जज, प्रेसिडेंट, प्रधानमंत्री और राज्यपाल सोनिया द्वारा मनोनीत मातहत व उपकरण है.
परभक्षी संविधान का अनुच्छेद २९(१) किसी नागरिक को जीने का अधिकार नहीं देता और ३९(ग)
नागरिक को सम्पत्ति या पूँजी का अधिकार ही नहीं देता. भारतीय संविधान को कोई भ्रष्टाचारी
व आतंकवादी नहीं मानता. जज व नागरिक दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं १९६ व १९७ के अधीन,
सोनिया के मनोनीत,
राज्यपालों द्वारा शासित हैं. अहिंसा,
सांप्रदायिक एकता और शांति प्रक्रिया
की आड़ में ईसाइयत व इस्लाम मिशन व जिहाद की हठधर्मिता के बल पर वैदिक संस्कृति को मिटा
रहे हैं. वे हठधर्मी सिद्धांत हैं, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं,
यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो."
(बाइबल, लूका १९:२७)
और "और तुम उनसे (काफिरों से) लड़ो यहाँ तक कि फितना (अल्लाह के अतिरिक्त अन्य
देवता की उपासना) बाकी न रहे और दीन (मजहब)
पूरा का पूरा (यानी सारी दुनियां में) अल्लाह के लिए हो जाये." (कुरान,
सूरह अल अनफाल ८:३९). स्पष्टतः वैदिक
सनातन धर्म मिटाना दोनों का घोषित कार्यक्रम है.
जज न्याय करने का अधिकार उसी क्षण खो देते हैं, जिस क्षण वे
भारतीय संविधान व विधियों की मर्यादा बनाये रखने की शपथ लेते हैं. {भारतीय
संविधान का अनुच्छेद २९(१) व भारतीय संविधान, तीसरी अनुसूची, प्रारूप ४ व ८}. क्यों कि
भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) हर मुसलमान और ईसाई को जजों सहित जनसेवकों व
मानव मात्र के नारियों के बलात्कार, लूट, हत्या और वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश
का असीमित मौलिक अधिकार देता है. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ व १९७ के अधीन
जज, जनसेवक और जनता राज्यपालों के आज्ञाकारी दास हैं. जजों को नाबदान के चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए.
जज व राज्यपाल भूमाफिया, भ्रष्ट और आतंकवादी हैं. उत्तर प्रदेश
के राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने गोरखपुर स्थित हुतात्मा रामप्रसाद बिस्मिल के स्मारक
की ३.३ एकड़ भूमि ३३ करोड़ रुपयों में व्यापारियों के हाथ बेच दी. जिसके बलिदान के
कारण राज्यपाल बना, जब उसे ही नहीं छोड़ा, तो किसे छोडेगा? अब राज्यपाल बनवारी दंड
प्रक्रिया संहिता की धारा १९७ के अंतर्गत मुख्यमंत्री मायावती को संरक्षण दे रहा
है. मायावती इंजीनियरों को कत्ल करवा रही है और जन्मदिन पर नोटों की माला पहन रही है.
प्रदेश को लूट रही है, हिस्सा राज्यपाल बनवारी और सोनिया को दे रही है. जज न्याय के नाम पर अन्याय करते हैं. ‘सत्यमेव जयते’ को पीछे धकेल कर, काला लबादा पहन कर, जिस पर कोई दाग नहीं लग सकता, विजय को जजों
ने गले में उल्टा लटका रखा है. यानी जज तो न्याय कर ही नहीं सकते! जजों ने अपने जहरीले
दांत तो उसी दिन दिखा दिए थे, जिस दिन जजों ने नागरिकों को प्राप्त संपत्ति के मौलिक अधिकार को
लूटा जाना न्याय माना था. (ए आई आर १९५१ एस सी ४५८) और ईसाइयत और इस्लाम को अभय दान दिया था. (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४)
न्यायपालिका भ्रष्टाचार, ठगी, शोषण, उत्पीड़न, कानूनी छल,
जालसाजी, बेईमानी आदि का संगठित तंत्र है. जजों को न्याय
के लिए नहीं, अपितु जनसेवकों द्वारा एन केन प्रकारेण जनता से लूटी गई सम्पत्तियों
को भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३००(अ) के अधीन बचाने के लिए नियुक्त किया जाता है.
भारतीय संविधान का संकलन कर इंडिया संयुक्त रूप से ईसाइयत और
इस्लाम को सौँप दिया गया है. अभी यह निर्णय नहीं हो पाया है कि धरती पर ईसाइयत और
इस्लाम में से किसका वर्चस्व रहेगा? सोनिया मंदिर तोड़ना अपराध नहीं मानती. इसीलिए
मात्र कश्मीर में १९९२ से आज तक १०८ मंदिरों के तोड़ने की तो आज तक कोई जांच नहीं
हुई, लेकिन ४ मस्जिदों में विष्फोट के कारण हम भगवा आतंकवादी हैं. न्यायपालिका
असहाय है. जज न्याय करते ही जेल जायेगा.
