और इस्लाम में ईशनिंदा हैं, कोई ईशनिन्दक सुरक्षित अथवा जीवित नहीं है| चाहे वह आसमा बिन्त मरवान हों, या अम्बेडकर या शल्मान रुश्दी हों, या तसलीमा नसरीन या जगतगुरु अमृतानंद देवतीर्थ या साध्वी प्रज्ञा हों अथवा मैं| मैं मालेगांव व अन्य अभियोगों का अभियुक्त हूँ| ईश्वर की कृपा से आज तक मुझे सजा नहीं दी गई| लेकिन मैं दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ से पीड़ित तथ्यों को प्रचारित नहीं कर पाता| मैं भिक्षुक ब्राह्मण हूँ और आप ब्रिटिश उपनिवेश के भाड़े के दास| आप की पद, प्रभुता और पेट को वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश से जोड़ा गया है| ईसाइयत और इस्लाम का संसार में वर्चस्व है| अतः आप इनसे नहीं लड़ सकते| आप चाहें तो इस युद्ध के लिये मुझे गुप्त सहयोग दे सकते हैं| ताकि गुरुकुल पुनर्जीवित हो सके| अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी: फोन ९१५२५७९०४१
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