CrPC196kii Vivashta 13o15
मस्जिदों
और चर्चों से ईशनिंदा का प्रसारण और
जाति
हिंसक शिक्षायें, जो भारतीय दंड संहिता की
धाराओं १५३ व २९५ के अधीन
राज्य के विरुद्ध गैर जमानती संज्ञेय अपराध है – यदि मुसलमान व ईसाई करे तो अपराध
नहीं मानी जातीं| लेकिन आत्मरक्षा
में भारतीय दंड संहिता की
धाराओं १०२ व १०५ के अधीन अपराधी संस्कृतियों ईसाइयत और इस्लाम का विरोध करने वाले
व्यक्ति पर अभियोग चलाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन
संस्तुति देने के लिए
राष्ट्रपति (भारतीय संविधान के
अनुच्छेद ६०) और राज्यपाल (भारतीय संविधान के
अनुच्छेद १५९) दोनों ही शपथ लेने के कारण विवश हैं| दंड
प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ की बाध्यता के कारण राष्ट्रपति, राज्यपाल और जिलाधीश के अतिरिक्त कोई भी
व्यक्ति-यहाँ तक कि जज व पुलिस भी नहीं-अज़ान का प्रसारण करने वाले और काफिरों को कत्ल करने की
शिक्षा देने वाले किसी इमाम के विरुद्ध अभियोग नहीं चला या चलवा सकता| लोकसेवक मुझे भूल जाएँ - अपनी, भावी
पीढ़ी और अपनी संस्कृति की रक्षा करें| |