Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 18 Year 18 ISSUE 46, Nov 08-Nov 14, 2013. This issue is Muj13W46 Aryavrt Sarkar Muj13W46 Aryavrt Sarkar विषय: प्राथमिकी संख्या ४०६/२००३ व १६६/२००६ थाना नरेला, बाहरी दिल्ली|सन्दर्भ: दंड प्रक्रिया संहिता के धारा १९६ की संस्तुति| http://www.aryavrt.com/dhara-196-crpc दादा को सादर प्रणाम| मैं श्री श्री १००८ भगवान परशुराम स्वामी द्वारा स्थापित ‘आर्यावर्त सरकार’ का सूचना सचिव हूँ| आर्यावर्त सरकार की कोई धरती नहीं है और न कोई प्रजा| आर्यावर्त सरकार के पास मात्र सत्य और धर्म है| वैदिक सनातन धर्म किसी भी अन्य धर्म के लिए कोई निहित शत्रुता के बिना एक ऐसी संस्कृति है. जो केवल वसुधैव कुटुम्बकम के बारे में बात करती है. इसके आचार, मूल्य और नैतिकता सांप्रदायिक नहीं - सार्वभौमिक हैं| वे पूरी मानव जाति के लिए हर समय लागू हैं| इसका दर्शन मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, चीन, अफगानिस्तान और कोरिया में फैल गया था| एक बार अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा, “भारत एक भी सैनिक बाहर भेजे बिना तमाम देशों पर विजय प्राप्त करने वाला दुनिया में एकमात्र देश है"| वैदिक सनातन संस्कृति के चरित्र और मूल्यों को उपनिषद के मात्र एक श्लोक से समझा जा सकता है:- “न मे स्तेनो जनपदे न कदर्यो न मद्यपः । नानाहिताग्निर्नाविद्वान्न स्वैरी स्वैरिणी कुतः ॥“ (छान्दोग्योपनिषद ५/११/५) ‘मेरे राज्यमें न तो कोई चोर है, न कोई कृपण है, न कोई मदिरा पीनेवाला है, न कोई अनाहिताग्नि (अग्निहोत्र न करनेवाला) है, न कोई अविद्वान् है और न कोई परस्त्रीगामी ही है, फिर (वेश्या) तो होगी ही कैसे?’ एक ओर ब्रह्मिक वैदिक सनातन संस्कृति है और दूसरी ओर (अ)ब्रह्मिक संस्कृति| ब्रह्मिक वैदिक सनातन संस्कृति वीर्यरक्षा यानी मानव के ओज, तेज, स्मृति और परमानंद की प्राप्ति के लिये निःशुल्क गुरुकुल चलाती थी और (अ)ब्रह्मिक संस्कृति महँगी शिक्षा व्यवस्था लाद कर खतना और यौनशिक्षा द्वारा मानवमात्र को, वीर्यहीन कर (किसान की भांति सांड़ से बैल बना कर), दास बना रही हैं| आप की कन्या को बिना विवाह बच्चे पैदा करने के अधिकार का संयुक्त राष्ट्र संघ कानून पहले ही बना चुका है| [मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा| अनुच्छेद २५(२)]. “विवाह या बिना विवाह सभी जच्चे-बच्चे को समान सामाजिक सुरक्षा प्रदान होगी|”] वीर्य महिमा के समर्थन में मुझे वर्तमान में एक ही प्रमाण देना है| शेर से कई गुने भारी हाथी सदैव झुण्ड में चलते हैं| फिर भी अकेले शेर से परास्त होते हैं| क्योंकि हाथी कामी होता है और शेर जीवन में एक बार सम्भोग करता है| अतः वीर्यवान| ईसाइयत और इस्लाम संस्कृतियों ने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया| लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए| ईसाइयत व इस्लाम मिशन व जिहाद की हठधर्मिता के बल पर वैदिक संस्कृति को मिटा रहे हैं| वे हठधर्मी सिद्धांत हैं, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो|" (बाइबल, लूका १९:२७) और "और तुम उनसे (काफिरों से) लड़ो यहाँ तक कि फितना (अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की उपासना) बाकी न रहे और दीन (मजहब) पूरा का पूरा (यानी सारी दुनियां में) अल्लाह के लिए हो जाये|" (कुरान, सूरह अल अनफाल ८:३९). ईसाइयत और इस्लाम में आस्था व्यक्त (दासता स्वीकार) कीजिए| दार-उल-हर्ब इंडिया को दार-उल-इस्लाम बनाइए| ८:३९. धरती की सभी नारियाँ आप की हैं| चाहे जिस नारी का बलात्कार कीजिये| [(बाइबल, याशयाह १३:१६) व (कुरान २३:६)]. जिसकी भी चाहें सम्पत्ति लूटें [(बाइबल, व्यवस्थाविवरण २०:१४) व (कुरान ८:१, ४१ व ६९)] और अपनी तरह, जिसे भी चाहें, दास बनायें - न बने तो कत्ल कर दें| कोई सजा नहीं! बदले में मूर्खों और दासों के वैश्यालय व मदिरालय नामक स्वर्ग का दरवाजा सदा के लिए खुला है| {(बाइबल, उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५)} वह भी भारतीय संविधान के अनुच्छेदों २९(१) व ३९(ग) और दंप्रसं की धाराओं १९६ व १९७ के संरक्षण में| लोकसेवक यह न भूलें कि सोनिया मानवजाति को मिटाने में लिप्त है| आज पद, प्रभुता और पेट के लोभ में जो अपराध और पाप लोकसेवक कर रहे हैं, वह उनका ही काल बनेगा| इसका प्रमाण बाबरी प्रकरण में हस्तक्षेप करने के कारण उ०प्र० के लोकसेवकों के सामने