IN THE COURT OF SH. SANDEEP GUPTA MM ROHINI DISTT. COURTS, DELHI FIR No. 406/2003 u/s 153A PS NARELA DELHI. FIR No. 166/2006 u/s 153A and 295A PS NARELA DELHI.State Vs Ayodhya Prasad Tripathi and another
सुनवाई की तारीख़: नवम्बर २४, २०१४. मुख्य न्यायमूर्ति सुश्री जी० रोहिणी, दिल्ली उच्च न्यायालय. – ११०००३ 1. आप एलिजाबेथ की दासी हैं| एलिजाबेथ ने आप को आपके अपने ही लोगों के जातिसंहार के लिए नियुक्त कराया है| दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन एलिजाबेथ के दास उप राज्यपाल के संस्तुति पर आप के उपरोक्त मातहत ने पद, प्रभुता और पेट के लोभ में स्वयं अपने ही सर्वनाश को सुनिश्चित करने के लिए हमको तबाह कर रखा है| हम ने बाबरी ढांचा गिराया है| हम मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस बम विष्फोट के अभियुक्त हैं| हम मानवमात्र को इस्लाम और ईसाइयत व उपनिवेश से मुक्ति दिलाने के लिए धरती के प्रत्येक मनुष्य से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं| आप सहित हम इस्लाम और ईसाइयत से पीड़ित हैं| दोनों आतताई संस्कृतियों को वैदिक सनातन संस्कृति को समूल नष्ट करने के लिए सत्ता के दलालों ने ब्रिटिश राजा छठे जार्ज से साठ गांठ कर इंडिया में रोक रखा है| 2. अब्रह्मी संस्कृतियों के अनुयायी हमें कत्ल करेंगे| आत्म रक्षा हमारा मानवाधिकार है| हम अपने अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं| एलिजाबेथ के उपनिवेश के दासों को हमारा उत्पीड़न करने का कोई अधिकार नहीं है| साध्वी प्रज्ञा व अन्य आर्यावर्त सरकार के अधिकारियों को आतताई अब्रह्मी संस्कृतियों को बचाने के लिए सताया जा रहा है| ताकि मानवजाति सम्मानपूर्वक न जी सके – जिए तो शासकों का दास बनकर| 3. बाइबल, लूका १९:२७ का आदेश है, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो|". स्वर्ग उन्हें ही मिलेगा, जो बपतिस्मा ले| एलिजाबेथ के साम्प्रदायिक साम्राज्य विस्तारवादी ईसा को अर्मगेद्दन द्वारा धरती पर केवल अपनी पूजा करानी है| हिरण्यकश्यप की दैत्य संस्कृति न बची और केवल उसी की पूजा तो हो न सकी, अब ईसा और ईसाइयत की बारी है| कुरान के अनुसार अल्लाह व उसके साम्प्रदायिक साम्राज्य विस्तारवादी खूनी इस्लाम ने मानव जाति को दो हिस्सों मोमिन और काफ़िर में बाँट रखा है| धरती को भी दो हिस्सों दार उल हर्ब और दार उल इस्लाम में बाँट रखा है| (कुरान ८:३९) काफ़िर को कत्ल करना व दार उल हर्ब धरती को दार उल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का मजहबी अधिकार है| चुनाव द्वारा भी इनमें कोई परिवर्तन सम्भव नहीं| इनके विरुद्ध कोई जज सुनवाई नहीं कर सकता| (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). जब हम सनातनियों का संहार हो जायेगा, तब मुसलमानों और गैर कैथोलिक ईसाइयों का जातिसंहार होगा| दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ प्रभाव: इंडिया ब्रिटिश उपनिवेश (डोमिनियन) है| {{भारतीय स्वतंत्रता (उपनिवेश) अधिनियम, १९४७, भारतीय संविधान का अ० ६(ब)(||)} व कामनवेल्थ मेम्बर}. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ ने १५ अगस्त, १९४७ से स्वातन्त्रय युद्ध को अपराध बना दिया है. 