कांग्रेस ने भारतीय संविधान का संकलन वैदिक सनातन धर्म और उसके
अनुयायियों को मिटाने के लिए किया है. ईसा १० करोड़ से अधिक अमेरिकी लाल भारतीयों व
उनकी मायासंस्कृतिको निगल गया. अब ईसा की भेंड़ सोनिया काले भारतीयों और उनकी वैदिक
संस्कृति को निगल रही है. वैदिक सनातन धर्म की रक्षा के लिए ईसाइयत और इस्लाम का धरती
से सफाया आवश्यक है.
हम अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार के लोग ईसाइयत और इस्लाम को
इंडिया में रखने वाले भारतीय संविधान को रद्द करने की मुहिम में लगे हैं. आशा है कि आप लोग वैदिक सनातन धर्म की रक्षा में व्यय करके ईसाइयत और इस्लाम को
मिटाने व इस राष्ट्र रक्षा में हर तरह से हमारा सहयोग करेंगे.
भारतीय संविधान ने राज्यपालों, जजों
व लोकसेवकों की पद, प्रभुता और पेट को वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश से जोड़ दिया है.
कांग्रेस ने भारतीय संविधान का संकलन कर जिन ईसाइयत और इस्लाम को इंडिया में रोका है, उन्होंने
जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया. लक्ष्य प्राप्ति में भले
ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए.
जिसने भी ईसाइयत और इस्लाम को संरक्षण देने वाले भारतीय संविधान में निष्ठा की शपथ ली
है, मानवता का शत्रु है.
भारतीय संविधान के अ० २९(१) ने नागरिकोंसे जीवन व अ० ३९(ग) ने
सम्पत्ति का अधिकार २६ जनवरी, १९५० से ही छीन लिया है. वोट द्वारा भी नागरिक सबको
दास बनाने वाले, मानव मात्र के हत्यारे, लुटेरे और बलात्कारी ईसाइयत और इस्लाम के भारतीय संविधान से प्राप्त इन अधिकारों को नहीं बदल सकते. स्वयं लोकसभा व सर्वोच्च न्यायलय भी कुछ नहीं कर
सकती.
काबा हमारा शिवमंदिर है, अजान ईश्वरनिन्दा है, मस्जिद सेनावास
हैं और कुरान सारी दुनिया में फुंक रही है. क्यों रहे इस्लाम?
नेताओं, सुधारकों, संतों, मीडिया, इस्लामी मौलवियों, मिशनरी
और जजों सहित लोकसेवकों द्वारा जानबूझ कर मानवता को धोखा दिया जा रहा हैं. सच छुपा नहीं है, न ही इसे
जानना मुश्किल है. मानव उन्मूलन की कीमत पर आतंकित और असहाय मीडिया जानबूझकर अनभिज्ञ बनी हुई है. मुसलमानों और ईसाइयों द्वारा तब तक जिहाद और मिशन जारी रहेगा, जब तक हम उनके साधन और प्रेरणा स्रोत को नष्ट न कर दें. उनके साधन
पेट्रो डालर और मिशनरी फंड और प्रेरणा स्रोत कुरान (कुरान
८:३९) और बाइबल (बाइबल, लूका
१९:२७) है| क्या अपने बचाव हेतु नवयुवक आर्यावर्त सरकार की सहायता करेंगे?
ईश्वर उपासना की दासता नहीं थोपता. (गीता
७:२१) और न लूट के माल का स्वामी है. (मनुस्मृति ८:३०८). हम अभिनव भारत और
आर्यावर्त सरकार के लोग वैदिक सनातन धर्म के अनुयायी हैं. मीडिया हम अभिनव भारत और
आर्यावर्त सरकार के पीछे इसलिए पड़ी है कि उनकी आका सोनिया को वैदिक सनातन धर्म से
खतरा है. इसके अतिरिक्त पोप इंडिया में आकर सोनिया को आदेश दे गया है कि २१ वीं
में सोनिया को पूरे एशिया को ईसा की भेंड़ बनाना है. आइये प्रण लें कि हम मनुष्यता
को तज कर भेंड़ नहीं बनेंगे.
आप अकेले यह युद्ध नहीं लड़ सकते. धरती पर
एक से बढ़ कर एक त्रिकालदर्शी, योद्धा, चिन्तक, समाज सुधारक और बुद्धिमान पैदा
हुए, लेकिन, मालेगांव व अन्य मस्जिदों पर
विष्फोट के अभियुक्त और जेल में निरुद्ध, जगतगुरु श्री अमृतानंद के
अतिरिक्त किसी ने भी ईसाइयत और इस्लाम का विरोध नहीं किया. उनके आशीर्वाद से हम आप
के लिए लड़ रहे हैं. क्या आप हम लोगों की सहायता करेंगे, ताकि आप की आँखों के सामने आप की सम्पत्ति और घर न लूट ले, आप के दुधमुंहे आप की आँखों के सामने पटक कर न मार डाले जाएँ, नारियों का सोनिया बलात्कार न करा पाए और आप कत्ल न हों? (बाइबल, याशयाह १३:१६).
यदि सोनिया को ही देश का सुपर
प्रधानमंत्री बनना था तो विक्टोरिया में क्या बुराई थी? एलिजाबेथ में क्या बुराई
है? क्यों बहाए हमारे पूर्वजों ने रक्त?
दासता मुक्त, सम्माननीय जीवन और वैदिक सनातन
धर्म चाहिए तो आर्यावर्त सरकार को सहयोग दें.
अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी.