Mujahana•
Bilingual-Weekly• Volume 19 Year 19 ISSUE 18B, Apr 25- May 01, 2014. This issue is Akshmik PM Muj14W18B Akshmik PM Muj14W18Bनमो लहर| अगर जीवित रहना और वैदिक सनातन संस्कृति को बचाना हो तो नीचे की लिंक पर क्लिक करें और साध्वी प्रज्ञा को जेल से छुड़ाने में हमारी सहायता करें. इंडिया आज भी ब्रिटिश उपनिवेश व नागरिक अधिकारहीन दास है| जो लोग भी उपनिवेश के विरोधी नहीं हैं – अपने पूर्वजों और अपनी वैदिक सनातन संस्कृति का अपमान कर रहे हैं| साध्वी प्रज्ञा ने स्वतंत्रता के उस युद्धको प्रारम्भ कर दिया है, जिसे १५ अगस्त, १९४७ से छल से आज तक रोका गया है| {भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७, अनुच्छेद ६ (ब)(।।) भारतीय संविधान व राष्ट्कुल की सदस्यता}. वह भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) का संकलन करके| विश्व की तमाम लिपियों में मात्र देवनागरी लिपि ही मनुष्य के ऊर्जा चक्रों में लिखी पाई जाती है| यह निर्विवाद रूप से स्थापित है कि संसार के अब तक के पुस्तकालयों में एकमात्र ज्ञान-विज्ञान के कोष ऋग्वेद से प्राचीन कोई साहित्य नहीं है, जो संस्कृत भाषा और देवनागरी लिपि में लिखी गई है| पाणिनी के अष्टाध्यायी में आज तक एक अक्षर भी बदला न जा सका| ठीक इसके विपरीत अंग्रेजी और उर्दू लिपियों में लिपि और उच्चारण की त्रुटियाँ हैं| संगणक (कम्प्यूटर) विशेषज्ञ स्वीकार करते हैं कि संगणन के लिये संस्कृत सर्वोत्तम भाषा है| आप लोग अपने मालिकों की भाषा का प्रयोग करने में गौरव का अनुभव करते हैं! आप की देवनागरी लिपि और संस्कृत भाषा सर्वोत्तम है| आप लोगों को जारज एलिजाबेथ की दूषित अंग्रेजी लिपि और भाषा में लिखने में लज्जा क्यों नहीं आती? क्या आप लोग जानते हैं कि आप की दूषित भाषा को इस देश की ९८% जनता नहीं जानती? अपने लेखों में आप लोगों ने देश की सुरक्षा, दुर्घटना वश बने प्रधानमंत्री मनमोहन और नमो की लोकप्रियता पर चर्चा की है| १९७७ के मुकाबले तो आज की लहर कुछ भी नहीं| लेकिन जनता पार्टी की सरकार ३ वर्ष भी नहीं चल सकी| क्या आप लोग बताएंगे कि चुनाव की उपयोगिता क्या है? चुनाव द्वारा एलिजाबेथ के इंडियन उपनिवेश के मातहतों और मतदाताओं से स्वीकृति ली जा रही है कि उन को एलिज़ाबेथ की दासता स्वीकार है| वे उपनिवेश को स्वतंत्रता मानेंगे| उन को अपनी सम्पत्ति और जीने के अधिकार को छीने जाने पर आपत्ति नहीं है| उन लोगों को जिस विधि से भी हो – नपुंसक (बाइबल, उत्पत्ति १७:११) बनाये जाने पर आपत्ति नहीं है| उन को वैदिक सनातन संस्कृति और गुरुकुलों को मिटने से आपत्ति नहीं है| उनको अज़ान, ईशनिंदा, नरसंहार और लव जिहाद से आपत्ति नहीं है| उनको आतताइयों को इंडिया में रखे जाने और विशेष सुविधाएँ दिए जाने पर आपत्ति नहीं है| जानते हैं क्यों? क्यों कि इंडिया आज भी एलिजाबेथ का उपनिवेश है| भारतीय संविधान वैदिक सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए संकलित किया गया है| भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) ईसाई व मुसलमान सहित किसी नागरिक को जीने का अधिकार नहीं देता| भारतीय संविधान का अनुच्छेद ३९(ग) किसी नागरिक को सम्पत्ति और पूँजी रखने का अधिकार नहीं देता| आज सारा संसार नपुंसकों का एक समूह बन चुका है| किसी के पास भी चरित्र नहीं है| हमारी मान्यता है| कि यदि आप का धन गया तो कुछ नहीं गया| स्वास्थ्य गया तो आधा चला गया और यदि चरित्र गया तो सब कुछ चला गया| धृतराष्ट्र के न्यायपालिका ने जुए में हारने के बाद पांडवों को निर्णय दिया था कि दास के अधिकार नहीं होते| इंडिया ब्रिटिश उपनिवेश है और नागरिक अंग्रेजों का दास| {भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, १९४७ व अनुच्छेद ६ (ब)(।।) भारतीय संविधान}. लेकिन आप लोगों को एलिजाबेथ की दासता में रहते १९४७ के बाद से आज तक लज्जा नहीं आती! ४ फरवरी, २०१४ को पहली बार पता चला कि ब्रिटिश इंडियन उपनिवेश में आपरेशन ब्लूस्टार इंदिरा के आड़ में एलिजाबेथ ने कराया था| १९४७ से आज तक उपनिवेश का विरोध किसने किया? संविधान हमें जीने और सम्पत्ति व पूँजी रखने का अधिकार नहीं देता| १९५० से आज तक संविधान का विरोध किसने किया? चुनाव द्वारा मतदाता कुटरचित, परभक्षी और मौत के फंदे भारतीय संविधान का विरोध नहीं कर सकते| जब तक इंडिया एलिजाबेथ का उपनिवेश है, वैदिक सनातन संस्कृति मिटती रहेगी| सेना आप की रक्षक है| भारत में सेना का मनोबल तोड़ने के लिए, १९४७ से ही षड्यंत्र जारी है| १९४८ में इंडियन सेना पाकिस्तानियों को पराजित कर रही थी| सेना वापस बुला ली गई| सैनिक हथियार और परेड के स्थान पर जूते बनाने लगे| परिणाम १९६२ में चीन के हाथों पराजय के रूप में आया| १९६५ में जीती हुई धरती के साथ हम प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को गवां बैठे| १९७१ में पाकिस्तान के ९३ हजार युद्ध बंदी छोड़ दिए गए लेकिन भारत के लगभग ५० सैनिक वापस नहीं लिये गए| एलिजाबेथ के लिए इतना कुछ करने के बाद इंदिरा और राजीव दोनों मारे गए| कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों को वापस जाने दिया गया| अटल विरोध करते तो वे भी मारे जाते| एडमिरल विष्णु भागवत के बाद अब वीके सिंह का नम्बर लगा है| नमो या तो एलिजाबेथ की दासता करेंगे और वैदिक सनातन संस्कृति मिटायेंगे अन्यथा एलिजाबेथ नमो को कत्ल करवा देगी| आप लोग नमो को कत्ल क्यों करवाना चाहते हैं? एक ओर वैदिक राजतंत्र है जिसमें मैकाले को एक भी चोर या भिखारी नहीं मिला और दूसरी ओर ब्रिटिश इंडियन उपनिवेश, जिसमे सभी चोर और भिखारी हैं| एक ओर वैदिक राजतंत्र है जिस व्यवस्था में महाराज अश्वपतिने कहा था— न मे स्तेनो जनपदे न कदर्यो न मद्यपः । नानाहिताग्निर्नाविद्वान्न स्वैरी स्वैरिणी कुतः ॥ (छान्दोग्योपनिषद ५/११/५) ‘मेरे राज्यमें न तो कोई चोर है, न कोई कृपण है, न कोई मदिरा पीनेवाला है, न कोई अनाहिताग्नि (अग्निहोत्र न करनेवाला) है, न कोई अविद्वान् है और न कोई परस्त्रीगामी ही है, फिर कुलटा स्त्री (वेश्या) तो होगी ही कैसे?’ दूसरी ओर ब्रिटिश उपनिवेश है, जिसमें कुमारी माँ मरियम वन्दनीय है और मरियम की अवैध सन्तान ईसा ईश्वर का एकमात्र पुत्र, जो स्वयं को शूली पर चढ़ने से न बचा सका, सबका मुक्तिदाता है| जिसमे कोई नारी सुरक्षित नहीं| अब्रह्मी संस्कृतियों ने धरती की सभी नारियां मुसलमानों और ईसाइयों को सौंप रखी हैं| (बाइबल, याशयाह १३:१६) व (कुरान २३:६). एक ओर वैदिक राजतंत्र है जिसके राम चरित मानस की पंक्तियाँ उद्धृत कर रहा हूँ, “अनुज बधू भगिनी सुत नारी| सुनु सठ कन्या सम ए चारी| “इन्हहिं कुदृष्टि बिलोकइ जोई| ताहि बधें कछु पाप न होई||” राम चरित मानस, किष्किन्धाकाण्ड; ८;४ अर्थ: [श्री रामजी ने कहा] हे मूर्ख! सुन, छोटे भाई की स्त्री, बहिन, पुत्रवधू और कन्या – ए चारों समान हैं| इनको जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं होता| और दूसरी ओर अब्रह्मी संस्कृतियां जिनमें बेटी व पुत्रवधू से विवाह की छूट है| कुमारी माएं प्रायः घर घर मिलती हैं| यहाँ विश्वामित्र और मेनका का प्रसंग प्रासंगिक है| इंद्र ने वीर्यवान विश्वामित्र को पराजित करने के लिए मेनका का उपयोग किया| मूसा (बाइबल, याशयाह १३:१६) व मुहम्मद (कुरान २३:६) ने तो इंद्र की भांति धरती की सभी नारियां मुसलमानों और ईसाइयों को सौंप रखी हैं|. इतना ही नहीं ईसा ने बेटी (बाइबल, १, कोरिन्थिंस ७:३६) से विवाह की छूट दी है| अल्लाह ने मुहम्मद का निकाह उसकी पुत्रवधू जैनब (कुरान, ३३:३७-३८) से किया और ५२ वर्ष के आयु में ६ वर्ष की आयशा से उसका निकाह किया| आप की कन्या को बिना विवाह बच्चे पैदा करने के अधिकार का संयुक्त राष्ट्र संघ कानून पहले ही बना चुका है| [मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा| अनुच्छेद २५(२)]. “विवाह या बिना विवाह सभी जच्चे-बच्चे को समान सामाजिक सुरक्षा प्रदान होगी|”]. लव जेहाद, बेटी व पुत्रवधू से विवाह, सहजीवन व समलैंगिक मैथुन और सगोत्रीय विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई है| बारमें दारू पीने वाली बालाओं का सम्मान हो रहा है! विवाह सम्बन्ध अब बेमानी हो चुके हैं| जजों ने सहजीवन (बिना विवाह यौन सम्बन्ध) और सगोत्रीय विवाह (भाई-बहन यौन सम्बन्ध) को कानूनी मान्यता दे दी है| सोनिया के सत्ता में आने के बाद सन २००५ से तीन प्रदेशों केरल, गुजरात और राजस्थान में स्कूलों में यौन शिक्षा लागू हो गई है| शीघ्र ही अमेरिका की भांति इंडिया के विद्यालयों में गर्भ निरोधक गोलियां बांटी जाएँगी| जजों की कृपा से आप की कन्याएं मदिरालयों में दारू पीने और नाच घरों में नाचने के लिए स्वतन्त्र हैं| उज्ज्वला - नारायण दत्त तिवारी और आरुषि - हेमराज में जजों के फैसलों ने आने वाले समाज की दिशा निर्धारित कर दी है| हालात इतने गम्भीर हैं कि आप अपनी पत्नी, बहन या बेटी को व्यभिचार करने से रोक नहीं सकते| आप अपनी संतानों को ब्रह्मचारी बनाने की बात सोच नहीं सकते| आप ही बताइए कि क्या आप को किसी शत्रु की आवश्यकता