Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 18 Year 18 ISSUE 44b, Oct 25-Oct 31, 2013. This issue is Muj13W44b BabriKe Sevak
बाबरी के सेवक| आप लोगों को मैं यह पत्र इस क्षमायाचना के साथ लिख रहा हूँ कि यद्यपि मैं विकास की मुंहताज, लिपि और उच्चारण की त्रुटियों से दूषित अंग्रेजी, जानता हूँ, तथापि मैं इसको लिखने और बोलने से परहेज़ करता हूँ| क्योंकि मानवमात्र की लिपि, भाषा व ज्ञान-विज्ञान उसके चक्रों व ब्रह्मकमल में परब्रह्म जन्म के साथ ही दे देता है| विश्व की तमाम लिपियों में मात्र देवनागरी लिपि ही मनुष्य के ऊर्जा चक्रों में लिखी पाई जाती है| संस्कृत उसी लिपि में लिखी जाती है और गुरुकुलों में सिखाए जाने वाले विश्व के प्राचीनतम और एकमात्र ज्ञान-विज्ञान का कोष देवनागरी लिपि और संस्कृत भाषा का ऋग्वेद है| विद्या मात्र ब्रह्मविद्या है और ज्ञान मात्र ब्रह्मज्ञान| वीर्यरक्षा के बिना ब्रह्मज्ञान सम्भव नहीं| वीर्यरक्षा की शिक्षा गुरुकुलों में निःशुल्क दी जाती थी, जिसे मानवमात्र को भेंड़ बनाने के लिए मैकाले ने मिटा दिया| जिस प्रकार किसान सांड़ को वीर्यहीन कर दास बना लेता है, उसी प्रकार मैकाले ने गुरुकुल शिक्षा को मिटा कर मानवमात्र को वीर्यहीन बना कर दास बना लिया है| मस्जिदों और चर्चों से ईशनिंदा का प्रसारण और जाति हिंसक शिक्षायें, जो भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन राज्य के विरुद्ध गैर जमानती संज्ञेय अपराध है – यदि मुसलमान व ईसाई करे तो अपराध नहीं मानी जातीं| लेकिन आत्मरक्षा में भारतीय दंड संहिता की धाराओं १०२ व १०५ के अधीन अपराधी संस्कृतियों ईसाइयत और इस्लाम का विरोध करने वाले व्यक्ति पर अभियोग चलाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन संस्तुति देने के लिए इंडियन उपनिवेश के राष्ट्रपति (भारतीय संविधान के अनुच्छेद ६०) और राज्यपाल (भारतीय संविधान के अनुच्छेद १५९) दोनों ही, शपथ लेने के कारण, विवश हैं| दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ की बाध्यता के कारण राष्ट्रपति, राज्यपाल और जिलाधीश के अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति-यहाँ तक कि जज व पुलिस भी नहीं-मस्जिद से अज़ान का प्रसारण करने वाले और काफिरों को कत्ल करने की शिक्षा देने वाले किसी इमाम का विरोध या विरुद्ध अभियोग नहीं चला या चलवा सकता| दया के पात्र निर्लज्ज शासकों सहित लोकसेवकों ने जीविका, पद और प्रभुता हेतु अपनी सम्पत्ति व पूँजी रखने का अधिकार स्वेच्छा से त्याग दिया है| भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३१ व ३९(ग). अपने जीवन का अधिकार खो दिया है| [बाइबल, लूका, १९:२७ और कुरान २:१९१, भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) के साथ पठित|] अपनी नारियां ईसाइयत और इस्लाम को सौँप दी हैं| (बाइबल, याशयाह १३:१६) और (कुरान २३:६). इसके बदले में सोनिया का ईसा लोकसेवकों को बेटी (बाइबल १, कोरिन्थिंस ७:३६) से विवाह का व अल्लाह पुत्रवधू (कुरान, ३३:३७-३८) से निकाह करने का अधिकार दे चुका है| जहां भारतीय संविधान ईसाइयत और इस्लाम को अपनी संस्कृतियों को बनाये रखने का असीमित मौलिक अधिकार देता है, वहीँ लोकसेवकों को वैदिक सनातन धर्म को बनाये रखने का कोई अधिकार नहीं है| जिन मस्जिदों से लोकसेवकों के इष्टदेवों की ईशनिंदा की जाती व उन को कत्ल करने की शिक्षा दी जाती है, उनका पिछले १४३५ वर्षों से एक भी विरोधी नहीं जीवित न बचा? विशेष विवरण के लिये नीचे की लिंक पर क्लिक करें:- http://www.aryavrt.com/asma-bint-marwan लोकसेवकों के पास कोई विकल्प भी नहीं है| या तो वे स्वयं अपनी मौत स्वीकार करें, अपनी नारियों का अपनी आखों के सामने बलात्कार कराएँ, शासकों (सोनिया) की दासता स्वीकार करें व अपनी संस्कृति मिटायें अथवा जेल जाएँ| लोकसेवकों के अपराध परिस्थितिजन्य हैं, जिनके लिए भारतीय संविधान उत्तरदायी है| ऐसे भारतीय संविधान को रद्दी की टोकरी में डालना अपरिहार्य है| हम अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार के लोग आतताई ईसाइयत और इस्लाम को इंडिया में रखने वाले भारतीय संविधान को रद्द करने की मुहिम में लगे हैं| सोनिया के देश पर आधिपत्य को स्वीकार करते ही लोकसेवक ही नहीं, सारी मानव जाति ईसा की भेंड़ हैं|| यह कैसा लोकतंत्र व चुनाव है, जिसमे बार बाला सोनिया द्वारा मनोनीत राज्यपाल