पूज्य
स्वामी चिन्मयानन्द जी,
Mumukshu Ashram
Shahjahanpur
PIN: 242 001
Uttar Pradesh India
गुरुवार, 17 मई 2012
स्वामी
जी को सादर प्रणाम!
आप के विरुद्ध आप की
शिष्या चिदर्पिता द्वारा लगाये गए आरोपों और इलाहाबाद उच्च
न्यायालय के विरोध में मुझे कहना है कि
आप ने मेरी पुलिस
उत्पीडन के विरुद्ध गृह राज्य मंत्री होते हुए बड़ी सहायता की है| अतः मै आप का ऋणी
हूँ| मेरे विरुद्ध भाजपा ने केवल ३४ अभियोग चलाए| मुझ पर अब तक कुल ५० अभियोग ही
चले| जीवन भर पुलिस की तब तक लाठियां खाईं हैं, जब तक होश में रहा हूँ| वह इसलिए कि
मैं नहीं चाहता कि सोनिया आप की आँखों के सामने आप की सम्पत्ति और घर लूट ले|
आप के दुधमुंहे आप की आँखों के सामने
पटक कर मार डाले जाएँ| नारियों
का सोनिया बलात्कार करा पाए और आप कत्ल हों? (बाइबल, याशयाह १३:१६). मुझे दुःख इस बात का है कि आप ने सोनिया के विरुद्ध अब
तक कोई मोर्चा नहीं खोला|
आप के विरुद्ध तो एक शिष्या के शोषण का आरोप है, लेकिन क्या आप
जानते हैं कि ईसाइयत और इस्लाम का अस्तित्व ही यौन शोषण और लूट पर टिका
है?
मुसलमान
इतिहासकार सगर्व लिखते हैं कि मुहम्मद ने कितने शांतिप्रिय नागरिकों को कत्ल किया.
कितने मंदिर तोड़े. कितनी अबला नारियों के गहने लूटे, उनके सगे-सम्बन्धियों को कत्ल
किया और उसी रात उनका बलात्कार किया. लेकिन जब सर्बो ने मुसलमान नारियों का
बलात्कार किया और जब लेबनान के नागरिक ठिकानों पर इजराएल ने बमबारी की तो
मुसलमानों को मानवाधिकार याद आ गया. अफगानिस्तान और इराक पर अमेरिकी आधिपत्य से
मुसलमान आतंकित हैं. लेकिन मुसलमान भूल गए हैं कि अल्लाह ने मुसलमानों को सृष्टि
सौँप रखी है (कुरान २:२५५) और ईसा ने ईसाइयों को हर उस व्यक्ति को कत्ल करने का
अधिकार दे रखा है, जो ईसा को अपना राजा स्वीकार नहीं करता. (बाइबल, लूका १९:२७). मुसलमान विचार करें कि तब क्या
होगा, जब ईसाई मुसलमानों को कत्ल कर विश्व के सभी इस्लामी राज्यों पर आधिपत्य जमा
लेंगे? अकेले इजराएल से तो मुसलमान निपट नहीं पाए, सभी ईसाई राज्यों से मुसलमान
कैसे निपटेंगे?
मूसा पहला
व्यक्ति था जिसने लूट, बलात्कार और हत्या को मन-गढ़न्त जेहोवा द्वारा घोषित हठधर्म
बताया. मूसा ने मिस्र के मूल निवासियों और उनकी संस्कृति का विनाश कर दिया. आज उसी
मिस्र से यहूदी लुप्त हो गए. नाजी मिटे, समाजवादी मिटे. दैत्य और रक्ष संस्कृतियाँ
भी मिट गई| आप सोये रहे तो वैदिक सनातन धर्म भी मिट जायेगा|
कृपया हमारी
निम्नलिखित वेबसाइट पढ़ें:-
http://www.aryavrt.com/nl-petition-transfered
http://www.aryavrt.com/Home/bhrsht-sonia
http://www.aryavrt.com/Home/hindi-manifesto
http://www.aryavrt.com/Home/petition-transfer-lg
गृह राज्य मंत्री के कार्य काल में आप ने जिन
भारतीय संविधान के अनुच्छेदों २९(१) व ३९(ग) में आस्था
व निष्ठा की शपथ ली थी, वे आप को जीवन, सम्पति, मंदिर, उपासना और स्वतंत्रता का
अधिकार नहीं देते| धरती की किसी नारी की मर्यादा नहीं बच सकती| राज्यपाल ने आप के
इन्हीं हत्यारों, लुटेरों, आप की आस्था का अपमान करने वालों और नारियों के
बलात्कारियों के अधिकारों के रक्षा की शपथ ली है| (भारतीय संविधान का अनुच्छेद १५९). आप के पास प्राइवेट प्रतिरक्षा (भारतीय दंड
संहिता की धाराएँ १०२ व १०५) का भी अधिकार नहीं है| राज्यपाल दंड प्रक्रिया संहिता
की धारा १९६ के अधीन अजान द्वारा आप को गाली दिलवाने के लिए विवश हैं| आप को अपने
वैदिक सनातन धर्म की रक्षा का कोई अधिकार नहीं है|
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मस्जिदों से ईमाम और मौलवी मुसलमानों को बताते हैं कि गैर-मुसलमानों को कत्ल कर दो| इतना ही नहीं, मस्जिद से
इस्लामी सिद्धांत को स्पष्ट करते हुए पाकिस्तानी मौलिक धर्मतंत्री सैयद अबुल आला
मौदूदी घोषित करता है कि इस्लाम विश्व की पूरी धरती चाहता है – उसका कोई भूभाग नहीं, बल्कि पूरा ग्रह – इसलिए नहीं कि ग्रह
पर इस्लाम की सार्वभौमिकता के लिए तमाम देशों को आक्रमण कर छीन लिया जाये बल्कि
इसलिए कि मानव जाति को इस्लाम से, जो कि मानव मात्र के
सुख-समृद्धि(?) का कार्यक्रम है, लाभ हो|
मौदूदी जोर दे कर कहता है कि यद्यपि गैर-मुसलमान झूठे
मानव निर्मित मजहबों को मानने के लिए स्वतन्त्र हैं, तथापि उनके पास अल्लाह के
धरती के किसी भाग पर अपनी मनुष्य
निर्मित गलत धारणा की हुकूमत चलाने का कोई अधिकार नहीं| यदि वे (काफ़िर) ऐसा करते हैं, तो मुसलमानों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे काफिरों की
राजनैतिक शक्ति छीन लें और उनको (काफिरों को) इस्लामी तौर तरीके से जीने के लिए
विवश करें|
एकेश्वरवाद - दास बनाने की अनूठी विधि
सबको दास बनाना और स्वयं दास बनना
ईसाइयत (बाइबल, उत्पत्ति
२:१७) और इस्लाम (कुरान २:३५) के मूर्ख अनुयायियों की फितरत है. एकेश्वरवाद के
अनुसंधान का यही कारण है. मूसा एकेश्वरवाद का जनक है. मसीह ईसा और मुहम्मद तो
नकलची थे| जेहोवा और अल्लाह से क्रमशः मूसा और मुहम्मद ही मिल सकते हैं. इस प्रकार
धूर्त पैगम्बरों ने मानव मात्र को दास बनाने की अनूठी विधि ढूंढ रखी है. यहूदी
मूसा का दास है और मुसलमान मुहम्मद का. जो दास नहीं बनता उसे पैगम्बर लूट और नारी
बलात्कार का लोभ देकर कत्ल कराते हैं. इस प्रकार ईसाइयत और इस्लाम मानव मात्र को
दास बनाने का अमोघ अस्त्र है, पैगम्बर तो रहे
नहीं-उत्तराधिकार शासकों (सोनिया को) और पुरोहितों को सौँप गए हैं.
दासता को पुष्ट करने के लिए नागरिक के
सम्पत्ति को छीना जाना आवश्यक है. अतएव
संविधान के अनुच्छेद २९(१) का संकलन कर
ईसाइयत और इस्लाम को अपने लूट, हत्या, बलात्कार और धर्मान्तरण की संस्कृति को बनाये रखने का मौलिक
अधिकार दिया गया है. इसके अतिरिक्त राज्यपालों और प्रेसिडेंट को भारतीय संविधान के
संरक्षण, संवर्धन
व पोषण का अनुच्छेदों १५९ व ६० के अंतर्गत भार सौंपा गया है. लोकसेवकों को संरक्षण
देने के लिए भी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९७ बनाई गई है. जो भी लूट व अजान का
विरोध करे उसे उत्पीड़ित करने की भी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अंतर्गत
व्यवस्था की गई है| इसलिए धरती पर अजान होना और मस्जिद रहना गैर-मुसलमान के गले पर
रखी हुई तलवार है|
यदि आप स्वयं का एवं
मानव जाति का भला करना और अखंड साम्राज्य चाहते हों तो गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को
पुनर्जीवित करिये| प्रजा को सम्पत्ति और पूँजी रखने का अधिकार दीजिए| गायत्री, गीता, गंगा और गो वैदिक सनातन धर्म की आधार शिलाएं
हैं| इन को मिटाया जा रहा है| बैल आधारित खेती और गो वंश की वृद्धि
को प्रोत्साहित कीजिए| आप पुनः इंडिया को सोने की चिड़िया भारत बना देंगे|
आप कृष्ण के वंशज
है, जिन्होंने मानव जाति को गीता में उल्लिखित निष्काम कर्म योग का उपदेश दिया है|
आप को उपासना की स्वतंत्रता दिया है (गीता ७:२१) और बताया है कि दूसरे का मजहब भय
देने वाला है| दोनों श्लोक नीचे देखें,
श्रेयान्स्वधर्मो
विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् ।
स्वधर्मे निधनं
श्रेयः परधर्मो भयावहः ॥ (गीता ३:३५)
भावार्थ : अच्छी प्रकार आचरण में लाए हुए दूसरे के धर्म
से गुण रहित भी अपना धर्म अति उत्तम है। अपने धर्म में तो मरना भी कल्याणकारक है
और दूसरे का धर्म भय को देने वाला है| (गीता ३:३५)
यो यो यां यां तनुं
भक्तः श्रध्यार्चितुमिच्छति|
तस्य तस्याचलां
श्रधां तामेव विदधाम्यहम|| (गीता ७:२१)
जो जो भक्त जिस जिस
देवता की श्रद्धापूर्वक पूजा करना चाहता है, उस-उस देवता के प्रति मै उसकी श्रद्धा
को दृढ़ कर देता हूँ| (गीता ७:२१)
मुसलमान और ईसाई लोग
स्वेच्छा से दासता स्वीकार करते हैं, इसीलिए शासकों से संरक्षण और सहायता पा रहे
हैं. इसके अतिरिक्त मुसलमान (कुरान ८:३९) और ईसाई (बाइबल, लूका १९:२७) दोनों ही स्वयं दास हैं और मानवमात्र को
दास बनाने के लिए युद्धरत हैं, ताकि उनको मूर्खों का स्वर्ग मिले. [(बाइबल,
उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५)]. {भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१)}
इन परिस्थितियों में
मानवमात्र को उपासना और सम्पत्ति की स्वतंत्रता देने वाले वैदिक सनातन धर्म को मिटाना
विश्व राजनीति का आवश्यक अंग बन गया है. अतएव यदि वैदिक सनातन धर्म बचाना हो तो
ईसाइयत और इस्लाम का समूल नाश आवश्यक है.
