जनता का क्या गया?
इंडिया ईसा का उपनिवेश है| {संविधान का अ० ६(ब)(||)} जनता ईसा की भेंड़ हैं और इंडिया की सकल सम्पदा सोनिया की है| [(भारतीय संविधान का अनुच्छेद ३९(ग)]. सोनिया अपनी सम्पत्ति को दामाद को नहीं देगी तो किसे देगी? अतएव विरोध करना है तो भारतीय संविधान का कीजिए| यह कहना सरासर गलत है कि कानून की नजर में सब बराबर हैं| और तमाम कानूनों की चर्चा छोड़कर सचान जी के लिए सरकारी और गैर सरकारी लोगों पर प्रभावी दो कानूनों की चर्चा आवश्यक है और यह सरकारी दामाद से जुड़ा हुआ भी है| दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ धारा १९६- राज्य के विरुद्ध अपराधों के लिए और ऐसे अपराध करने के लिए आपराधिक षडयंत्र के लिए अभियोजन – (१) कोई न्यायालय, - भारतीय दंड संहिता (१८६० का ४५) के अध्याय ६ के अधीन या धारा १५३(क), धारा २९५(क) या धारा ५०५ की उपधारा (१) के अधीन दंडनीय किसी अपराध का; अथवा ऐसा अपराध करने के लिए आपराधिक षडयंत्र का; अथवा भारतीय दंड संहिता (१८६० का ४५) की धारा १०८(क) में यथावर्णित किसी दुष्प्रेरण का, संज्ञान केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार की पूर्व अनुमति से ही किया जायेगा, अन्यथा नहीं| .... यानी उपरोक्त धारा आप को उत्पीड़न के विरुद्ध शिकायत करने के अधिकार से भी वंचित करती है! वस्तुतः हम अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार से जुड़े बागियों ने ज्ञान के वृक्ष का फल खा लिया है| हमारे लिए मूर्खों के वैश्यालय व मदिरालय नामक स्वर्ग का दरवाजा सदा के लिए बंद हो चुका है| {(बाइबल, उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५)}. हमें ज्ञात हो गया है कि भारतीय संविधान वैदिक सनातन धर्म सहित मानव जाति को मिटाने व मानव मात्र को दास बनाने के लिए संकलित किया गया है| इंडिया में मुसलमानों और ईसाइयों को इसलिए रोका गया है कि दोनों ने स्वेच्छा से शासकों की दासता स्वीकार कर ली है| वैदिक सनातन संस्कृति मिटाना दोनों के लिए ईश्वरीय आदेश है| यदि आप अपनी, अपने देश व अपने वैदिक सनातन धर्म की रक्षा करना चाहते हैं तो समस्या की जड़ ईसाइयत और इस्लाम के पोषक भारतीय संविधान को, निजहित में, मिटाने में हमारा सहयोग कीजिए| उपरोक्त कानून अफजलों, कसाबों, बुखारियों आदि को कवच प्रदान करता है| नीचे लोकसेवकों को कवच प्रदान करने वाले कानून को उद्धृत करता हूँ, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९७ १९७- न्यायाधीशों और लोकसेवकों का अभियोजन- “(१) जब किसी व्यक्ति पर, जो न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या ऐसा लोकसेवक है या था जिसे सरकार द्वारा या उसकी मंजूरी से ही उसके पद से हटाया जा सकेगा, अन्यथा नहीं, किसी ऐसे अपराध का अभियोग है जिसके बारे में यह अभिकथित हो कि वह उसके द्वारा तब किया गया था जब वह अपने पदीय कर्तव्य के निर्वहन में कार्य कर रहा था या जब उसका ऐसे कार्य करना तात्पर्यित था, तब कोई भी न्यायालय ऐसे अपराध का संज्ञान - ... सरकार की पूर्व मंजूरी से ही करेगा, अन्यथा नहीं; ...” इससे भी अहम है भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) और लुप्त अनुच्छेद ३१, जो मीडियाकर्मियों सहित किसी को भी सम्पत्ति और पूँजी रखने का अधिकार ही नहीं देते! मीडियाकर्मियों से बड़ा गरीब कौन हो सकता है? भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३१ प्रदत्त सम्पत्ति के जिस अधिकार को अँगरेज़ और संविधान सभा के लोग न छीन पाए, उसे भ्रष्ट सांसदों और जजों ने मिल कर लूट लिया और अब तो इस अनुच्छेद को भारतीय संविधान से ही मिटा दिया गया है. इसे कोई भ्रष्टाचार नहीं मानता! (ए आई आर १९५१ एस सी ४५८) भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) की शर्त है, "३९(ग)- आर्थिक व्यवस्था इस प्रकार चले कि जिससे धन व उत्पादन के साधनों का सर्वसाधारण के लिए अहितकारी संकेन्द्रण न हो;" भारतीय संविधान का अनुच्छेद ३९(ग). सोनिया के पास उपरोक्त दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं १९६ व १९७ नामक दो विशेषाधिकार हैं| इन कानूनों के बल पर सोनिया इंडिया के सभी लोकसेवकों का भयादोहन कर इंडिया के नागरिकों को लुटवा कर हिस्सा भी खा रही है, नागरिकों को कत्ल करवा रही है और नारियों का बलात्कार करा रही है| जजों, पुलिस और नागरिकों के अधिकार शून्य हैं| उस पर तुर्रा यह कि यदि नागरिक शिकायत करता है, तो उसे बताया जाता है कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है| लेकिन जब बुखारियों को सुरक्षा देनी हो तो एनबीडब्लू जारी करने वाले जज को त्यागपत्र देना पड़ता है| मीडिया ने बिना भेदभाव के ईसाइयों व मुसलमानों सहित सबकी सम्पत्ति और पूँजी लूटने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) का १९५० से आज तक कभी विरोध नहीं किया| न अनुच्छेद ३१ को पुनर्जीवित करने की मांग की और न ही परभक्षियों को कवच प्रदान करने वाले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९७ का आज तक विरोध किया| फिर किस मुहं से सरकारी दामाद की लूट का विरोध कर रही है? जब सचान जी के पास सम्पत्ति और पूँजी रखने का अधिकार ही नहीं है और इंडिया और उसके नागरिक ईसा की भेंड़ सोनिया के भेंड़ हैं, तो सम्पत्ति चाहे सरकारी दामाद के पास रहे या सोनिया के पास, सचान जी क्यों आसमान सर पर उठाये हुए हैं? सचान जी लम्बे काल से पत्रकारिता में हैं| इन कानूनों का व इंडिया के नागरिकों की विवशता का उन्हें ज्ञान भी है, लेकिन भारतीय संविधान के विरोध का, जो लूट और भ्रष्टाचार का जनक है, २६ जनवरी, १९५० से आज तक कोई साहस क्यों नहीं करता? सचान जी सहित मीडियाकर्मी जान लें कि सोनिया संस्कृतियों का युद्ध लड़ रही है और उसका लक्ष्य वैदिक सनातन संस्कृति सहित सभी संस्कृतियों को मिटा कर अर्मगेद्दन द्वारा केवल ईसा की पूजा करवाना है| हिरण्यकश्यप की दैत्य संस्कृति न बची और केवल उसी की पूजा तो हो न सकी, अब ईसा की बारी है| Http://www.countdown.org/armageddon/antichrist.htm अमेरिका आज भी है, लेकिन लाल भारतीय और उनकी माया संस्कृति मिट गई| सचान जी! सोनिया वैदिक सनातन संस्कृति मिटाएगी, आप का मांस खाएगी और लहू पीयेगी| (बाइबल, यूहन्ना ६:५३). बचना हो तो अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार को सहयोग दीजिये| यह युद्ध मात्र हम लड़ सकते हैं| ईसाइयत और इस्लाम को धरती पर रहने का कोई अधिकार नहीं है| मस्जिदों से मुसलमानों को गैर-मुसलमान को कत्ल करने की शिक्षा दी जाती है| अतएव मस्जिद नष्ट करना भारतीय दंड संहिता के धारा १०२ के अधीन हमारा कानूनी अधिकार है| हमने बाबरी ढांचा गिराया है| हम मालेगांव व अन्य मस्जिदों में विष्फोट के अभियुक्त हैं| हमारे ९ अधिकारी २००८ से जेलों में बंद हैं| आप सहयोग दें| हम ईसाइयत और इस्लाम को नहीं रहने देंगे| |