प्रदेश की जनता द्वारा चुने हुए सरकार को मिनटों में हटा देने के लिए विवश है? चुनाव द्वारा मतदाता भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) व ३९(ग) में कोई परिवर्तन नहीं कर सकते| ज्ञातव्य है कि अनुच्छेद २९(१) किसी को जीने का अधिकार नहीं देता और ३९(ग) किसी नागरिक को सम्पत्ति व पूँजी रखने का अधिकार नहीं देता| लेकिन जो भी भारतीय संविधान, मस्जिद, चर्च, कुरान और बाइबल का विरोध करेगा – सोनिया द्वारा मिटा दिया जायेगा| सोनिया ने अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार के ९ अधिकारियों को २००८ से जेल में बंद कर रखा है| क्यों कि हम रोम राज्य, चर्च, अज़ान, नमाज, मस्जिद, ईसाइयत और इस्लाम को मिटाना चाहते हैं| कांची कामकोटि के जगतगुरु जयेन्द्र के दीपावली की रात जेल जाने के बाद संतों की औकात सोनिया को पता चल गई है और नारायण दत्त तिवारी द्वारा रक्त का नमूना देने के बाद लोकसेवकों की भी| वेश्यावृति के रक्षकों का किसी लोकसेवक ने विरोध नहीं किया| यह संत ही हैं, जो बताते हैं कि ईसा और मुहम्मद महान संत थे| सभी मजहब ईश्वर तक पहुंचने के अलग अलग मार्ग हैं| वीर्यहीन कर दास और अधीन नहीं करते! विशेष विवरण के लिये नीचे की लिंक पर क्लिक करें:- दंड प्रक्रिया संहिता की धाराएं १९६ व १९७ सिद्ध करती हैं कि जज सोनिया की कठपुतलियाँ हैं| जजों के पास भारतीय संविधान व कानूनों के उल्लंघन का अधिकार नहीं है| भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) के अनुसार मानव मात्र ईसा अथवा अल्लाह का अपराधी है| मुसलमान की हत्या ईसाई करेगा और ईसाई की हत्या मुसलमान| लेकिन दोनों का पहला लक्ष्य वैदिक सनातन संस्कृति है| जब मिट जायेगी, तब मुसलमानों की बारी आएगी| मै डेनिअल वेबस्टर के कथन से पूरी तरह सहमत हूँ, “हमको मिटाने के लिए किसी भी राष्ट्र के पास शक्ति नहीं है| हमारा विनाश, यदि आएगा, तो वह दूसरे प्रकार से आएगा| वह होगा सरकार के षड्यंत्र के प्रति जनता की लापरवाही| ... मुझे भय है कि जनता अपने उन लोकसेवकों पर अत्यधिक विश्वास करेगी, जिन्हें स्वयं अपने ही सर्वनाश के लिए (सोनिया द्वारा) हथियार बना लिया गया है|” चीन के युद्ध विशेषज्ञ सन चू ने कहा है – शत्रु की रणनीति जानो, तुम पराजित नहीं हो सकते और बिना युद्ध लड़े ही शत्रु को शक्तिहीन और पराजित कर वश में कर लेना सर्वोत्तम है| ब्रिटिश उपनिवेश इंडिया, जो भारत है, का हर लोकसेवक बिना लड़े ही वीर्यहीन, पराजित व दास हो कर अपने ही सर्वनाश का उपकरण बन गया है| लोकसेवक अपनी ही सन्ततियों और वैदिक सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए नियुक्त किये गए हैं| पराधीन लोकसेवक बेबस हैं| एक बार बाला सोनिया ने पूरे मानव जाति को वीर्यहीन कर सबके प्राणों को संकट में डाल कर अपने अधीन कर रखा है| किसी के पास सोनिया के विरोध का साहस नहीं! अपनी खैर मनाएं लोकसेवक वैदिक सनातन संस्कृति किसी भी अन्य मजहब के लिए कोई निहित शत्रुता के बिना एक ऐसी संस्कृति है. जो केवल वसुधैव कुटुम्बकम के बारे में बात करती है. इसके आचार, मूल्य और नैतिकता सांप्रदायिक नहीं - सार्वभौमिक हैं| वे पूरी मानव जाति के लिए हर समय लागू हैं| इसका दर्शन मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, चीन, अफगानिस्तान और कोरिया में फैल गया था| एक बार अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा, “भारत एक भी सैनिक बाहर भेजे बिना तमाम देशों पर विजय प्राप्त करने वाला दुनिया में एकमात्र देश है" ठीक इसके विपरीत ईसाइयत और इस्लाम संस्कृतियों ने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया| लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए| लोकसेवक यह न भूलें कि सोनिया मानवजाति को मिटाने में लिप्त है| आज जीविका, पद और प्रभुता के लोभ में जो अपराध और पाप लोकसेवक कर रहे हैं, वह उनका ही काल बन जायेगा| इसका प्रमाण बाबरी प्रकरण और मुज़फ्फरनगर में लव जिहाद प्रकरण में हस्तक्षेप करने के कारण लोकसेवकों के सामने आया है| यह युद्ध लोकसेवक नहीं लड़ सकते| वे गुप्त रूप से हमारी सहायता कर सकते हैं| विशेष विवरण नीचे की लिंक पर देखें:- http://aaryavrt.blogspot.in/2011/07/worship-places-status.html अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी, फोन ९१५२५७९०४१
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