Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 18 Year 18 ISSUE 48, Nov 22-28, 2013. This issue is Muj13W48 Asylum 131120 Muj13W48 Asylum 131120 स०रा०स० मानवाधिकार घोषणा के अनुच्छेद १४ के अधीन राजनैतिक शरण की गुहार.चीन के युद्ध विशेषज्ञ सन चू ने कहा है – शत्रु की रणनीति जानो, तुम पराजित नहीं हो सकते और बिना युद्ध लड़े ही शत्रु को शक्तिहीन और पराजित कर वश में कर लेना सर्वोत्तम है| तथाकथित पैगम्बरों ने मानवमात्र को बिना लड़े ही वीर्यहीन, पराजित व दास बना कर अपने ही सर्वनाश का उपकरण बना दिया है| किसी के पास ईसाइयत और इस्लाम के विरोध का साहस नहीं! मैं आर्यावर्त सरकार का सूचना सचिव हूँ और आतताई संस्कृतियों ईसाइयत और इस्लाम को इसलिए मिटाना चाहता हूँ कि ए संस्कृतियां मानव मात्र को वीर्यहीन यानी ईश्वर विहीन करके, अपने अनुयायियों सहित, सबको दास बनाकर, उपासना की आजादी का परित्याग करवा कर, किसान के पशु की भांति, मानवमात्र को दास बनाती हैं| खतने पर अपने शोध के पश्चात १८९१ में प्रकाशित अपने ऐतिहासिक पुस्तक में चिकित्सक पीटर चार्ल्स रेमोंदिनो लिखते हैं कि पराजित शत्रु को जीवन भर पुंसत्वहीन कर (अधीन कर) दास के रूप में उपयोग करने के लिए शिश्न के अन्गोच्छेदन या अंडकोष निकाल कर बधिया करने (जैसा कि किसान सांड़ के साथ करता है) से खतना करना कम घातक है| सैतानों मूसा और मुहम्मद ने, किसान के सांड़ की भांति, यहूदियों व मुसलमानों को दास बनाने के लिए खतना को मजहब से जोड़ दिया है| यहूदी और मुसलमान गाजे बाजे के साथ स्वेच्छा से अपने ब्रह्मतेज को गवां देते हैं और जीवन भर रोगी, अशक्त और दास बन कर जीते हैं| पूरा विवरण देखें:- http://en.wikipedia.org/wiki/Peter_Charles_Remondino वैदिक सनातन धर्म किसी भी अन्य धर्म के लिए कोई निहित शत्रुता के बिना एक ऐसी संस्कृति है. जो केवल वसुधैव कुटुम्बकम के बारे में बात करती है. इसके आचार, मूल्य और नैतिकता सांप्रदायिक नहीं - सार्वभौमिक हैं| वे पूरी मानव जाति के लिए हर समय लागू हैं| इसका दर्शन मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, चीन, अफगानिस्तान और कोरिया में फैल गया था| एक बार अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा, “भारत एक भी सैनिक बाहर भेजे बिना तमाम देशों पर विजय प्राप्त करने वाला दुनिया में एकमात्र देश है" ठीक इसके विपरीत ईसाइयत और इस्लाम संस्कृतियों ने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया| लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए| ईसाइयत व इस्लाम मिशन व जिहाद की हठधर्मिता के बल पर संस्कृतियों को मिटा रहे हैं| वे हठधर्मी सिद्धांत हैं, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो|" (बाइबल, लूका १९:२७) और "और तुम उनसे (काफिरों से) लड़ो यहाँ तक कि फितना (अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की उपासना) बाकी न रहे और दीन (मजहब) पूरा का पूरा (यानी सारी दुनियां में) अल्लाह के लिए हो जाये|" (कुरान, ८:३९). यानी ईसाई मुसलमान को कत्ल करेगा और मुसलमान ईसाई को| किसी भी हरे भरे वृक्ष को नष्ट करने के लिए एक गिद्ध का निवास ही पर्याप्त है| इसी प्रकार किसी भी संस्कृति को मिटाने के लिए एक मुसलमान या ईसाई का निवास पर्याप्त है| अकेला कोलम्बस अमेरिका के लाल भारतीयों और उनकी माया संस्कृति को निगल गया| अकेला मैकाले संस्कृत भाषा और गुरुकुलों को निगल गया| अकेला मुहम्मद अपने आश्रय दाता यहूदियों के तीन प्रजातियों बनू कैनुका, बनू नजीर और बनू कुरेज़ा को निगल गया| यदि ईसाइयत और इस्लाम रहेंगे तो मानवता नष्ट होगी| महामहिम की धरती तो रहेगी पर महामहिम व उनकी बौद्ध संस्कृति नहीं बचेगी| यद्यपि मैं अंग्रेजी, जिस भाषा में लिपि और उच्चारण की त्रुटियाँ ही त्रुटियाँ हैं और जो आज भी विकास के लिये तरस रही है, जानता हूँ, तथापि मैं इसको लिखने और बोलने से परहेज़ करता हूँ, तथापि यह विषय इतना आवश्यक है कि मुझे महामहिम को बतलाना पड़ रहा है कि प्रत्येक मनुष्य, चाहे वह ईसाई, मुसलमान या जो भी हो, उसकी लिपि, भाषा और उसका संविधान उसके मष्तिस्क (ब्रह्मकमल) में परब्रह्म उसके जन्म के साथ ही दे देता है| किसी भी साधक से पूछिए वह आप को बताएगा कि विश्व की तमाम लिपियों में