आया है| विवरण नीचे की लिंक पर देखें:- http://aaryavrt.blogspot.in/2011/07/worship-places-status.html दादा! माउन्टबेटन ने, इंद्र के मेनका की भांति, अपनी पत्नी एडविना का उपयोग कर, आप से आप की अपनी ही धरती छीन कर ब्रिटिश उपनिवेश बना लिया| मजहब के आधार पर पुनः दो भाग कर इंडिया और पाकिस्तान बना दिया| (भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७). माउन्टबेटन को इससे भी संतुष्टि नहीं हुई| उसने मौत के फंदे व परभक्षी भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) का संकलन करा कर सदा सदा के लिए आप की धरती को संयुक्त रूप से मुसलमानों और ईसाइयों को सौंप दिया| राष्ट्रपति और राज्यपाल वैदिक सनातन संस्कृति को समूल नष्ट करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) व दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद ६० व १५९ के अधीन विवश कर दिए गये हैं| फिर भी आप लज्जित नहीं और न कुछ कर सकते हैं| चीन के युद्ध विशेषज्ञ सन चू ने कहा है – शत्रु की रणनीति जानो, तुम पराजित नहीं हो सकते और बिना युद्ध लड़े ही शत्रु को शक्तिहीन और पराजित कर वश में कर लेना सर्वोत्तम है| ब्रिटिश उपनिवेश इंडिया, जो भारत है, का हर लोकसेवक बिना लड़े ही वीर्यहीन, पराजित व दास हो कर अपने ही सर्वनाश का उपकरण बन गया है| लोकसेवक अपनी ही सन्ततियों और वैदिक सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए नियुक्त किये गए हैं| पराधीन लोकसेवक बेबस हैं| बार बाला सोनिया ने पूरे मानव जाति को वीर्यहीन कर सबके प्राणों को संकट में डाल कर अपने अधीन कर रखा है| फिर भी भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७ या भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) का १९४७ से आज तक एक भी विरोधी का किसी को ज्ञान नहीं है! क्यों कि ईसाइयत और इस्लाम का एक भी आलोचक जीवित नहीं छोड़ा जाता| गैलेलियो हों या आस्मा बिन्त मरवान या संविधान के संकलनकर्ता अम्बेडकर अथवा साध्वी प्रज्ञा - सबके विरोध दबगए| अब लोकसेवक मेरे और मेरे मालेगांव के अभियुक्तों के पीछे पड़े हैं| क्यों कि हम नहीं चाहते कि सोनिया द्वारा आप व आप के लोकसेवकों के घर लूटे जाएँ| उन के दुधमुहें पटक कर मार डाले जाएँ| उन की नारियों का उन की आँखों के सामने बलात्कार हो और अंत में वे कत्ल कर दिए जाएँ| (बाइबल, याशयाह १३:१६). http://society-politics.blurtit.com/23976/how-did-galileo-die- http://www.aryavrt.com/asma-bint-marwan http://www.aryavrt.com/victim-of-faiths तबके न्यायिक जांच और अल्लाह के (इल्हाम) संदेश ने आज ईशनिंदा और राज्य के विरुद्ध अपराध ने ले लिया है| ईसाई और मुसलमान ईशनिंदा के अपराध में आत्मरक्षा के लिए विरोध करने वालों को कत्ल कर रहे हैं और राष्ट्रपति और राज्यपाल भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अपराध में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन संस्तुति देकर अपने ही शत्रु ईसाइयत और इस्लाम को संरक्षण दे रहे हैं| नागरिक भारतीय दंड संहिता की धाराओं १०२ व १०५ का प्रयोग न कर सके, इसीलिए भारतीय दंड संहिता की धारायें १५३ व २९५ संकलित की गई हैं-जो मस्जिद व अज़ान पर लागू नहीं! प्रजातंत्र नहीं सोनियातंत्र इंडिया में गणतंत्र नहीं - जेसुइट सोनिया के लिए, सोनिया द्वारा चुनागया सोनियातंत्र है| ईसाईयों व सोनिया सहित इंडिया के नागरिक ईसा की भेंड़े हैं| इंडिया के ईसाई व मुसलमान सहित किसी नागरिक के पास न जीने का अधिकार है और न पूँजी व सम्पत्ति रखने का| भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) व ३९(ग). सर्वविदित है कि आप यानी प्रेसिडेंट महामहिम प्रणब दादा का मनोनयन सोनिया ने किया| प्रधानमंत्री, सभी राज्यपाल व सभी कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्य मंत्री सोनिया द्वारा मनोनीत हैं| चुनाव द्वारा भी अनुच्छेद २९(१) व ३९(ग) में कोई परिवर्तन सम्भव नहीं| फिर चुनाव की नौटंकी किसलिए? यदि सोनिया को ही देश का सुपर प्रधानमंत्री बनना था तो विक्टोरिया में क्या बुराई थी? एलिजाबेथ में क्या बुराई है? क्यों बहाए पूर्वजों ने रक्त? फिर भी आत्मरक्षार्थ लोकसेवक नहीं लड़ सकते| वे मात्र हमारी गुप्त सहायता कर सकते हैं| क्या लोकसेवकों के पास साहस है? अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी, फोन ९१५२५७९०४१ Grievance Regn No is:PRSEC/E/2013/18929 |