4. पाकपिता मोहनदास करमचन्द गांधी, मोहम्मद अली जिन्ना, जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ पटेल, वीर सावरकर और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर में एक समानता थी| सभी बैरिस्टर थे| सभी को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७, का पूरा ज्ञान था| आक्रांता अंग्रेजों ने इस अधिनियम को हॉउस ऑफ कामन्स में सत्ता के हस्तांतरण के पूर्व १८ जुलाई १९४७ को पास किया था, जिसके अनुसार ब्रिटेन शासित भारत का दो उपनिवेशों (भारत तथा पाकिस्तान) में विभाजन किया गया और १५ अगस्त १९४७ को भारत बंट गया। आप न्यायविद हैं लेकिन आप भी विरोध नहीं कर सकतीं! http://www.legislation.gov.uk/ukpga/Geo6/10-11/30 मस्जिदों से इमाम प्रतिदिन आप व विश्व के सर्वशक्तिमान
ओबामा सहित सभी अविश्वासियों के हत्या की, नारियों के
बलात्कार की, लूट की और उपासना स्थलों के विध्वंस की
निर्विरोध चेतावनी देते रहते हैं| राष्ट्रपति ओबामा सहित सभी
लोगों ने भय वश नहीं, बल्कि मानवमात्र को दास बनाने के रणनीति
के अंतर्गत, अपना जीवन, माल, नारियां और सम्मान इस्लाम के चरणों में डाल रखा है और दया की भीख मांगने
को विवश हैं| ई०स० ६३२ से आज तक इस्लाम और मस्जिद का एक
भी विरोधी सुरक्षित अथवा जीवित नहीं है| चाहे वह आसमा बिन्त
मरवान हों, या अम्बेडकर या शल्मान रुश्दी हों, या तसलीमा नसरीन या जगतगुरु अमृतानंद देवतीर्थ या साध्वी प्रज्ञा हों अथवा
मैं| विशेष विवरण के लिये नीचे की लिंक पर क्लिक करें:- http://society-politics.blurtit.com/23976/how-did-galileo-die- http://www.aryavrt.com/asma-bint-marwan
http://www.aryavrt.com/asama-binta-maravana हमने विरोध किया| इसीलिए एलिजाबेथ द्वारा प्रताड़ित किये जा रहे हैं| 5. इसके बाद सन १९४८ में बने बर्तानिया कानून के अंतर्गत हर भारत या पाकिस्तान वासी बर्तानिया की प्रजा है और यह कानून भारत या पाकिस्तान के तथाकथित सार्वभौम गणराज्य प्राप्त कर लेने के पश्चात भी लागू हैl 6. २२ जून १९४८ को भारत के दूसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l “मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ कि मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवं मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सेवा करूँगा l ” 7. जातिसंहारकों का संरक्षण, पोषण व संवर्धन सुनिश्चित करने के लिए भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१), भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ का संकलन किया गया है| यह अनुच्छेद अब्रह्मी संस्कृतियों को अपनी संस्कृतियों को बनाये रखने का असीमित मौलिक मजहबी अधिकार देता है! न्यायमूर्ति तभी तक जज रहेंगी, जब तक एलिजाबेथ का हित साधती यानी ईसा के राज्य का संरक्षण, पोषण व संवर्धन करती रहेंगी| 8. ईमाम काफिरों के इष्टदेवों की ईशनिंदा करता है. स्वयं दास है और आप की स्वतंत्रता छीनता है. ईमामों को दंडित करने के स्थान पर एलिजाबेथ ईमामों को न्यायपालिका से ही वेतन दिलवा रही है. जो सबके गरिमा का हनन करते हैं, उन ईमामों के गरिमा और जीविका की रक्षा के लिए, भारतीय संविधान के अनुच्छेद २७ का उल्लंघन कर वेतन देने का न्यायपालिका ने आदेश पारित किया है| (एआईआर, एससी, १९९३, प० २०८६). न्यायपालिका (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४) ने भारतीय संविधान, कुरान और बाइबल को संरक्षण भी दिया है| हज अनुदान को भी सर्वोच्च