दैवी शक्तियाँ,
परमानन्द और निरोग जीवन चाहिए तो गुरुकुलों को पुनर्जीवित करिये|
वीर्यवान सांड को
बांधा भी नहीं जा सकता. दास (बैल) बनानेकेलिए किसान सांड़को वीर्यहीन करदेताहै| वीर्यहीन
होते ही वह बैल बन कर किसान के लिए अन्न पैदा करता है, जिसे किसान स्वयं खा जाता
है और बैल को भूसा खिलाता है| दास बनानेहेतु पैगम्बरोंने बलात्कार, खतना व
कुमारी माताओं को मजहबसे जोड़दिया|
वीर्यहीन व्यक्ति अपनी
इन्द्रियों और शक्तिवान का दास ही बन सकता है, स्वतन्त्र नहीं रह सकता| वीर्यहीन व्यक्ति का मानवाधिकार नहीं
होता| वीर्य हीन मनुष्य रोगग्रसित चलता फिरता मुर्दा और दास है| मल ही बल है और
वीर्य ही जीवन| वीर्य अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों का दाता, स्वतंत्रता, परमानंद,
ओज, तेज और स्मृति का जनक है|
विद्या मात्र
ब्रह्मविद्या है और ज्ञान मात्र ब्रह्मज्ञान| वीर्यरक्षा के बिना ब्रह्मज्ञान
सम्भव नहीं| वीर्य के रक्षा की शिक्षा गुरुकुलों में निःशुल्क दी जाती थी, जिसे
मैकाले ने मिटा दिया| भारतीय संविधान की शपथ लेने के कारण आप वैदिक सनातन धर्म और
मानव जाति की रक्षा नहीं कर सकते| ईसाइयत और इस्लाम को मिटाने के लिए आप अभिनव भारत और
आर्यावर्त सरकार को सहयोग दे सकते हैं|
शासक, समाजवाद,
ईसाइयत और इस्लाम, यहूदी और मुसलमान का खतना अथवा यौन शिक्षा अथवा मुक्त यौन
सम्बन्ध की आजादी के बहाने आप को वीर्य हीन बना कर दास बना रहे हैं व ईसाई को भेंड़
बना रहे हैं| प्रजा तंत्र के ठग आप की नसबंदी कराते हैं| हम वीर्यहीन बनने के लिए
तैयार नहीं हैं| स्वतंत्रता और विवेक के लिए इन मजहबों में कोई स्थान नहीं है| कुरान २:३५ व बाइबल, उत्पत्ति २:१७. हम गायत्री मंत्र द्वारा
ईश्वर से बुद्धि को सन्मार्ग पर ले जाने की प्रार्थना करते हैं| हमारी गीता मानव
मात्र को उपासना की आजादी देती है| (गीता ७:२१), हम जेहोवा और अल्लाह के
उपासना की दासता स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं| अजान व नमाज को पूजा मानने
के लिए तैयार नहीं हैं| मैं आतताई अल्लाह व जेहोवा को भगवान मानने के लिए तैयार
नहीं हूँ और न अजान व नमाज को पूजा मानता हूँ| हम बेटी (बाइबल, १, कोरिन्थिंस ७:३६) से विवाह कराने वाले
ईसा व पुत्रवधू (कुरान, ३३:३७-३८)
से निकाह कराने वाले अल्लाह और धरती के किसी नारी के बलात्कार के बदले स्वर्ग देने
वाले (बाइबल, याशयाह
१३:१६) व (कुरान २३:६) जेहोवा और अल्लाह को ईश्वर मामने के लिए तैयार नहीं हैं|
हम भारतीय संविधान, कुरान व बाइबल को मानवता का शत्रु मानते
हैं और मस्जिद, जहां से हमारे ईश्वर की निंदा की जाती है, को नष्ट कर रहे हैं| हम जानना चाहते हैं
कि अजान का विरोध और मस्जिद का विष्फोट अपराध कैसे है? जो भी ईसाइयत और इस्लाम का
समर्थक है, मानव जाति का शत्रु है| वह जीवित नहीं बचेगा!
किसान सांड को वीर्यहीन
कर बैल बनाता है और शासक यहूदी और मुसलमान का खतना कर और नागरिकों की नसबंदी कर दास
बनाते हैं| स्वतंत्रता और विवेक
के लिए इन मजहबों में कोई स्थान नहीं है| कुरान २:३५ व बाइबल, उत्पत्ति
२:१७. चूंकि गीता उपासना की आजादी देती है, अतएव बेटी (बाइबल, १, कोरिन्थिंस
७:३६) व पुत्रवधू (कुरान, ३३:३७-३८)
से विवाह करने वाले और धरती के किसी नारी के बलात्कार के बदले स्वर्ग पाने वाले
(बाइबल, याशयाह १३:१६) व (कुरान
२३:६) दास और भेंड़ वैदिक सनातन धर्म को कैसे सहन करेंगे? सोनियातंत्र द्वारा वेश्याओं के महिमा मंडन का यही
कारण है|
पूतना संस्कृति की
अनुयायी सोनिया को परेशानी यह है कि हम वैदिक सनातन धर्म के अनुयायी कुमारी माताओं
को संरक्षण और सम्मान नहीं देते| जब कि प्रायः सभी अमेरिकी और यूरोपीय ईसाई
परिवारों में कुमारी माताएं पायी जाती हैं| यहाँ तक कि आप
की कन्या को बिना विवाह बच्चे पैदा करने के अधिकार का संयुक्त राष्ट्र संघ कानून
पहले ही बना चुका है. [मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा. अनुच्छेद २५(२)]. हमारे विरोध के कारण वीर्यहीनता के प्रसार और मनुष्य को बैल/भेंड़ बनाने में सोनिया को कठिनाई हो रही
है|
व्यभिचार
से उत्पन्न ईसा अपने अनुयायियों को स्वयं पापी व व्यभिचारी बनाता है. बाप की
कुदृष्टि पुत्रवधुओं और बेटियों पर रहती है, जो माँ-बेटी, सास-बहुओं और बाप-बेटों
में कलह व कुंवारी माताओं के उत्पत्ति का कारण बनती है.
आर्य अपनी बेटी या
पुत्रवधू से विवाह नहीं करते| जब कि हर ईसाई को सोनिया के ईसा ने अपनी बेटियों से
विवाह का अधिकार दिया है. (बाइबल, १,
कोरिन्थिंस ७:३६)
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और अल्लाह ने पुत्रवधू
से निकाह का अधिकार. (कुरान, ३३:३७-३८).
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मुसलमान व ईसाई के पास किसी भी नारी के बलात्कार का भारतीय संविधान के अनुच्छेद
२९(१) से अधिकार प्राप्त है. [(कुरान २३:६) (बाइबल, याशयाह १३:१६)].
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आर्य ईसा को अपना राजा स्वीकार नहीं
करते| (बाइबल, लूका १९:२७).
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आर्य
संसार को पापस्थल और सबको पापी स्वीकार नहीं करते. आर्य यह भी स्वीकार नहीं करते
कि यदि वे बपतिस्मा नहीं लेते तो उन्हें स्वर्ग नहीं मिलेगा और वे नर्क में
जायेंगे और सदा नर्क की आग में जलते रहेंगे| आर्य यह भी स्वीकार नहीं करते कि यदि
वे बपतिस्मा ले लेंगे तो स्वर्ग जायेंगे और ईसा के साथ सदा रहेंगे| उनके सारे
अपराध क्षमा कर दिए जायेंगे, चाहे उन्होंने कितने भी कत्ल, बलात्कार और लूट-मार
किये हों! आर्य विवेक में विश्वास करते हैं, जिसे ईसाइयों से जेहोवा छीन लेता है|
(बाइबल, उत्पत्ति २:१७).
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ईसाई
अकाट्य प्रमाणों के बाद भी विश्वास कर रहे हैं कि जारज व प्रेत ईसा जेहोवा का
इकलौता पुत्र है, जो तलवार चलवाने (बाइबल, मत्ती १०:३४)
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व मानवता को कत्ल कराने नहीं (बाइबल, लूका १९:२७) आया, बल्कि मूर्ख (बाइबल, उत्पत्ति २:१७) ईसाइयों को मुक्ति दिलाने आया
है| परिवार में शत्रुता पैदा कराने नहीं, अपितु प्रेम, सदाचार, सम्मान व मर्यादा
स्थापित कराने आया है| (बाइबल, मत्ती
१०:३५-३६) व (बाइबल, लूका
१२:५१-५३).
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ईसाई इसी ईसा की
पापी भेंड़े बनने के लिए अपने ज्ञान (बाइबल, उत्पत्ति २:१७) को तिलांजलि दे, स्वेच्छा से
शासकों व पुरोहितों के दास बन चुके हैं| यही हाल लोकसेवकों का है| भारतीय संविधान
का अनुच्छेद २९(१) व संविधानकाअनुच्छेद ३९(ग).
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अतएव गो-नरभक्षी सोनिया आर्यों का
मांस खायेगी और लहू पिएगी| (बाइबल, यूहन्ना ६:५३).
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ऐसे ईसाइयत और इस्लाम के संरक्षक
भारतीय संविधान का हम उन्मूलन करना चाहते हैं|
ईसाइयत और इस्लाम मानव
मात्र को अपराधी व दास बनाने वाली संस्कृतियाँ हैं| चरित्र के लिए इनमे कोई स्थान
नहीं है| ईसाइयत और इस्लाम का लक्ष्य क्रमशः अर्मगेद्दन (armageddon) द्वारा ईसा
के द्वितीय आगमन पर संसार को दास बना कर ईसा का राज्य स्थापित करना है
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और जिहाद
द्वारा मानवमात्र को दास बनाकर धरती पर इस्लामी शरियत का राज्य स्थापित करना है|
यदि ईसाइयत रहेगी तो सबको
ईसा की बुद्धिहीन भेंड़ बन कर ईसा की दासता स्वीकार करनी पड़ेगी (बाइबल, लूका १९:२७) और इस्लाम धरती पर रहेगा तो सबका
खतना होगा| (कुरान ८:३९).
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ईसाइयत और इस्लाम रहेगा तो कोई मंदिर नहीं बच सकता. (बाइबल,
व्यवस्था विवरण १२:१-३)
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व (कुरान,
बनी इस्राएल १७:८१ व कुरान, सूरह
अल-अम्बिया २१:५८).
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किसी
नारी की मर्यादा नहीं बच सकती. इस्लाम सदा सदा के लिए काफिरों के गले पर रखी हुई
तलवार है. अजान गैर-मुसलमान मानव जाति के आराध्य देवों का अपमान और भारतीय दंड
संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन संज्ञेय गैर-जमानती अपराध है
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जिसके बदले
दण्डित करने के स्थान पर ईमामों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद २७ का उल्लंघन कर
१० अरब रुपयों वार्षिक से अधिक वेतन दिया जा रहा है. (एआईआर, एससी, १९९३, प० २०८६).
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अंग्रेजों की
कांग्रेस ने भारतीय संविधान का संकलन कर जिन विश्व की सर्वाधिक आबादी ईसाइयत और
दूसरी सर्वाधिक आबादी इस्लाम को वैदिक सनातन धर्म को मिटाने के लिए इंडिया में
रोका है, उन्होंने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट
कर दिया. लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक
विफल नहीं हुए| भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) से अधिकार प्राप्त कर ईसाइयत व
इस्लाम मिशन व जिहाद की हठधर्मिता के बल पर वैदिक संस्कृति को मिटा रहे हैं| मंदिर
तोड़ रहे हैं| चढ़ावों को लूट रहे हैं| वे हठधर्मी सिद्धांत हैं, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि
मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ
और मेरे सामने घात करो." (बाइबल, लूका १९:२७) और "और तुम उनसे (काफिरों से) लड़ो यहाँ तक कि फितना
(अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की उपासना) बाकी न रहे और दीन (मजहब) पूरा
का पूरा (यानी सारी दुनियां में) अल्लाह के लिए हो जाये." (कुरान, सूरह अल अनफाल ८:३९). (कुरान,
बनी इस्राएल १७:८१ व कुरान, सूरह
अल-अम्बिया २१:५८). (बाइबल, व्यवस्था विवरण १२:१-३). स्पष्टतः वैदिक सनातन धर्म मिटाना दोनों का
घोषित कार्यक्रम है. (कुरान ८:१२). स्वामी जी! यदि आप ने हमे सहयोग नहीं दिया तो आप
का मुमुक्ष आश्रम अंततः चर्च बन जायेगा| ईसा १० करोड़ से अधिक अमेरिकी लाल
भारतीयों और उनकी माया संस्कृति को निगल गया. अब ईसा की भेंड़ सोनिया काले भारतीयों
और उनकी वैदिक को संस्कृति निगल रही है. सोनिया रहेगी तो मानव जाति ही डायनासोर की भांति लुप्त हो
जायेगी! आप किस खेत की मूली हैं? जिन्हें देश, वैदिक सनातन धर्म और सम्मान
चाहिए-हमारी सहायता करें. अन्यथा मिटने के लिए तैयार रहें.
वर्तमान परिस्थितियों में सोनिया द्वारा सबका
भयादोहन हो रहा है| लोक सेवक लूटें तो जेल जाएँ और न लूटें तो जेल जाएँ| भारतीय
संविधान ने चिदम्बरम सहित दया
के पात्र मीडिया कर्मियों, विधायकों, सांसदों, जजों, राज्यपालों और लोक सेवकों के पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा
है. या तो वे स्वयं अपनी मौत स्वीकार करें, अपनी नारियों का अपनी आखों के सामने बलात्कार कराएँ, शासकों (सोनिया व हामिद) की दासता स्वीकार करें व अपनी संस्कृति
मिटायें अथवा नौकरी न करें. इनके अपराध परिस्थितिजन्य हैं, जिनके लिए भारतीय संविधान उत्तरदायी है. भारतीय
संविधान ने इनकी पद, प्रभुता और पेट को वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश से जोड़ दिया
है| ऐसे भारतीय संविधान को रद्दी की टोकरी में डालना अपरिहार्य है| हम अभिनव भारत
और आर्यावर्त सरकार के लोग खूनी ईसाइयत और इस्लाम को इंडिया में रखने वाले भारतीय संविधान को रद्द करने की मुहिम में लगे हैं| सोनिया के देश पर
आधिपत्य को स्वीकार करते ही प्रत्येक नागरिक ईसा की भेंड़ है. अगर हम जीवित रहना चाहते हैं, तो हमारे पास लोकतंत्र, इस्लाम और ईसाई मजहब को समाप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
सोनियातंत्र
इंडिया
में गणतंत्र नहीं सोनिया केलिए, सोनिया द्वारा चुनागया
सोनियातंत्र है| सर्वविदित है कि प्रेसिडेंट प्रतिभा का मनोनयन सोनिया ने किया|
प्रधानमंत्री, सभी राज्यपाल व सभी कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्य मंत्री सोनिया
द्वारा मनोनीत हैं| यदि सोनिया को ही देश का सुपर
प्रधानमंत्री बनना था तो विक्टोरिया में क्या बुराई थी? एलिजाबेथ में क्या बुराई
है? क्यों बहाए हमारे पूर्वजों ने रक्त?
सोनिया ईसाई है|
ईसाइयत के प्रवर्तक ईसा के
बाप को स्वयं ईसाई ही नहीं जानते| ईसाई ईसा को पवित्र प्रेत भी मानते हैं| बेटी (बाइबल, १,
कोरिन्थिंस ७:३६) व
पुत्रवधू (कुरान, ३३:३७-३८) से विवाह करने वाले और धरती के
किसी नारी के बलात्कार के बदले स्वर्ग पाने वाले (बाइबल, याशयाह १३:१६) व (कुरान २३:६) दास और भेंड़ सोनिया के मातहत और उपकरण
लोकसेवक आप को चिदर्पिता के यौन शोषण का दोषी कैसे कह सकते हैं?
कौन
है सोनिया?
वैदिक पंथी ईसाइयत के विरुद्ध हैं. देश की छाती पर सवार जेसुइट सोनिया ने
निम्नलिखित शपथ ली हुई है:-
“…
मै यह भी प्रतिज्ञा करती हूँ कि जब भी
अवसर आएगा, मै
खुले रूप में पंथद्रोहियों से, फिर वे प्रोटेस्टैंट हों या उदारवादी, पोप के आदेश
के अनुसार, युद्ध करूंगी और विश्व से उनका सफाया करूंगी और इस मामले में मै न उनकी
आयु का विचार करूंगी, न लिंग का, न परिस्थिति का. मै उन्हें फांसी पर लटकाऊंगी,
उन्हें बर्बाद करूंगी, उबालूंगी, तलूंगी और (उनका) गला घोटूंगी| इन दुष्ट पंथ
द्रोहियों को जिन्दा गाडून्गी| उनकी स्त्रियों के पेट और गर्भाशय चीर कर उनके
बच्चों के सिर दीवार पर टकराऊँगी, जिससे इन अभिशप्त लोगों की जाति का समूलोच्छेद
हो जाये| और जब खुले रूप से ऐसा करना सम्भव न हो तो मै गुप्त रूप से विष के
प्याले, गला घोटने की रस्सी, कटार या सीसे की गोलियों का प्रयोग कर इन लोगों को
नष्ट करूंगी| ऐसा करते समय मै सम्बन्धित व्यक्ति या व्यक्तियों के पद, प्रतिष्ठा,
अधिकार या निजी या सार्वजनिक स्थिति का कोई विचार नहीं करूंगी| पोप, उसके एजेंट या
जीसस में विश्वास करने वाली बिरादरी के किसी वरिष्ठ का जब भी, जैसा भी निर्देश
होगा, उसका मै पालन करूंगी|”
गो और मानव भक्षी (बाइबल, यूहन्ना
६:५३) सोनिया को भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) ने सबकी सम्पत्ति और पूँजी
लूटने
का अधिकार दिया है और अनुच्छेद २९(१) ने जो भी ईसा को राजा स्वीकार न
करे-उसे कत्ल करने का अधिकार. (बाइबल, लूका
१९:२७). हर ईसाई भेंड़ व मूर्ख (बाइबल, उत्पत्ति
२:१७) है और हर मुसलमान मूर्ख (कुरान २:३५) और मुजाहिद.
दुष्चरित्र ईसाइयत
और इस्लाम
यहूदीवाद, ईसाइयत और
इस्लाम की मौलिक कमजोरी उनके चारित्रिक दोष में है. ईसाइयत और इस्लाम व्यक्ति के
व्यक्तिगत विवेक का उन्मूलन कर उसे बिना सोचे समझे हठी मजहबी सिद्धांतों की अधीनता
को स्वीकार करने के लिए विवश करते हैं. ईसा व मुहम्मद ने मानव की पीढ़ियों से संचित
व हृदय से सेवित सच्चरित्रता, सम्पत्ति व उपासना की स्वतंत्रता और नारियों की
गरिमा व कौमार्य को लूट व यौनाचार के लोभ में इनके अनुयायियों से छीन लिया है.
कुरान व बाइबल हर विवेक, तर्क या प्राकृतिक सिद्धांतों के ऊपर हैं| वह बात भी और
वह निंदनीय कार्य भी सही है, जिसे स्वाभाविक नैतिकता की कसौटी पर स्वयं इन
पैगम्बरों के गढे ईश्वर भी सही नहीं मानते, क्यों कि पैगम्बरों ने ऐसा कहा व किया
था| उदाहरण के लिए चोरी, लूट व नारी बलात्कार ईसाइयत और इस्लाम दोनों में निषिद्ध
है| लेकिन इतर धर्मावलंबियों की लूट (कुरान ८:१, ४१ व ६९) व नारी बलात्कार स्वर्ग प्राप्ति का एकमात्र उपाय है|
ईसाइयत और इस्लाम के ईश्वरों ने विवेक व सहज अंतरात्मा के उद्गार को निषिद्ध कर
दिया है| (बाइबल, उत्पत्ति
२:१७) व (कुरान २:३५) ईसाइयत और इस्लाम के अनुयायियों के बाइबल व कुरान के आज्ञाओं
व मुहम्मद व ईसा के कार्यकलापों पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता| (कुरान ५:१०१ व १०२).
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(एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४).
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मानव अपनी तर्क-बुद्धि से कुछ भी कह या कर नहीं सकता.
स्वाध्याय व आत्मचिंतन के लिए ईसाइयत और इस्लाम में कोई स्थान नहीं| अशांति,
हत्या, लूट व बलात्कार के विरुद्ध भी, जिनका ईसाइयत और इस्लाम समर्थन करते हैं,
अनंत काल से प्रतिपादित वेदों व स्मृतियों का प्रयोग सर्वथा वर्जित है|
इस्लाम सदा सदा के
लिए काफिरों के गले पर रखी हुई तलवार है. अजान गैर-मुसलमान मानव जाति के आराध्य
देवों का अपमान और भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन संज्ञेय
गैर-जमानती अपराध है-जिसके बदले दण्डित करने के स्थान पर ईमामों को भारतीय संविधान
के अनुच्छेद २७ का उल्लंघन कर १० अरब रुपयों वार्षिक से अधिक ईमामों को वेतन दिया
जा रहा है. (एआईआर, एससी, १९९३, प० २०८६). आप अजान, नमाज, ईमाम या कुरान को ईशनिंदा का दोषी
नहीं ठहरा सकते| लेकिन यदि आप कुरान की असलियत को प्रकाशित कर दें तो ईश-निंदक
हैं| सारी विषमताओं के होते हुए भी कुरान व बाइबल पर उंगली नहीं उठाई जा सकती. ऐसा
करना ईश-निंदा है. जिसके लिए ईसाइयत और इस्लाम में मृत्युदंड है और भारतीय दंड
संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन संज्ञेय गैर-जमानती अपराध है, जो दंड प्रक्रिया
संहिता की धारा १९६ द्वारा राज्यपालों से नियंत्रित है और मात्र हिंदुओं पर लागू
है|
मुहम्मद के कार्टून
बनाने पर ईशनिंदा के लिए मौत का फतवा देने वाले मूर्ख मुसलमान (कुरान २:३५), वैदिक
सनातन धर्म का और ईश्वर का, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन सरकार
द्वारा दिए गए संरक्षण में हमारे कर के वेतन से अजान द्वारा हमारे ईश्वर का अपमान
क्यों करते हैं? (एआईआर, एससी, १९९३, प० २०८६) ईश निंदा के अपराध में हम
मुसलमानों को कत्ल क्यों न करें? पाकपिता गाँधी और भारतीय संविधान ने हमसे उपासना
की ‘स्वतंत्रता’ का वादा किया गया है, ईमाम मस्जिदों
से, "ला इलाहलिल्लाहू मुहम्मद्दुर रसुल्ल्लाहू" क्यों चिल्लाते हैं? हम
अल्लाह के उपासना की दासता क्यों स्वीकार करें? ईश्वर का अपमान कराने वाली सरकार
को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं.
मानव जाति जीवित नहीं
बच सकती. मीडिया यह सवाल नहीं उठाती.
जब मानव के विश्वास
को ठेस लगती है तो वह प्रतिवाद पर उतर आता है| मुसलमान और ईसाई प्रतिवाद की आड़ में
जीते हैं. बाइबल के अनुसार ईसाईयत व कुरान के अनुसार इस्लाम हत्यारे, लुटेरे व
बलात्कारी ईसाई व मुसलमान दासों का अंधकार पूर्ण स्वर्ग है| लेकिन वे ऐसा मानने
को तैयार नहीं| एक बार इनको प्रकाश मिल जाये तो ये लोग दुबारा उस अंधकार के स्वर्ग
में नहीं जा सकते| मीडिया, पुरोहित, ईमाम, शिक्षक और शासक यही स्थिति आने नहीं दे
रहे हैं|
मीडिया कर्मियों!
सोनिया आप लोगों का मांस खायेगी और रक्त पिएगी| (बाइबल, यूहन्ना ६:५३). आप के नारियों का आप की आँखों के सामने
बलात्कार कराएगी (बाइबल, याशयाह
१३:१६) और आप लोग कुछ न कर पाओगे! आप लोगों के पास सोनिया को मार डालने का कानूनी
अधिकार है| (भारतीय दंड संहिता की धाराएँ १०२ व १०५). लेकिन हिंसा का एकाधिकार
राज्य के पास होता है| इसीलिए आर्यावर्त सरकार की स्थापना की गई है| क्या आप लोग
मानव जाति की रक्षा के लिए आर्यावर्त सरकार की सहायता करेंगे?
और
कौन है हामिद अंसारी?
मस्जिदें पूजा स्थल
नहीं!
तुर्की के इस्लामी प्रधानमंत्री एर्डोगन ने
पूरे जोश खरोश के साथ स्पष्ट शब्दों में घोषित किया है, “मस्जिदें (पूजा स्थल नहीं) हमारे सेनावास हैं. मस्जिदों के गुम्बज
हमारे हेलमेट, मीनारें संगीनें हैं और विश्वासी हमारे सैनिक हैं.”
इस घोषणा से प्रसन्न होकर सउदी सुल्तान ने एर्डोगन को इस्लाम की सेवाओं के लिए
अंतर्राष्ट्रीय सुल्तान फैसल पुरष्कार दिया है. इस प्रकार मुसलमान भी स्वीकार करते
हैं कि मस्जिदें पूजा स्थल नहीं हैं.
धर्म
निंदा पर आपत्ति?
मुफ्ती उसे कहते
हैं, जिसे पूरी कुरान याद हो| ऐसे ही रट्टू मुफ्ती एजाज अरशद कासमी को फेसबुक और ट्विटर पर लिखे गए तमाम
लेख आपत्ति जनक लगे, लेकिन १४ सौ वर्षों से मस्जिदों से चिल्लाई जाने वाली अजान
आपत्ति जनक नहीं लगती| शासकों को भी अजान, मस्जिद, इस्लाम और कुरान में इसलिए
बुराई नहीं दिखाई देती कि मुसलमानों ने स्वेच्छा से दासता स्वीकार कर लिया है|
अजान में मुसलमान ईमाम के कथन का विवरण नीचे की लिंक में पढ़ें,
http://www.aryavrt.com/fatwa
मस्जिदों से ईमामों के खुतबों को ध्यानपूर्वक सुनिए.
ईमामों को कुरान के
आदेशों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने की भी आवश्यकता नहीं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद
२७ का उल्लंघन कर आप के कर से प्राप्त १० अरब रुपयों में से वेतन लेकर ईमाम बदले
में कुरान के सूरह अनफाल (८) की सभी मुसलमानों को सीधी शिक्षा देते हैं. (एआईआर,
एससी, १९९३, प०
२०८६). अजान द्वारा ईमाम स्पष्ट रूप से गैर-मुसलमानों को चेतावनी देते हैं कि मात्र
अल्लाह की पूजा हो सकती है. अल्लाह के आदेश से ईमाम कहता है कि काफ़िर मुसलमानों के
खुले दुश्मन हैं. (कुरान ४:१०१). कुछ खुतबे कुरान के सूरह अनफाल (८) में स्पष्ट
दिए गए हैं. अल्लाह निश्चय रूप से कहता हैं कि उसने मुसलमानों को जिहाद के लिए
पैदा किया है, युद्ध (जिहाद) में
लूटा हुआ माल, जिसमे नारियां भी शामिल हैं, अल्लाह और मुहम्मद का है. (कुरान ८:१, ४१ व ६९). जान लो जो भी माल लूट कर लाओ, उसका ८०% लूटने वाले का है. शेष २०% अल्लाह, मुहम्मद, ईमाम, खलीफा, मौलवी,
राहगीर, यतीम, फकीर, जरूरतमंद आदि का है. (कुरआन
८:४१). लूट ही अल्लाह यानी सत्य है. लूट में विश्वास करने वाले विश्वासी हैं. गैर-मुसलमानों के गले काटो, उनके हर जोड़ पर वार करो और उनको असहाय कर दो. क्यों कि
वे अल्लाह के विरोधी हैं, (कुरआन ८:१२). जो भी अल्लाह और मुहम्मद के
आदेशों का उल्लंघन करता है, वह
जान ले कि अल्लाह बदला लेने में अत्यंत कठोर है. (कुरआन ८:१३). काफ़िर के लिए आग का दंड है. (कुरआन ८:१४). जब काफिरों से लड़ो तो पीठ न
दिखाओ. (कुरआन ८:१५). तुमने नहीं
कत्ल किया, बल्कि अल्लाह ने कत्ल
किया. (कुरआन ८:१७). मुसलमानों को
लड़ाई पर उभारो. (कुरआन ८:६५). तब
तक बंधक न बनाओ, जब तक कि धरती
पर खून खराबा न कर लो. (कुरआन
८:६७). जो भी लूट का माल तुमने
(मुसलमानों ने) प्राप्त किया है, उसे
परम पवित्र मान कर खाओ. (कुरआन
८:६९). सत्य स्पष्ट है. काफिरों
को आतंकित करने व समाप्त करने के लिए मुसलमानों में जोश पैदा करते हुए अल्लाह कहता
है, “जब तुम काफिरों से लड़ो, तो उनको इस तरह परास्त करो कि आने वाले समय में उन्हें
चेतावनी मिले. काफ़िर यह जान लें कि वे बच नहीं सकते. (कुरआन ८:६०). जो मुसलमान नहीं वह
काफ़िर है| कत्ल से कुफ्र बुरा है (कुरान २:१९१). इस्लाम है तो काफ़िर कि मौत पक्की|
यह आश्चर्य है कि मुफ्ती, सोनिया और जज को कुरान के उपरोक्त आदेश
आपत्तिजनक नहीं लगते. ऐसा नहीं है कि मेरी माँ के हत्यारे जज को उपरोक्त लेखों का
ज्ञान नहीं है| मुझको आत्मघाती जज ने अजान व ईमाम अब्दुल्लाह बुखारी, जिसने कहा था
कि वह आईएसआई एजेंट है, यदि अटल में दम हो तो उसे गिरफ्तार कर के दिखाए, के विरोध
पर थाना नरेला के दो प्राथमिकियों १०/२००१ व ११०/२००१ में न्यायिक अभिरक्षा में
तिहाड़ जेल भेजा था| उस समय आप गृह राज्य मंत्री भी थे, क्या कर लिया आप ने? हर जज
विवश है, यदि मुफ्ती की बात नहीं मानेगा तो दिल्ली उच्च न्यायालय के जज शमित
मुखर्जी की भांति जेल चला जायेगा|
संविधान के अनुच्छेद
३१ के संशोधन को मान्यता, कुरान
व बाइबल को संरक्षण (एआईआर, कलकत्ता,
१९८५, प१०४) समलैंगिक सम्बन्ध, सहजीवन, कन्याओं को पब में शराब पीने और नंगे नाचने का अधिकार, सगोत्रीय विवाह के कानून तो जजों ने ही पास
किये हैं. बचना हो तो सोनिया को जेल भेजने में हमें सहयोग दीजिए.
आत्मघाती
सांसदों और धर्मद्रोही जजों को ज्ञात होना चाहिए कि यह संस्कृतियों का युद्ध है.
ईसाइयत और इस्लाम आतताई और दास बनाने वाली संस्कृतियां हैं. भारतीय संविधान,
ईसाइयत और इस्लाम है तो मानव जाति बच नहीं सकती| इस सत्य को छिपाने के लिए दंप्रसं
की धारा १९६ का संकलन किया गया है| जो भी सच लिखेगा, मिटा किया जायेगा| यानी आप की
मृत्यु पक्की|
हमने बाबरी ढांचा गिराया है. क्यों कि विवाद का
मूल बिंदु है कि अपराध स्थल मस्जिद धरती पर क्यों रहें? मस्जिद बचाने वाले अपराधी
हैं. स्वयं मैकाले के कथनानुसार १८३५ ई० तक मैकाले को पूरे भारत में एक भी भिखारी
या चोर नहीं मिला क्यों कि तब वैदिक सनातन धर्म आधारित राजतंत्र था. पढ़ें मेरी
पुस्तक ‘अजान’. हमारे १२ अधिकारी मक्का, मालेगांव आदि के विष्फोट में बंद हैं. मनुष्य के पुत्र का मांस खाने वाली
और लहू पीने वाली सोनिया (बाइबल, यूहन्ना
६:५३) द्वारा हम इसलिए सताए जा रहे हैं कि हम जानना चाहते हैं कि पुत्री से विवाह
का समर्थक, (बाइबल, १, कोरिन्थिंस ७:३६), सबको अपने अधीन कराने वाला, (बाइबल, लूका १९:२७), मनुष्य के पुत्र का मांस खाने व लहू पीने की शिक्षा
देने वाला (बाइबल, यूहन्ना ६:५३), तलवार चलवाने वाला (बाइबल, मत्ती १०:३४), धरती पर आग लगवाने वाला (बाइबल, लूका १२:४९), परिवार में शत्रुता पैदा कराने वाला (बाइबल, मत्ती १०:३५-३६) व (बाइबल, लूका १२:५१-५३) और मनुष्य को भेंड़
बनाने वाला जारज और प्रेत ईशा ईश्वर का पुत्र कैसे है?
नारियों की लूट व उनके बलात्कार को निंदनीय न
मानने वाला अल्लाह ईश्वर कैसे है? (कुरान ४:२४; २३:६; ३३:५० व ७०:३०). मुहम्मद की
अपनी ही पुत्रवधू जैनब के साथ मुहम्मद का निकाह कराने वाला अल्लाह ईश्वर कैसे है? (कुरान, ३३:३७-३८). लुटेरा व हत्यारा अल्लाह
ईश्वर कैसे है? मूर्ति भंजन कराने वाला अल्लाह ईश्वर
कैसे है? (कुरान, बनी इस्राएल १७:८१ व कुरान, सूरह अल-अम्बिया २१:५८). हत्या, लूट, बलात्कार, धर्मान्तरण और
राष्ट्रांतरण की संहिता कुरान धर्मपुस्तक कैसे है?
इसी प्रकार पूजा
स्थल भंजन कराने वाला, (बाइबल, व्यवस्था
विवरण १२:१-३), लूट व दूसरे के नारी के अपहरण की शिक्षा देने वाला (बाइबल, व्यवस्था विवरण २०:१३-१४), दुधमुहों की हत्या
कराने वाला और नारियों का उनके पुरूषों के आँखों के सामने बलात्कार कराने वाला
जेहोवा ईश्वर कैसे है? (बाइबल, याशयाह
१३:१६)
यदि आप अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की पूजा करते हैं. तो उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के पास सोनिया सहित आप की हत्या
का संवैधानिक असीमित मौलिक अधिकार है. (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४).
हम ईसाइयत और इस्लाम के विरोधी
अभिनव भारत और आर्यावर्त के लोग, यदि आप के समझ में आये व सहयोग दें तो, चर्च
व
मस्जिदें नहीं रहने देंगे. क्यों कि यदि ईसाइयत और इस्लाम धरती पर रहेंगे
तो मानव जाति व कोई मंदिर नहीं बच सकता.
जब हमने बाबरी ढांचा गिराया था तो मात्र कश्मीर
में १०८ मंदिर तोड़े गए, जिनमे से ३८ की विधिवत प्राथमिकियां पंजीकृत हैं. जिसका
विवरण
हमारी पुस्तक 'अजान' के १० वें संलग्नक में उपलब्ध है. इन्हें आप हमारी वेब
साईट http://www.aryavrt.com/azaan
पर निः शुल्क पढ़
सकते हैं. हमने बाबरी ढांचा
गिराने की जिम्मेदारी ली है, वह भी आप के गृह राज्य मंत्री रहते हुए! चोर मनमोहन
सिंह लिबड़ा ने मेरा शपथपत्र
चुरा लिया| आप कुछ न कर सके!
http://www.youtube.com/watch?v=yutaowqMtd8
बाबरी विध्वंस के ४९ अभियुक्त बने और १७ वर्षों तक लिब्रहान
आयोग जाँच की नौटंकी करता रहा. हमने १५ जनवरी २००१ को शपथपत्र दिया कि ढांचा हमने
गिराया है, उसे चुरा लिया. जनता का ८ करोड़ रुपया डकार गया. लेकिन हमारे मंदिरों को
तोड़ने वाला कोई अभियुक्त नहीं और न कोई जाँच आयोग. ४ मस्जिदों के विष्फोट के लिए
हम भगवा आतंकवादी हैं! हम जानना चाहते हैं कि १०८ मंदिर तोड्वाने वाली सोनिया
सरकार कौन है?
आतंकवादी भगवा धारी हैं या सरकार? हमारे
मंदिरों पर सोनिया सरकार का कब्जा है, क्या किसी मस्जिद या चर्च पर भी
सोनिया सरकार का कब्जा है?
इस प्रकार ईसाइयत और इस्लाम खूनी मजहब हैं. आप के मंदिर और मठ मिटायेंगे|
आप की हत्या करेंगे| भारतीय दंड संहिता की धारा ९६ के अधीन प्राइवेट प्रतिरक्षा
में किया गया कोई कार्य अपराध नहीं है. आप को खूनी मजहबों ईसाइयत और इस्लाम को
मिटाने का भारतीय दंड संहिता की धारा १०२ के अधीन कानूनी अधिकार है. राज्य ही
राज्य से लड़ सकता है. आर्यावर्त सरकार की स्थापना पाठक के प्राइवेट प्रतिरक्षा के
लिए की गई है. पाठक आर्यावर्त सरकार को सहयोग दें, हम ईसाइयत और इस्लाम मिटायेंगे.
हम अभिनव भारत और
आर्यावर्त सरकार के लोग इसलिए लड़ रहे हैं कि आप धूर्त पुरोहितों और शासकों के दास
न बनें. मुसलमान और ईसाई आप की आँखों के सामने आप की नारियों का बलात्कार न करने
पायें. आप के घर न लूट लिए जाएँ और आप कत्ल न कर दिए जाएँ. मैं आतताई अल्लाह व
जेहोवा को भगवान मानने के लिए तैयार नहीं हूँ. और न कुरान व बाइबल को धर्म पुस्तक
स्वीकार करता हूँ. मै भारतीय संविधान, कुरान व बाइबल को मानवता का शत्रु मानता हूँ. जो ऐसा नहीं मानता, वह दया का पात्र है.
जहां हम ब्रह्म की
संतति हैं, वहीं ईसाइयत और इस्लाम के अनुयायी अब्रहमिक (Abraham's) संततियां हैं. जहां हम अपने ईश्वर से
स्वतंत्रता और बुद्धि के प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. (गायत्री मंत्र)
वहीं यह मूर्ख लोग [(बाइबल, उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५)] दास बनने और बनाने के लिए गोलबंद हो कर
मस्जिदों से चिल्लाते हैं. हमारा
ईश्वर हमें उपासना की स्वतंत्रता देता है, (गीता ७:२१). जब कि अल्लाह का हठधर्म यह है कि जो भी
अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की पूजा करे, उसे
कत्ल करो. स्वयम अल्लाह के दास बनो और औरों को बनाओ! हमको आजादी का वचन दिया गया
है. हम सोनिया के दास नहीं बनेंगे.
http://www.aryavrt.com/fatwa
हम अभिनव भारत और
आर्यावर्त सरकार के लोग जानते हैं कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) ने मुसलमान
और ईसाई सहित मानव मात्र को अपराधी घोषित करने वाले ईसाइयत और इस्लाम संस्कृतियों
को बनाये रखने का ईसाइयों व मुसलमानों को असीमित मौलिक अधिकार दे रखा है|
वस्तुतः हम ने ज्ञान
के वृक्ष का फल खा लिया है. (बाइबल, उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५). हमारे लिए मूर्खों के वैश्यालय व मदिरालय
नामक स्वर्ग का दरवाजा सदा के लिए बंद हो चुका है. हमें ज्ञात हो गया है कि भारतीय संविधान वैदिक सनातन धर्म को मिटाने और मानव जाति को दास बनाने
के लिए संकलित किया गया है. इंडिया
में मुसलमानों और ईसाइयों को इसलिए रोका गया है कि दोनों ने स्वेच्छा से शासकों की दासता स्वीकार कर ली है. हमारा कथन है कि यदि आप अपनी, अपने देश व
अपने वैदिक सनातन धर्म की रक्षा करना चाहते हैं तो समस्या की जड़ ईसाइयत और इस्लाम के पोषक भारतीय संविधान को, निजहित में, मिटाने में हमारा सहयोग कीजिए.
हर मुसलमान व ईसाई खूनी है. सोनिया कैथोलिक ईसाई है. धर्मपरिवर्तन के लिए उकसाने वाले को
कत्ल करने की बाइबल की आज्ञा है. (व्यवस्था विवरण, १३:६-११). व धर्मपरिवर्तन करने वाले को कत्ल करने की
कुरान की आज्ञा है. (कुरान ४:८९). २०११ वर्ष पूर्व ईसाई नहीं थे. न १४३१ वर्ष
पूर्व मुसलमान ही थे. अतएव धर्मत्यागी सोनिया व हामिद को उनके ही मजहब के अनुसार
कत्ल करने का हमे भारतीय दंड संहिता की धारा १०२ से प्राप्त अधिकार है. क्यों कि
बाइबल, लूका १९:२७ के ईसा
के आदेश से सोनिया हमे कत्ल करेगी और कुरान २१:९८ के आदेश से हामिद अंसारी कत्ल
करेगा. इनको सत्ता में बैठा कर सरकार राजनीति के अपराधीकरण को कैसे मिटायेगी? जो हत्या के योग्य हैं, उन्हें सत्ता सौंप कर संघ सरकार जनता को क्या सन्देश
दे रही है? इनसे अपनी रक्षा का
हमारे पास और कोई मार्ग नहीं है.
भारतीय
संविधान का अनुच्छेद २९(१) सोनिया को अपनी ईसाई संस्कृति और हामिद अंसारी को
इस्लामी संस्कृति को बनाये रखने का असीमित मौलिक अधिकार देता है. लेकिन हम वैदिक
पंथियों को, जो विश्व के अल्पसंख्यकों में अल्पसंख्यक हैं, अपनी संस्कृति को बनाये
रखने का अधिकार न देना प्रेसिडेंट प्रतिभा और राज्यपालों द्वारा लिए गए शपथ व
भारतीय संविधान की अवहेलना है.
जिसने भी भारतीय संविधान में निष्ठा की शपथ ली है, वह
वैदिक पंथियों के मानवाधिकारों की अवहेलना का दंडनीय अपराध कर रहा है और मानवता का
शत्रु है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) ने नागरिकों से सम्पत्ति रखने का अधिकार
२६ जनवरी, १९५० से ही छीन लिया है. वोट द्वारा भी नागरिक इस अधिकार को नहीं बदल
सकते. स्वयं लोकसभा व सर्वोच्च न्यायलय भी कुछ नहीं कर सकती.
मुझे दुःख है कि पूर्व
गृह मंत्री रहने के बाद भी आप ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) और दंड
प्रक्रिया संहिता की धारा १९७ का अध्ययन नहीं किया| भारतीय संविधान के अनुच्छेद
२९(१) के अनुसार केवल उन्हें ही जीवित रहने
का अधिकार है, जो ईसा का दास बने.
(बाइबल, लूका १९:२७) और अल्लाह व उसके
इस्लाम ने मानव जाति को दो हिस्सों मोमिन और काफ़िर में बाँट रखा है. धरती को भी दो
हिस्सों दार उल हर्ब और दार उल इस्लाम में बाँट रखा है. (कुरान ८:३९) काफ़िर को
कत्ल करना व दार उल हर्ब भारत को दार उल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का मजहबी
अधिकार है. (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). चुनाव
द्वारा इनमें कोई परिवर्तन सम्भव नहीं|
मनुष्य निर्मित मजहबों को अपराधों के साथ घालमेल कर और स्वयं को शैतानों
जेहोवा और अल्लाह का मध्यस्थ बताने वाले धूर्त पैगम्बरों को जजों ने पूज्य बना रखा
है. (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). सदाबहार झूठे,
देश हत्यारे पाकपिता गाँधी को बाप बना रखा है. हजारों निरपराध नागरिकों की
प्रतिदिन हत्याएं, लूट व नारियों का बलात्कार ईमाम, पुरोहित व शासक से धन येंठ कर
मीडिया के इस उद्घोषणा के साथ जारी है कि ईसाइयत और इस्लाम शांति और प्रेम के मजहब
हैं. कुरान गैर-मुसलमान को अपराधी मानता है और बाइबल गैर-ईसाई को. किसी को इस बात
की लज्जा नहीं है कि उसका शासक व पैगम्बर खूनी, शांति का शत्रु, लुटेरा व नारियों
के बलात्कार का समर्थक है. आर्थिक ठगिनी प्रतिभा और जेसुइट सोनिया उर्फ एंटोनिया
माइनो सत्ता के शिखर पर बैठी हैं. हद तो यहाँ तक आ पहुंची है कि अजान को भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व
२९५ के अधीन अपराध नहीं माना जाता| किसी को
भी कुरान व बाइबल के सम्बन्ध में प्रश्न पूछने का अधिकार न इस्लाम (कुरान
५:१०१-१०२) व ईसाइयत देते हैं, न लोकतंत्र (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६) और
न न्यायपालिका (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). जो सबके गरिमा
का हनन करते हैं, उन ईमामों के गरिमा की रक्षा के लिए, भारतीय संविधान के अनुच्छेद
२७ का उल्लंघन कर वेतन देने का आदेश न्यायपालिका ने ही पारित किया है. (एआईआर, एससी, १९९३, प० २०८६) यानी सोनियातंत्र द्वारा अजान प्रायोजित व
संरक्षित है| अजान के विरुद्ध
कोई जज सुनवाई नहीं कर सकता| जो भी ईसाइयत और इस्लाम का विरोध कर रहा है,
दंप्रसंकीधारा१९६ के अंतर्गत जेल में ठूस दिया जा रहा है| मै आप लोगों की आत्मघाती विवशता में मानव जाति का विनाश देख रहा हूँ| एक
प्रमुख अंतर यह है कि जहां ईसाइयत और इस्लाम को अन्य संस्कृतियों को मिटाने में
लंबा समय लगा वहीँ वैदिक सनातन धर्म को मिटाने के लिए २६ नवम्बर, १९४९ को संविधान
बना कर वैदिक सनातन धर्म को ईसाइयत और इस्लाम के हाथों में सौँप दिया गया है|
प्रेसिडेंट व हर राज्यपाल ने अजान व मस्जिद को भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१),
पुलिस के संरक्षण और दंप्रसंकीधारा१९६ के कवच में रखा है|
यदि आप भारतीय संविधान में आस्था व निष्ठा की शपथ लेते हैं तो आप स्वतंत्र
नहीं रह सकते. क्यों कि जारज व प्रेत ईसा की आज्ञा है कि जो ईसा को राजा स्वीकार न
करे, उसे ईसाई कत्ल कर दें. (बाइबल,
लूका
१९:२७). इसी प्रकार यदि आप भारतीय संविधान में आस्था व निष्ठा की शपथ लेते हैं, तो
आप को उपासना की स्वतंत्रता का अधिकार नहीं है. अजान व (कुरान ८:३९).
हमने कुरान के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका स० १५/१९९३
प्रस्तुत की थी, जो निरस्त कर दी गई. मैंने पत्रक ‘मुसलमानों भारत छोड़ो’ और ‘ईश्वर
अल्लाह कैसे बना?’ प्रकाशित किया और बांटा था. जिनके आधार पर मेरे विरुद्ध थाना
रूपनगर, दिल्ली से दो अभियोग क्रमशः ७८/१९९३ व १३७/१९९३ चले थे, जिनमे मुझे ३
जुलाई, १९९७ को दोषमुक्त कर दिया गया. बाइबल, कुरान और भारतीय संविधान का विरोध
करने के कारण प्रेस परिषद में अभियोग चला, जिसमें मै दिनांक २५-०२-२००२ को
दोषमुक्त हुआ. अभी मेरे विरुद्ध रूपनगर थाने से अभियोग ४४०/१९९६ व ४८४/१९९६ चल रहे
हैं. मैंने कानपूर में पाकपिता गाँधी की प्रतिमा तोड़वा कर हुतात्मा श्री नथूराम
गोडसे की प्रतिमा लगवाई थी. वह अभियोग १२७/१९९७ थाना रूपनगर, दिल्ली से चल रहा है.
इसके अतिरिक्त थाना नरेला दिल्ली से प्राथमिकी स० ४०६/२००३ व १६६/२००६ ईसाइयत और
इस्लाम का विरोध करने के कारण अभियोग चल रहा है. मैं अजान के विरोध के कारण चले
अभियोग प्राथमिकी स० ११०/२००१ से दिनांक २६ फरवरी, २००५ को और आई एस आई एजेंट
बुखारी को बंदी बनाये जाने की मांग के कारण चले अभियोग १०/२००१ से दिनांक
०४-०२-२०१० को आरोप मुक्त हो चुका हूँ.
भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) दास मुसलमानों और ईसाइयों को आप को दास
बनाने का असीमित मौलिक अधिकार देता है. वोट द्वारा भी आप मुसलमानों और ईसाइयों को
आप की हत्या के लिए मिले उपरोक्त संवैधानिक अधिकार को छीन नहीं सकते.
आज कल भ्रष्टाचार मिटाने वालों और विदेशों में जमा धन वापस लाने की अन्ना
व योगगुरू की मुहिम जारी है. पूर्व केंद्रीयमंत्री डा० सुब्रमण्यम स्वामी
भ्रष्टाचार करने वालों को नंगा कर रहे हैं. इन लोगों में एक समानता है. यह लोग भ्रष्टाचार
की जड़ भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) का विरोध नहीं करते. न तो भ्रष्टाचार के
संरक्षक दंप्रसं की धारा १९७ का विरोध करते हैं|
नेताओं, सुधारकों, संतों, मीडिया, इस्लामी
मौलवियों, मिशनरी और जजों सहित
लोकसेवकों द्वारा जानबूझ कर मानवता को धोखा दिया जा रहा हैं. सच छुपा नहीं है, न
ही इसे जानना मुश्किल है. मानव उन्मूलन की
कीमत पर आतंकित और असहाय मीडिया
जानबूझकर अनभिज्ञ बनी हुई है.
मुसलमानों और ईसाइयों द्वारा तब तक जिहाद और मिशन जारी रहेगा,
जब तक
हम उनके साधन और प्रेरणा स्रोत
को नष्ट न कर दें. उनके साधन पेट्रो डालर और मिशनरी फंड और प्रेरणा स्रोत कुरान (कुरान ८:३९)
और
बाइबल (बाइबल, लूका १९:२७) है| क्या अपने बचाव हेतु आप आर्यावर्त सरकार की सहायता करेंगे?
मीडिया ने नमक मिर्च
लगाकर जिस प्रकार चिदार्पिता प्रकरण प्रकाशित किया है, क्या उसी प्रकार ईसा के
बेटी से विवाह और मुहम्मद के पुत्रवधू निकाह प्रकरण को प्रकाशित करेगी?
आप के पास पैसा था|
अतएव आतंकवादी जजों ने आप को बचा लिया| मेरी तो सारी सम्पत्ति ही सोनिया के कहने
पर जजों और राज्यपालों ने हथिया रखी है|
http://www.aryavrt.com/muj11w15c-jan-lokpal
राजा धर्मरक्षक होता
है| धर्म राज्य के आश्रय से ही फलता फूलता है| जैनियों के २४ तीर्थंकर जैन धर्म की
दीक्षा लेने के पूर्व राजा थे, लेकिन राजाश्रय के अभाव में जैन धर्म उतना नहीं फ़ैल
सका, जितना अकेले अशोक के राजाश्रय से बौद्ध धर्म फैला| संघ सरकार ने वैदिक सनातन
धर्म को संकट में डाल दिया है| वैदिक सनातन धर्म की रक्षा के लिए राजा और
आर्यावर्त सरकार का होना आवश्यक है| मनु का आदेश है,
धर्मएव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षतः
तस्माद्धर्मो न हन्तब्यो मानो
धर्मो ह्तोऽवधीत.
अर्थ: रक्षा किया
हुआ धर्म ही रक्षा करता है, और अरक्षित धर्म मार डालता है, अतएव अरक्षित धर्म कहीं
हमे न मार डाले, इसलिए बल पूर्वक धर्म की रक्षा करनी चाहिए. (मनु स्मृति ८:१५).
लक्ष्मी के हैं चार सुत, धर्म,
अग्नि, नृप, चोर.
जेठे का निरादर करो, शेष करें
भंड़ फोड़.
यदि आप वैदिक सनातन
धर्म का निरादर करेंगे और रक्षा नहीं करेंगे तो आप मारे जायेंगे|
आप का वैदिक सनातन
धर्म पूरे विश्व में था. आज हम इस लिए प्रताड़ित हो रहे हैं, कि हम जेहोवाः और
अल्लाह को ईश्वर मानने के लिए तैयार नहीं हैं. अजान व नमाज को पूजा मानने के लिए
तैयार नहीं हैं. हम मस्जिद जहां से हमारे ईश्वर की निंदा की जाती है, को नष्ट कर रहे
हैं. आइये इस धर्म युद्ध में हमारा साथ दीजिए| अपना नहीं तो अपने दुधमुहों और अपनी
नारियों पर तरस खाइए| (बाइबल, याशयाह
१३:१६).
स्वामी
जी! आप यह युद्ध नहीं लड़ सकते. धरती पर एक से बढ़ कर एक त्रिकालदर्शी, योद्धा, चिन्तक, समाज सुधारक और बुद्धिमान पैदा हुए, लेकिन, मालेगांव व अन्य मस्जिदों पर
विष्फोट के अभियुक्त और जेल में निरुद्ध, जगतगुरु श्री अमृतानंद के
अतिरिक्त किसी ने भी ईसाइयत और इस्लाम का विरोध नहीं किया. उनके आशीर्वाद से हम आप
के लिए लड़ रहे हैं.
आप
अपने गृह राज्य मंत्री होते हुए सम्पर्कों का उपयोग कीजिए| सोनिया ने मुझे भिखारी
बना दिया है| मेरी ८००० वर्ग मीटर व्यावसायिक भूमि का आज भी गैर कानूनी उपयोग करा
रही है| इसके अतिरिक्त मेरी २१० वर्ग मीटर भूमि का फर्जी बैनामा करवाया हुआ है|
मेरी २ हजार वर्ग गज दिल्ली स्थित भूमि से, चिदर्पिता की भांति मेरे ही बेटों
से, बेदखल करा दिया है| अब आप पर भिड़ी है| मैं आप को लिंक दे रहा हूँ| सोनिया द्वारा
लूटी गई मेरी सम्पत्तियां वापस कराइए| राम की भांति मैं बनवासी हो चुका हूँ| आप ही
नहीं संत समाज और मठ मंदिर सभी खतरे में हैं| यदि बचना चाहते हैं तो हमारी अविलम्ब
सहायता कीजिए| मै सारी सम्पत्ति वैदिक सनातन धर्म और गुरुकुलों की स्थापना हेतु
व्यय करना चाहता हूँ| अन्यथा वैदिक सनातन धर्म बचेगा नहीं|
http://www.aryavrt.com/nl-petition-transfered
http://www.aryavrt.com/muj11w15c-jan-lokpal
आप के फोन ०५८४२२४०२४० से मैं
जनवरी से ही बात नहीं कर पा रहा हूँ|
भवदीय.
अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी
फोन:०९१५२५७९०४१
Chinmayanand
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-12-01/lucknow/30462250_1_murder-attempt-swami-chinmayanand-complaint
Stay against arrest:
http://zeenews.india.com/news/uttar-pradesh/hc-stays-arrest-of-former-swami-chinmayanand_748177.html
+++
चिन्मयानन्द को पिता मानने वाली
साध्वी ने क्यों लगाया यौन शोषण का आरोप, वह भी शादी के छह माह बाद । आइए पहले
हम आपको साध्वी के लिखे कुछ आलेख पढ़ाते हैं जिसमें चिन्मयानंद के बारे में
उन्होंने खुद लिखा………।।।।।।
;)
बचपन से ही ईश्वर में अटूट आस्था थी…माँ के साथ लगभग रोज़ शाम को मंदिर
जाती थी…बाद
में अकेले भी जाना शुरू कर दिया…जल का लोटा लेकर सुबह स्कूल जाने के पहले मेरा मंदिर जाना आज भी कुछ
को याद है…दक्षिणी
दिल्ली के कुछ-कुछ अमेरिका जैसे माहौल में भी सोमवार के व्रत रखती…इसी बीच माँ की सहेली ने हरिद्वार में
भागवत कथा का आयोजन किया और मुझे माँ के साथ जाने का अवसर मिला…उसी समय स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती
जी से परिचय हुआ…वे उस
समय जौनपुर से सांसद थे…मेरी
उम्र लगभग बीस वर्ष थी…घर में
सबसे छोटी और लाडली होने के कारण कुछ ज्यादा ही बचपना था…फिर भी ज्ञान को परखने लायक समझ दी थी
ईश्वर ने…स्वामी
जी की सामाजिक और आध्यात्मिक सूझ ने मुझे प्रभावित किया…मेरे पितृ विहीन जीवन में उनका स्नेह
भी महत्वपूर्ण कारण रहा जिसने मुझे उनसे जोड़ा…उन्हें भी मुझमें अपार संभावनाएं
दिखाई दीं…उन्होंने
कहा कि तुम वो बीज हो जो विशाल वटवृक्ष बन सकता है…वे मुझे सन्यास के लिये मानसिक रूप से
तैयार करने लगे…कहा कि
ईश्वर को पाने का सबसे उचित मार्ग यही है कि तुम सन्यास ले लो…लड़की होकर किसी और नाते से तुम इस
जीवन में रह भी नहीं पाओगी…यह सब
बातें मन पर प्रभाव छोड़तीं रहीं…मेरी ईश्वर में प्रगाढ़ आस्था देखकर वे आश्रम में आयोजित होने वाले
अधिकांश अनुष्ठानों में मुझे बैठाते…धीरे-धीरे आध्यात्मिक रूचि बढ़ती गयी
और एक समय आया जब लगा कि यही मेरा जीवन है…मैं इसके सिवा कुछ और कर ही नहीं सकती…स्वामी जी से मैंने कहा कि अब मैं
सन्यास के लिये मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हूँ…आप मुझे दीक्षा दे दीजिये…उन्होंने कहा पहले सन्यास पूर्व
दीक्षा होगी, उसके
कुछ समय बाद संन्यास होगा….२००२
में मेरी सन्यास पूर्व दीक्षा हुई और मुझे नाम दिया गया – साध्वी चिदर्पिता…अब पूजा-पाठ, जप-तप कुछ अधिक बढ़ गया…नित्य गंगा स्नान और फिर कोई न कोई
अनुष्ठान…स्वाध्याय
और आश्रम में चलने वाले कथा-प्रवचन….इसी बीच स्वामी जी ने आदेश दिया कि
तुम शाहजहांपुर स्थित मुमुक्षु आश्रम में रहो…. तुम आगे की पढ़ाई करने के साथ ही वहाँ
मेरी आँख बनकर रहना…कुछ
समय वहाँ बिताने के बाद मैं उनकी आँख ही नहीं हाथ भी बन गयी…मुमुक्षु आश्रम का इतना अभिन्न भाग बन
गयी कि लोग आश्रम को मुझसे और मुझे आश्रम से जानने लगे….इस बीच वहाँ महती विकास कार्य हुए
जिनका श्रेय मेरे कुछ खास किये बिना ही मुझे दे दिया जाता…अब स्वामी शुकदेवानंद पी जी कॉलेज और
उसके साथ के अन्य शिक्षण संस्थानों का बरेली मंडल में नाम था…आश्रम की व्यवस्था और रमणीयता की
प्रशंसा सुनने की मानो आदत सी हो गयी थी..दूसरे लोगों के साथ स्वामीजी को भी लगने
लगा कि इस सब में मेरा ही सहयोग है…अब उनके लिये मुझे आश्रम से अलग करके
देखना असंभव सा हो गया…इतना
असंभव कि प्रमुख स्नान पर्वों पर भी मेरा शाहजहाँपुर छोड़कर हरिद्वार जाना बंद कर
दिया गया…गंगा
की बेटी के लिये यह कम दुखदायी नहीं था पर कर्तव्य ने मुझे संबल दिया….इन वर्षों में जाने कितनी बार मैंने
अपने संन्यास की चर्चा की…उन्होंने
हर बार उसे अगले साल पर टाल दिया…आखिर में उन्होंने संन्यास दीक्षा को हरिद्वार के कुम्भ तक टाल कर
कुछ लंबी राहत ली…मैंने
धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की….कुम्भ
भी बीत गया…मेरी
बेचैनी बढ़ने लगी…बेचैनी
का कारण मेरा बढ़ा हुआ अनुभव भी था…इस जीवन को पास से देखने और ज्ञानियों
के संपर्क में रहने के कारण मैं जान गयी थी कि स्वामीजी सरस्वती संप्रदाय से हैं
और शंकराचार्य परंपरा में महिलाओं का संन्यास वर्जित है…जो वर्जित है वो कैसे होगा और वर्जित
को करना किस प्रकार श्रेयस्कर होगा मैं समझ नहीं पा रही थी…मैंने सदा से ही शास्त्रों, परम्पराओं और संस्कृति का आदर किया था….इस सबको भूलकर, गुरु आदेश पर किसी प्रकार से संन्यास
ले भी लेती तो भी शास्त्रोक्त न होने के कारण स्वयं की ही उसमें सम्पूर्ण आस्था
नहीं बन पाती…साथ ही
देश के पूज्य सन्यासी चाहकर भी मुझे कभी मान्यता नहीं दे पाते….और फिर उस मान्यता को मैं माँगती भी
किस अधिकार से?…खुद
शास्त्र विमुख होकर उनसे कहती कि आप भी वही कीजिये? इन्ही सब बातों पर गहन विचार कर मैंने
साहसपूर्वक स्वामी जी से कहा कि आप शायद मुझे कभी संन्यास नहीं दे पायेंगे….अपने मन में चल रहे मंथन को भी आधार
सहित बताया, जिसके
जवाब में उन्होंने कहा कि परम्पराएँ और वर्जनाएं कभी तो तोड़ी ही जाती हैं…हो सकता है यह तुमसे ही शुरू हो…संन्यास देना मेरा काम है….इसके लिये जिसे जो समझाना होगा वह मैं
समझाऊंगा…तुम
परेशान मत हो…यह कह
कर उन्होंने अगली तिथि इलाहबाद कुम्भ की दी…यह बात होने के बाद हरिद्वार में
रूद्र यज्ञ का आयोजन हुआ…स्वामीजी
ने मुझे तैयार होकर यज्ञ में जाने को कहा…मैं गयी…शास्त्रीय परम्परा को निष्ठा से
निभाने वाले आचार्य ने मुझे यज्ञ में बैठने की अनुमति नहीं दी, जबकि वे मेरा बहुत सम्मान करते
थे..स्वामीजी को पता चला तो उन्होंने आचार्य से कहा कि वो तो शुरु से सारे ही
अनुष्ठान करती रही है…पर वे
न माने और स्वामीजी चुप हो गये…उनकी उस चुप्पी पर मैं स्तब्ध थी…सन्यासी आचार्य से अधिक ज्ञानी होता
है…मैंने अपेक्षा की थी कि स्वामीजी अपने
ज्ञान से तर्क
देकर उन्हें अपनी बात मनवाएंगे….पर ऐसा नहीं हुआ…अब मेरा विश्वास डिग गया और लगा कि आचार्य को न समझा पाने वाले
अखाड़ों के समूह को क्या समझा पायेंगे….यज्ञशाला से लौटकर स्वामीजी ने मेरी
व्यथा दूर करने को सांत्वना देते हुए कहा कि दोबारा इन्हें फिर कभी नहीं बुलाएँगे….पर इससे क्या होता…आचार्य ने तो शास्त्रोक्त बात ही की
थी…उन्होंने जो पढ़ा, वही कह दिया…अब मैं सच में दुखी थी…मुझे समझ में आ गया था कि इलाहबाद
कुम्भ भी यूँ ही बीत जायेगा…मेरे
संन्यास के निर्णय पर माँ के आँसू, भाई-भाभी के स्तब्ध चेहरे आँखों के आगे घूम गये…लगा, मानो यह धोखा मेरे साथ नहीं, मेरे परिवार के साथ हुआ…ग्यारह साल का जीवन आज शून्य हो गया
था…उसी दौरान मैं गौतम जी के संपर्क में
आयी…उस समय
उन्होंने प्रकट नहीं किया पर उनके ह्रदय में मेरे प्रति प्रेम था…बिना बताये ही मानो वे मेरे जीवन की
एक-एक घटना जानते थे…उन्होंने
बिना किसी संकोच के कहा – आप
चुनाव लड़िए….मेरा
सवाल था कि चुनाव और संन्यास का क्या सम्बन्ध…तब उन्होंने समझाया कि आपकी सोच
आध्यात्मिक है…आप
जहाँ भी रहेंगी यह बनी रहेगी और यह आपके हर काम में दिखेगी…मेरा विश्वास है कि आपके जैसे लोग
राजनीति में आयें तो भारत का उद्धार हो जायेगा…सन्यास नहीं दे सकते तो कोई बात नहीं, आप स्वामीजी से अपनी चुनाव लड़ने की
इच्छा प्रकट कीजिये…क्षेत्र
वगरैह भी उन्होंने ही चुना…पर, यह इतना आसान नहीं था…अभी जिंदगी के बहुत से रंग देखने बाकी
थे….
मेरे मुँह से यह इच्छा सुनते
ही बाबा (स्वामीजी) बजाय मेरा उत्साह बढ़ाने के फट पड़े…उनके उस रूप को देख कर मैं स्तब्ध थी…उस समय हमारी जो बात हुई उसका निचोड़
यह निकला कि उन्होंने कभी मेरे लिये कुछ सोचा ही नहीं… उनकी यही अपेक्षा थी कि मैं गृहिणी न
होकर भी गृहिणी की ही तरह आश्रम की देखभाल करूँ….आगंतुकों के भोजन-पानी की व्यवस्था
करूँ और उनकी सेवा करूँ….आश्रम
में या शहर में मेरी जो भी जगह थी, ख्याति थी वो ईश्वर की कृपा ही थी…ईश्वरीय लौ को छिपाना उनके लिये संभव
नहीं हो पाया था….इस
लिहाज़ से जो हो रहा था वही उनके लिये बहुत से अधिक था… तिस पर चुनाव लड़ने की इच्छा ने
उन्हें परेशान कर दिया…उन्होंने
मना किया, मैं
नहीं मानी…उन्होंने
कहा कि मैं तुम्हारी टिकट के लिये किसी से नहीं कहूँगा…पैसे से कोई मदद नहीं करूँगा, तुम्हारी किसी सभा में नहीं जाऊंगा, यहाँ तक कि मेरी गाड़ी से तुम कहीं
नहीं जाओगी….जहाँ
जाना को बस से जाना…मैंने
कहा ठीक है…इस पर
वे और परेशान हो गये और उन्होंने अपना निर्णय दिया कि यदि तुम्हें चुनाव लड़ना है
तो दोपहर तक आश्रम छोड़ दो….मैंने
उनकी बात मानी…मेरा
आश्रम छोड़कर जाना वहाँ के लिये बड़ी घटना थी…दोपहर तक शहर के संभ्रांत लोगों का
वहाँ जुटना शुरू हो गया…स्वामीजी
के सामने ही वे कह रहे थे कि यदि आज आश्रम जाना जाता है तो आपकी वजह से, आपके जाने के बाद यह वापस फिर उसी
स्थिति में पहुँच जायेगा…आप मत
जाइये….स्वामीजी
ने जाने को कहा है तो क्या, आपने
आश्रम को बहुत दिया है, इस
आश्रम पर जितना अधिकार स्वामीजी का है उतना ही आपका भी है….और भी न जाने क्या-क्या…स्वामीजी यह सब सुनकर सिर झुकाए बैठे
थे…मुँह पर कही इन बातों का खंडन करना भी
तो उनकी गरिमा के अनुरूप नहीं था…मेरे स्वाभिमान ने इनमें से किसी बात का असर मुझ पर नहीं होने दिया
और मैं आश्रम छोड़कर आ गयी….शून्य
से जीवन शुरू करना था पर कोई चिंता नहीं थी…एक मजबूत कंधा मेरे साथ था…श्राद्ध पक्ष खत्म होने तक मैं गौतम
जी के परिवार के साथ रही जहाँ मुझे भरपूर स्नेह मिला…नवरात्र शुरू होते ही हमने विवाह कर
लिया…
विवाह के बाद हज़ारों बधाइयाँ
हमारा विश्वास बढ़ा रहीं थीं कि हमने सही कदम उठाया…विरोध का कहीं दूर तक कोई स्वर नहीं…शत्रु-मित्र सब एक स्वर से इस निर्णय
की प्रशंसा कर रहे थे…केवल
कुछ लोगों ने दबी ज़बान से कहा कि विवाह कर लिया तो साध्वी क्यों..? साध्वी क्यों नहीं…रामकृष्ण परमहंस विवाहित थे, उन्होंने न सिर्फ अपना जीवन ईश्वर
निष्ठा में बिताया बल्कि नरेंद्र को संन्यास दीक्षा भी दी…ऐसे न जाने कितने और उदाहरण हैं जिनका
उल्लेख इस आलेख को लंबा करके मूल विषय से भटका देगा….इसके अलावा केवल शंकराचार्य परंपरा
में अविवाहित रहने का नियम है…और उसमें महिलाओं की दीक्षा वर्जित है…तो मुझ पर तो अविवाहित रहने की बंदिश कभी
भी नहीं थी…सन्यासी
का स्त्रैण शब्द साध्वी नहीं है…यह साधु का स्त्रैण शब्द है….वह व्यक्ति जो स्वयं को साधता है साधु
है,
साध्वी है…यदि साध्वी होने का अर्थ ब्रह्मचर्य
है तो बहुत कम लोग होंगे जो इस नियम का पालन कर रहे हैं…इस प्रकार के अघोषित सम्बन्ध को जीने
वाले और वैदिक रीति से विवाहित होते हुए सम्बन्ध में जीने वालों में से कौन
श्रेष्ठ है और कौन अधिक साधु है इसका निर्णय कोई मुश्किल काम नहीं…इसके अलावा धर्म, आस्था या आध्यात्म को जीने के लिये
विवाहित या अविवाहित रहने जैसी कोई शर्त नहीं है…जिसे जो राह ठीक लगती है वह उसी पर
चलकर ईश्वर को पा लेता है यदि विश्वास दृढ़ हो तो…बस अन्तःकरण पवित्र होना चाहिये…
ऊपर लिखे घटनाक्रम को यदि
देखें तो यह विवाह मज़बूरी लगेगा पर ईश्वर साक्षी है कि ऐसा बिलकुल नहीं था…दोनों के ही ह्रदय में प्रेम की गंगा
बह रही थी पर दोनों ही मर्यादा को निष्ठा से निभाने वाले थे…सारा जीवन उस प्रेम को ह्रदय में रखकर
काट देते परन्तु मर्यादा भंग न करते….मैंने पूरा जीवन ‘इस पार या उस पार‘ को मानते हुए बिताया…बीच की स्थिति कभी समझ ही नहीं आयी….जब तक संन्यास की उम्मीद थी तब तक
विवाह मन में नहीं आया…दिल्ली
का जीवन जीने के बाद मैं शाहजहांपुर जैसे शहर में और वो भी ५३ एकड में फैले आश्रम
में नितांत अकेले कैसे रह लेती हूँ यह लोगों के लिये आश्चर्य का विषय था…पर मेरी निष्ठा ने मुझे कभी इस ओर
सोचने का अवसर नहीं दिया….जब
संन्यास की उम्मीद समाप्त हो गयी तो त्रिशंकु का जीवन जीने का मेरी जैसी लड़की के
लिये कोई औचित्य नहीं बचा था…साहस था और परम्परा में विश्वास था, उसी कारण वैदिक रीति से विवाह किया और
ईमानदारी से उसकी सार्वजनिक घोषणा की…मैंने इस विवाह को ईश्वरीय आदेश माना
है…मुझे गर्व है कि मुझे ऐसे पति मिले जो
बहुत से सन्यासियों से बढ़ कर आध्यात्मिक हैं, सात्विक हैं, और सच्चे हैं…मांस-मदिरा से दूर रहते हैं….उदारमना होते हुए भी मेरे मान के लिये
सारी उदारता का त्याग करने को तत्पर रहने वाले वे भारतीयता के आदर्श हैं….ये उन्हीं के बस का था जो मुझे उस
जीवन से निकाल ले आये वरना इतना साहस शायद मैं कभी न कर पाती और यह संभावनाओं का
बीज वहीँ सड जाता…हरिः
ओम्!