है? चरित्र के नये मानदंड| भारतीय संविधान से पोषित इन यानी ईसाइयत, इस्लाम, समाजवाद व लोक लूट तंत्र ने मानव मूल्यों व चरित्र की परिभाषाएं बदल दी हैं। ईसाइयत, इस्लाम, समाजवाद और प्रजातंत्र अपने अनुयायियों में अपराध बोध को मिटा देते हैं। ज्यों ही कोई व्यक्ति इन मजहबों या कार्लमार्क्स के समाजवाद अथवा प्रजातंत्र में परिवर्तित हो जाता है, उसके लिए लूट, हत्या, बलात्कार, दूसरों को दास बनाना, गाय खाना, आदमी खाना आदि अपराध नहीँ रह जाता, अपितु वह जीविका, मुक्ति, स्वर्ग व गाजी की उपाधि का सरल उपाय बन जाता है। सम्पति पर व्यक्ति का अधिकार नहीं रहा। [(बाइबल ब्यवस्था विवरण २०:१३-१४), (कुरान ८:१, ४१ व ६९) व (भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३१ (अब २०.६.१९७९ से लुप्त व ३९ग)]. अब्रह्मी संस्कृतियों में आस्था व्यक्त (दासता स्वीकार) कीजिए| दार-उल-हर्ब इंडिया को दार-उल-इस्लाम बनाइए| ८:३९. आज विश्व की कोई नारी सुरक्षित नहीं है| धरती की सभी नारी आप की हैं| किसी भी नारी का बलात्कार कीजिए| (बाइबल, याशयाह १३:१६) व (कुरान २३:६). इतना ही नहीं - बेटी (बाइबल १, कोरिन्थिंस ७:३६) से विवाह व पुत्रवधू (कुरान, ३३:३७-३८) से निकाह कीजिए| अल्लाह तो ५२ वर्ष के मुसलमान का ६ वर्ष की कन्या से निकाह कर देता है| किसी का भी उपासना स्थल तोड़िये| [(बाइबल, व्यवस्था विवरण १२:१-३) व (कुरान, बनी इस्राएल १७:८१ व कुरान, सूरह अल-अम्बिया २१:५८)]. जिसकी भी चाहें सम्पत्ति लूटिये [(बाइबल, व्यवस्थाविवरण २०:१४) व (कुरान ८:१, ४१ व ६९)]. किसी का जीवन सुरक्षित नहीं है। जिसे भी चाहिए अपनी तरह दास बनाइए| न बने तो कत्ल कर दीजिए| (बाइबल, लूका १९:२७) व (कुरआन ८:१७) – जिसके विरुद्ध कोई जज सुनवाई ही नहीं कर सकता| (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). मूर्खों और दासों के वैश्यालय व मदिरालय नामक स्वर्ग का दरवाजा सदा के लिए खुला है| {(बाइबल, उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५)} वह भी भारतीय संविधान के अनुच्छेदों २९(१) व ३९(ग) और दंप्रसं की धाराओं १९६ व १९७ के संरक्षण में| इतना ही नहीं! विरोध करने वालों को भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन-राष्ट्रपति या राज्यपाल की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ की संस्तुति द्वारा, जजों से, उत्पीड़ित कराया जा रहा है| लेकिन क्यों? संविधान के अनु० ३१ प्रदत्त सम्पत्ति के जिस अधिकार को अँगरेज़ और संविधान सभा के लोग न लूट पाए, उसे सांसदों और जजों ने मिल कर लूट लिया और अब तो इस अनुच्छेद को २० जून, १९७९ [ध्यान दीजिए तब कांग्रेस का शासन नहीं था] से भारतीय संविधान से ही मिटा दिया गया है| भारतीय संविधान का अनुच्छेद ३९(ग) किसी नागरिक को सम्पत्ति या पूँजी रखने का अधिकार नहीं देता| इसे कोई भ्रष्टाचार नहीं मान सकता! (एआईआर, १९५१, एससी ४५८). जब १९९१ से ही बाजारी व्यवस्था लागू हो गई, तो अनुच्छेद ३९(ग) को हटाने में और ३१ को पुनर्जीवित करने में क्या कठिनाई है? आर्यावर्त सरकार जनता से यह जानना चाहती है| १९९० से आज तक राष्ट्रीय न्यायिक आयोग का गठन न हो सका| ताकि एलिजाबेथ मानवमात्र को न्यायपालिका के स्वतंत्रता की आड़ में लूटती रहे| क्यों कि यह कहना सरासर झूठ है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है| दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं १९६ व १९७ के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि न्यायपालिका राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधीन है और राष्ट्रपति और राज्यपाल एलिजाबेथ के अधीन| क्यों कि राष्ट्रपति और राज्यपाल अनुच्छेदों ६० और १५९ के अधीन कुटरचित, परभक्षी और मौत के फंदे भारतीय संविधान का संरक्षण, पोषण और संवर्धन करने के लिए विवश कर दिए गए हैं| एलिजाबेथ ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३९(ग) से प्राप्त अधिकार से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९७ के अधीन संरक्षण दे कर लोकसेवकों को जनता को लूटने के लिए नियुक्त किया है| धारा १९७ के अधीन लोक सेवकों की लूट को तब तक भ्रष्टाचार नहीं माना जाता, जब तक एलिजाबेथ को लूट में हिस्सा मिलता रहे| जनता को लूटने के लिए ही जजों को नियुक्त किया गया है| जब तक जज तारीख पर १० रूपये भेंट लेते हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायलय का रजिस्ट्रार तारीख देने के लिए ५०० रूपये, इन्हें भ्रष्टाचार नहीं माना जाता| जब तक चौराहे पर ट्राफिक पुलिस वसूली करता है, जज व लोकसेवक जनता को लूटते हैं और एलिजाबेथ को हिस्सा देते हैं, उनको दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९७ के अधीन एलिजाबेथ अपने द्वारा मनोनीत राज्यपालों से संरक्षण दिलवाती है| हिस्सा न मिले तो एलिजाबेथ संरक्षण वापस ले लेती है| अतएव भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहें तो उपनिवेश और भारतीय संविधान से मुक्ति लेने में आर्यावर्त सरकार की गुप्त सहायता करें| पैगम्बरों के आदेश और अब्रह्मी संस्कृतियों के विश्वास के अनुसार दास विश्वासियों द्वारा अविश्वासियों को कत्ल कर देना ही अविश्वासियों पर दया करना और स्वर्ग, जहाँ विलासिता की सभी वस्तुएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, प्राप्ति का पक्का उपाय है| मेरा सीधा सवाल है, "मस्जिद, जहां से ईशनिंदा की जाती है और कत्ल करने की शिक्षा दी जाती है, को नष्ट करना अपराध कैसे है? बिना प्रमाण उपनिवेश का जज भी फैसला नहीं देता| पैगम्बरों के आतताई ईश्वरों पर हम विश्वास क्यों करें? केवल उन्हें ही जीवित रहने का अधिकार है, जो ईसा का दास बने| (बाइबल, लूका १९:२७). कुरान के अनुसार अल्लाह व उसके साम्प्रदायिक साम्राज्य विस्तारवादी खूनी इस्लाम ने मानव जाति को दो हिस्सों मोमिन और काफ़िर में बाँट रखा है| धरती को भी दो हिस्सों दार उल हर्ब और दार उल इस्लाम में बाँट रखा है| (कुरान ८:३९) काफ़िर को कत्ल करना व दार उल