न्यायलय कानूनी मान्यता दे चुकी है| (प्रफुल्ल गोरोडिया बनाम संघ सरकार, http://indiankanoon.org/doc/709044/) यानी मानवता को मिटाने के लिए अज़ान, धर्मान्तरण, मस्जिद और चर्च न्यायपालिका द्वारा प्रायोजित व संरक्षित है| 9. लेकिन १५ अगस्त १९४७ से स्वयं आप सहित आज तक किसी ने, यहाँ तक कि किसी मुजाहिद ने भी नहीं, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ का विरोध नहीं किया| किसी मौलवी ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के विरुद्ध फतवा नहीं दिया और न कोई तालिबानी भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के विरुद्ध लड़ा. सब ने अपने अनुयायियों के साथ विश्वासघात किया और आप भी पीछे नहीं हैं| आप विरोध कर भी नहीं सकतीं| मात्र हमारी गुप्त सहायता कर सकती हैं| 10. न्यायमूर्ति जी! दिल्ली सरकार ने मुझ पर अब तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन संस्तुति के बाद भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन ४९ अभियोग चलाए| अन्य तो निपट गए, लेकिन ४ आज भी लम्बित हैं| यह संस्कृतियों का युद्ध है, जिसे हम १९९१ से लड़ रहे हैं| एक बार अमेरिका में चीन के राजदूत ने कहा, “भारत एक भी सैनिक बाहर भेजे बिना तमाम देशों पर विजय प्राप्त करने वाला दुनिया में एकमात्र देश है." हम आप का अहित नहीं करेंगे| लेकिन एलिजाबेथ आप को मिटाने के लिए आप का ही आज भी उपयोग कर रही है| मुझे कत्ल करवा कर या जेल भेज कर आप अपना व अपनी जाति का ही अहित करेंगी| यह युद्ध आप नहीं लड़ सकतीं| हमारी सहायता कर सकती हैं| अतः आप से आग्रह है कि मेरे व मेरे मालेगांव के ९ सहयोगियों का अभियोग निरस्त करा दें और विश्व के ५३ उपनिवेशों को एलिज़ाबेथ के चंगुल से मुक्त कराकर पुण्य अर्जित करें| आप की मुक्ति का मार्ग इस्लाम और ईसाइयत का समूल नाश है| 11. पैगम्बरों के आदेश और अब्रह्मी संस्कृतियों के विश्वास के अनुसार दास विश्वासियों द्वारा अविश्वासियों को कत्ल कर देना ही अविश्वासियों पर दया करना और स्वर्ग, जहाँ विलासिता की सभी वस्तुएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, प्राप्ति का पक्का उपाय है. 12. ईसाइयत और इस्लाम संस्कृतियों ने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया| लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए| लोकसेवक यह न भूलें कि एलिजाबेथ मानवजाति को मिटाने में लिप्त है| आज जीविका, पद और प्रभुता के लोभ में जो अपराध और पाप लोकसेवक कर रहे हैं, वह उनका ही काल बन जायेगा| प्रार्थना अतः हम आप से प्रार्थना करते हैं कि इस प्रार्थना पत्र को जन हित याचिका के रूप में स्वीकार करें और हमारे दोनों अभियोगों का निस्तारण स्वयं करें| हमारे विरुद्ध NBW और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ८२ के अधीन चलने वाली कार्यवाही स्थगित करें| मैं ८१ वर्ष का होने वाला हूँ| मैं अर्थाभाव और वृद्धा वस्था की बीमारियों से पीड़ित हूँ| अतएव मुझे कानूनी सहायता दिलाने की कृपा करें| (अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सू० स०) फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१) वर्तमान पता; मंगल आश्रम, मुनि की रेती, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड. CC to; Hon'ble Mr. Justice R.M. Lodha, President of India, PM NMO |