Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 19 Year 19 ISSUE 18, Apr 25- May 01, 2014. This issue is AtmRaksha Apradh kaise
Muj14W18 AtmRaksha Apradh kaise Muj14W18आत्मरक्षा अपराध कैसे? अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणापत्र के लेखक जेफरसन का सिद्धांत है, “"हम इन सिद्धांतों को स्वयंसिद्ध मानते हैं कि सभी मनुष्य समान पैदा हुए हैं और उन्हें अपने स्रष्टा द्वारा कुछ अविच्छिन्न अधिकार मिले हैं। जीवन, स्वतंत्रता और सुख की खोज इन्हीं अधिकारों में है। इन अधिकारों की प्राप्ति के लिए समाज में सरकारों की स्थापना हुई जिन्होंने अपनी न्यायोचित सत्ता शासित की स्वीकृति से ग्रहण की। जब कभी कोई सरकार इन उद्देश्यों पर कुठाराघात करती है तो जनता को यह अधिकार है कि वह उसे बदल दे या उसे समाप्त कर नई सरकार स्थापित करे जो ऐसे सिद्धांतों पर आधारित हो और जिसकी शक्ति का संगठन इस प्रकार किया जाए कि जनता को विश्वास हो जाए कि उनकी सुरक्षा और सुख निश्चित हैं।" एलिजाबेथ के उपनिवेश में पैगम्बरों के आदेश और अब्रह्मी संस्कृतियों के विश्वास के अनुसार दास विश्वासियों द्वारा अविश्वासियों को कत्ल कर देना ही अविश्वासियों पर दया करना और स्वर्ग, जहाँ विलासिता की सभी वस्तुएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, प्राप्ति का पक्का उपाय है| यानी काफिरों को कत्ल होना है| किसी भी हरे भरे वृक्ष को नष्ट करने के लिए एक गिद्ध का निवास ही पर्याप्त है| इसी प्रकार किसी भी संस्कृति को मिटाने के लिए एक मुसलमान या ईसाई का निवास पर्याप्त है| अकेला कोलम्बस अमेरिका के लाल भारतीयों और उनकी माया संस्कृति को निगल गया| अकेला मैकाले संस्कृत भाषा और गुरुकुलों को निगल गया| अकेला मुहम्मद अपने आश्रय दाता यहूदियों के तीन प्रजातियों बनू कैनुका, बनू नजीर और बनू कुरेज़ा को निगल गया| वेदों के अनुसार प्रत्येक मनुष्य ब्रह्म है| उसको जन्म के साथ ही प्राप्त, वीर्य का सूक्ष्म अंश ब्रह्म सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सर्व-व्याप्त, वह शक्ति है जिससे सब कुछ, यहाँ तक कि ईश्वर भी उत्पन्न होते हैं। इसका जितना अधिक संचय होगा – मनुष्य उतना ही अधिक शक्तिशाली होगा| वीर्य अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों का दाता, स्वतंत्रता, परमानंद, आरोग्य, ओज, तेज और स्मृति का जनक है| जो कोई वीर्यक्षरण करता या कराता है, स्वयं का ही नहीं - मानवजाति का भयानक शत्रु है| अब्रह्मी संस्कृतियां अपने अनुयायियों सहित मानवमात्र को वीर्यहीन करके, किसान द्वारा सांड़ को दास बनाने के लिए वीर्यहीन करने की भांति, दास बना चुकी हैं| काफ़िरों को यह ज्ञात होना चाहिए कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) का संकलन कर अब्रह्मी संस्कृतियों को इंडिया में वैदिक सनातन धर्म को मिटाने व सबको अपना दास बनाने के लिए रखा गया है| केवल उन्हें ही जीवित रहने का अधिकार है, जो ईसा का दास बने| (बाइबल, लूका १९:२७). कुरान के अनुसार अल्लाह व उसके साम्प्रदायिक साम्राज्य विस्तारवादी खूनी इस्लाम ने मानव जाति को दो हिस्सों मोमिन और काफ़िर में बाँट रखा है| धरती को भी दो हिस्सों दार उल हर्ब और दार उल इस्लाम में बाँट रखा है| (कुरान ८:३९) काफ़िर को