मात्र देवनागरी लिपि ही मनुष्य के ऊर्जा चक्रों में लिखी पाई जाती है और संस्कृत उसी लिपि में लिखी जाती है| संगणक (कम्प्यूटर) विशेषज्ञ यह भी स्वीकार करते हैं कि संगणन के लिये संस्कृत सबसे उपयुक्त भाषा है| यह निर्विवाद रूप से स्थापित है कि संसार के अब तक के पुस्तकालयों में ज्ञान-विज्ञान के प्रथम और एकमात्र कोष देवनागरी लिपि और संस्कृत भाषा के ऋग्वेद से प्राचीन कोई साहित्य नहीं है| पाणिनी के अष्टाध्यायी में आज तक एक अक्षर भी बदला न जा सका| ठीक इसके विपरीत अंग्रेजी और उर्दू लिपियों में लिपि और उच्चारण की त्रुटियाँ हैं| जड़ (निर्जीव) और चेतन परमाणु उर्जा ईश्वर ने मनुष्य को वीर्य के रुप में अपनी सारी शक्ति दी है। मनुष्य के वीर्य की इस शक्ति को मिटाने का प्रथम प्रयास मूसा ने किया| मुहम्मद ने मूसा का नकल किया| जिसे आज के वैज्ञानिक परमाणु कहते हैं| उसे हमारे ही नहीं – ईसाइयों व मुसलमानों के पूर्वज भी ब्रह्म कहते थे| आज का परमाणु ऊर्जा विज्ञान जड़ (निर्जीव) परमाणुओं के भेदन पर आश्रित परमाणु ऊर्जा विज्ञान है| सर्व विदित है कि ऊर्जा निर्जीव पदार्थ के आधे भार को प्रकाश की गति के वर्ग से गुणा करने के बराबर है| चेतन परमाणु में उससे भी अधिक ऊर्जा है| हमारे पूर्वजों का विज्ञान जैविक परमाणुओं के भेदन पर आधारित है| इसी परमाणु भेदन को कुण्डलिनी जागरण कहा जाता है| हमारा ज्ञान और विज्ञान आज के जड़ परमाणु उर्जा के ज्ञान से अत्यधिक शक्तिशाली है| महाभारत काल में अश्वस्थामा के ब्रह्मास्त्र के संधान और लक्ष्य भेदन के प्रकरण से स्पष्ट होता है कि ब्रह्मास्त्र स्वचालित नहीं थे| एक बार छोड़ देने के बाद भी उनकी दिशा और लक्ष्य भेदन को नियंत्रित किया जा सकता था| इतना ही नहीं लक्ष्य पर वार कर ब्रह्मास्त्र छोड़ने वाले के पास वापस भी आ जाते थे| उनके मलबों को ठिकाने लगाने की समस्या नहीं थी| विकिरण से जीवन को होने वाली हानि की समस्या नहीं थी| आसुरी संस्कृतियों को मानवता के हित में मिटाने में और गुरुकुलों को पुनर्स्थापित करने में क्या आप हमारी सहायता करेंगे? यहूदी या मुसलमान किसको पसंद करेंगे? महामूर्ख यहूदी (बाइबल, उत्पत्ति २:१७) या मुसलमान (कुरान २:३५) किसको पसंद करेंगे? ईश्वर को, जो उस के रग रग में सदा उस के साथ है, या जेहोवा अथवा अल्लाह को, जो सातवें आसमान पर बैठा है और अपने अनुयायियों से मिल ही नहीं सकता? ईश्वर को, जो उस को आरोग्य, ओज, तेज, ८ सिद्धि, ९ निधि और स्मृति का स्वामी बनाता है या जेहोवा अथवा अल्लाह को, जो उनका खतना करा कर दास बनाते हैं? ईश्वर को, जो उन को किसी भी देवता के उपासना की स्वतंत्रता देता है अथवा जेहोवा अथवा अल्लाह को, जो उन के उपासना की स्वतंत्रता छीन कर उनको दास बनाते हैं? ईसाइयत और इस्लाम का एक भी आलोचक जीवित नहीं छोड़ा जाता| गैलेलियो हों या आस्मा बिन्त मरवान या संविधान के संकलनकर्ता अम्बेडकर अथवा साध्वी प्रज्ञा - सबके विरोध दबगए| इनके अस्तित्व का यही कारण है| http://society-politics.blurtit.com/23976/how-did-galileo-die- http://www.aryavrt.com/asma-bint-marwan मुझे भी सोनिया मिटाना चाहती है| मेरी २ अरब की सम्पत्ति सोनिया ने लूट कर मुझे भिखारी बना दिया है| मैं सेवा निवृत लोकसेवक हूँ, लेकिन मुझे पेंशन नहीं मिल रही है| मेरे विरुद्ध अब तक ५० अभियोग चले हैं| ५ आज भी लम्बित हैं| मेरी आखिरी सम्पत्ति भी सोनिया ने मेरे बच्चों को संरक्षण दे कर मुझसे छीन ली है| मुझे किसी भी समय कत्ल करा देगी| क्या महामहिम मानवता के हित में मुझे शरण देंगे? अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध के चलते संस्कृतियों का यह युद्ध महामहिम नहीं लड़ सकते| मात्र मैं लड़ सकता हूँ; क्यों कि आज मेरे पास, जीवन के अतिरिक्त, खोने के लिए कुछ नहीं है| अमेरिका आज भी है, लेकिन अमेरिकी लाल भारतीय और उनकी संस्कृति मिट गई| महामहिम याद रखें कि बौद्ध धर्म वैदिक सनातन संस्कृति का अंग है; यदि वैदिक सनातन संस्कृति न बची तो बौद्ध धर्म व महामहिम भी नहीं बचेंगे| विशेष विवरण के लिये नीचे की लिंक पर क्लिक करें:- http://www.aryavrt.com/victim-of-faiths अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी, फोन ९१५२५७९०४१
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