हर्ब धरती को दार उल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का मजहबी अधिकार है| एलिजाबेथ के साम्प्रदायिक साम्राज्य विस्तारवादी ईसा को अर्मगेद्दन द्वारा धरती पर केवल अपनी पूजा करानी है| हिरण्यकश्यप की दैत्य संस्कृति न बची और केवल उसी की पूजा तो हो न सकी, अब ईसा और ईसाइयत की बारी है| चुनाव द्वारा भी इनमें कोई परिवर्तन सम्भव नहीं| इनके विरुद्ध कोई जज सुनवाई नहीं कर सकता| (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). हम काफ़िर लोग संस्कृतियों के विरुद्ध युद्ध लड़ रहे हैं| अब्रह्मी संस्कृतियों के अनुयायी हमें कत्ल करेंगे| आत्म रक्षा हमारा मानवाधिकार है| हम अपने अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं| एलिजाबेथ के उपनिवेश के दासों को हमारा उत्पीड़न करने का कोई अधिकार नहीं है| हम मानवमात्र को उपनिवेश से मुक्ति दिलाने के लिए धरती के प्रत्येक मनुष्य से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं| हमने बाबरी ढांचा गिराया है| हम मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस बम विष्फोट के अभियुक्त हैं| साध्वी प्रज्ञा व अन्य आर्यावर्त सरकार के अधिकारियों को आतताई अब्रह्मी संस्कृतियों को बचाने के लिए सताया जा रहा है| ताकि मानवजाति सम्मानपूर्वक न जी सके – जिए तो शासकों का दास बनकर| जिन्हें तनिक भी अपने भावी संतति और अपने सम्मान का लोभ हो, हमारी सहायता करें| सन्देश देश के उद्योगपतियों और व्यापारीयों के लिए है| एफडीआई लागू हो गई है| अब घृणा फ़ैलाने के लिए बेचारे मुकेश के विरुद्ध विडियो भी तैयार हो गई| कानून के अभाव में भी पटेल को रजवाड़ों को लूटने में समय नहीं लगा| लोगों की जमींदारी गई, सोना गया, खानें गईं, कारखाने गए, रेलें गईं और कोई कुछ नहीं कर पाया. मुकेश को लूटने में एलिज़ाबेथ को कितने मिनट लगेंगे? अब तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद ३९(ग) है| लक्ष्मी के हैं चार सुत, धर्म, अग्नि, नृप, चोर| जेठे का निरादर करो, शेष करें भंड़ फोड़| लक्ष्मी के चार बेटे धर्म, अग्नि, राजा और चोर हैं| या यूं कह लीजिए कि धन की चार गति है| चंचला है| कहीं टिकती नहीं है| लक्ष्मी को धर्म पर व्यय करेंगे तो आप का यश बढ़ेगा| आप की हर तरह ईश्वर, संत समाज और दुखी दीन जन सहायता करेंगे और आप की कीर्ति बढायेंगे| अन्यथा आप की सम्पत्ति या तो अग्नि में स्वाहा होगी, या एलिजाबेथ ले लेगी अथवा चोर चुरा लेंगे| आप एफआईआर भी न कर पाएंगे| हो सकता है कि आप की स्थिति पोंटि चड्ढा की भांति न हो जाये| इसलिए चुनाव को भूल जाइये| राजतन्त्र की शरण में आइये, जिसमे १८३५ तक भारत सोने की चिड़िया था| चोर और भिखारी नहीं थे| लोगों का चरित्र महान था| अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सू० स०) फोन: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१ Registration Number is : DARPG/E/2014/02288
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