कत्ल करना व दार उल हर्ब धरती को दार उल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का मजहबी अधिकार है| एलिजाबेथ के साम्प्रदायिक साम्राज्य विस्तारवादी ईसा को अर्मगेद्दन द्वारा धरती पर केवल अपनी पूजा करानी है| हिरण्यकश्यप की दैत्य संस्कृति न बची और केवल उसी की पूजा तो हो न सकी, अब ईसा और ईसाइयत की बारी है| चुनाव द्वारा भी इनमें कोई परिवर्तन सम्भव नहीं| इनके विरुद्ध कोई जज सुनवाई नहीं कर सकता| (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). स्वतंत्रता कहाँ है? राज्यपालों के पुलिस के संरक्षण में मस्जिदों से ईमाम दिन में पांच समय अज़ान द्वारा ईशनिंदा करते हैं और खुतबे देते हैं कि काफ़िर मुसलमानों के खुले दुष्मन हैं| अविश्वासियों को कत्ल कर दो| मस्जिद से दिए जाने वाले अज़ान और खुतबों के विरुद्ध काफ़िर शिकायत नहीं कर सकते और न जज सुनवाई कर सकता है| पुलिस किसी ईमाम के विरुद्ध आज तक अभियोग न चला सकी| मुसलमानों को अविश्वासियों के नारियों के लव जिहाद और बलात्कार करने का अधिकार इस्लाम (कुरान २३:६) और लोकतन्त्रीय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) से प्राप्त है| इस असीमित मौलिक मजहबी अधिकार के संरक्षण, पोषण व संवर्धन देने के लिए एलिजाबेथ के मनोनीत राष्ट्रपति व राज्यपाल, विवश हो कर, शपथ लेते हैं| [भारतीय संविधान के अनुच्छेद ६० व १५९). अब्रह्मी संस्कृतियों के विरोधियों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ की संस्तुति देकर भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन राष्ट्रपति और राज्यपालों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अंतर्गत एकाधिकार प्राप्त है| लोकसेवक या जज भारतीय संविधान, और कुरान के आगे विवश हैं! अतएव काफ़िर अपमानित होने को विवश हैं| विकल्प मात्र उपनिवेश से मुक्ति के लिए युद्ध है| साध्वी प्रज्ञा ने स्वतंत्रता के उस युद्धको प्रारम्भ कर दिया है, जिसे १५ अगस्त, १९४७ से छल से रोका गया है| {भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७, अनुच्छेद ६ (ब)(।।) भारतीय संविधान व राष्ट्कुल की सदस्यता| वैदिक सनातन संस्कृति के बचने के हर मार्ग अवरुद्ध कर दिये गए हैं| आप को वीर्यवान बनाने के शिक्षा केन्द्र गुरुकुलों को नष्ट कर दिया गया| आप आत्मरक्षा के लिये शस्त्र भी नहीं रख सकते| यदि आप स्वयं का एवं मानव जाति का भला करना चाहते हों तो निःशुल्क गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने, प्रजा को सम्पत्ति और पूँजी रखने का अधिकार देने और वैदिक सनातन धर्म की आधार शिलाओं गायत्री, गीता, गंगा और गो की रक्षा के लिए आर्यावर्त सरकार को सहयोग दीजिये| हम बैल आधारित खेती और गो वंश की वृद्धि को प्रोत्साहित करेंगे| हम पुनः इंडिया को सोने की चिड़िया भारत बना देंगे| हम भारतीय संविधान, कुरान व बाइबल को मानवता का शत्रु मानते हैं और मस्जिद, जहां से हमारे ईश्वर की निंदा की जाती है, को नष्ट कर रहे हैं| हम जानना चाहते हैं कि अज़ान का विरोध और मस्जिद का विष्फोट अपराध कैसे है? अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सू० स०) फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१.
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