धर्मयुद्ध में सहयोग दें.
वैदिक
सनातन धर्म से ईसाइयत और इस्लाम दोनों ही आतंकित हैं. ईसाइयत और इस्लाम वैदिक
पंथियों को मिटाना चाहते हैं.
यह
संस्कृतियों का युद्ध है. ईसाइयत और इस्लाम आतताई संस्कृतियाँ हैं. मात्र वैदिक
सनातन धर्म धोखे से हमले का विरोधी है. आत्मघाती मजहबों को मिटाना आप का वैदिक
सनातन धर्म है. आइये ईसाइयत और इस्लाम मिटायें.
ईश्वर
उपासना की दासता नहीं थोपता. (गीता ७:२१) और न लूट के माल का स्वामी है.
(मनुस्मृति ८:३०८). हम अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार के लोग वैदिक सनातन धर्म के
अनुयायी हैं. मीडिया हम अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार के पीछे इसलिए पड़ी है कि उनकी
आका सोनिया को वैदिक सनातन धर्म से खतरा है. इसके अतिरिक्त पोप इंडिया में आकर
सोनिया को आदेश दे गया है कि २१ वीं सदी में सोनिया को पूरे एशिया को ईसा की भेंड़
बनाना है. आइये प्रण लें कि हम मनुष्यता को तज कर भेंड़ नहीं बनेंगे.
जहां हम ब्रह्म की संतति हैं, वहीं ईसाइयत
और इस्लाम के अनुयायी अब्रहमिक (Abraham's) संततियां हैं. जहां
हम अपने ईश्वर से स्वतंत्रता और बुद्धि के प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं.
(गायत्री मंत्र) वहीं यह मूर्ख लोग [(बाइबल, उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५)] दास बनने और बनाने के लिए गोलबंद हो कर
मस्जिदों से चिल्लाते हैं. हमारा ईश्वर हमें
उपासना की स्वतंत्रता देता है, (गीता ७:२१). जब कि
अल्लाह का हठधर्म यह है कि जो भी अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की पूजा करे,
उसे कत्ल करो.स्वयम
अल्लाह के दास बनो और औरों को बनाओ!
पूर्व केंद्रीयमंत्री डा० सुब्रमण्यम स्वामी के विरोधी उत्तर दें.
जो लोग डा० स्वामी के
विरुद्ध विष वमन कर रहे हैं, वे मेरे निम्नलिखित उत्तर को पढ़ कर सोचें और अपनी रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायें.
काबा हमारा शिवमंदिर है, अजान ईश्वरनिन्दा है, मस्जिद सेनावास हैं, जर्मनी सहित कई देशों ने नए मस्जिदों के निर्माण पर रोक लगा दी है और कुरान सारी दुनिया में फुंक रही है. धरती
पर क्यों रहे इस्लाम? आधुनिक दुर्गा
साध्वी पूर्ण चेतनानंद की ललकार भायखला, मुंबई कारागार से!
भारतीय संविधान के अनुच्छेद २९(१) का
संकलन कर वैदिक सनातन धर्म के अनुयायियों की धरती, देश, सम्पत्ति व नारियां उनसे
चुरा कर संयुक्त रूप से मुसलमानों और ईसाइयों को सौँप दिया गया है. हमारे शासकों
को यह स्वीकार भी है. अतएव मुसलमान और ईसाई लोगों को लड़ कर यह निर्णय कर लेना
चाहिए कि विश्व पर अधिकार मुसलमानों का रहेगा या ईसाइयों का. यहाँ भी एक समस्या
है. जीते चाहे कोई, रहेगा वह शासक (सोनिया) का दास ही! सूचना के अधिकार के अधीन
मुझे बताया गया है कि वैदिक पंथियों को अपने वैदिक सनातन धर्म को बनाये रखने का
कोई अधिकार नहीं है.
अहिंसा, सांप्रदायिक एकता और शांति
प्रक्रिया की आड़ में ईसाइयत व इस्लाम मिशन व जिहाद की हठधर्मिता के बल पर वैदिक
संस्कृति को मिटा रहे हैं. वे हठधर्मी सिद्धांत हैं, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य
करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात
करो." (बाइबल, लूका १९:२७) और "और तुम
उनसे (काफिरों से) लड़ो यहाँ तक कि फितना (अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की
उपासना) बाकी न रहे और दीन (मजहब) पूरा का पूरा (यानी सारी दुनियां में)
अल्लाह के लिए हो जाये." (सूरह अल अनफाल ८:३९). वैदिक सनातन धर्म को
मिटाना दोनों का संवैधानिक अधिकार, {भारतीय
संविधान का अनुच्छेद २९(१)}, ईश्वरीय आदेश व घोषित कार्यक्रम है.
यदि ईसाइयत और
इस्लाम हैं तो न वैदिक सनातन धर्म बचेगा और न मानव जाति. इस प्रकार ईसाइयत और इस्लाम खूनी मजहब हैं. भारतीय दंड संहिता
की धारा ९६ के अधीन प्राइवेट प्रतिरक्षा में किया गया कोई कार्य अपराध नहीं है. पाठक
को ऊपर उद्धृत खूनी मजहबों ईसाइयत और इस्लाम को मिटाने का भारतीय दंड संहिता की
धारा १०२ के अधीन कानूनी अधिकार है. राज्य ही राज्य से लड़ सकता है. आर्यावर्त
सरकार की स्थापना पाठक के प्राइवेट प्रतिरक्षा के लिए की गई है. पाठक आर्यावर्त
सरकार को सहयोग दें, हम ईसाइयत और इस्लाम मिटायेंगे.
वस्तुतः हम अभिनव भारत और आर्यावर्त सरकार से जुड़े बागियों ने ज्ञान
के वृक्ष का फल खा लिया है. हमारे लिए मूर्खों के वैश्यालय व मदिरालय नामक स्वर्ग
का दरवाजा सदा के लिए बंद हो चुका है. {(बाइबल, उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५)}. हमें
ज्ञात हो गया है कि भारतीय
संविधान वैदिक सनातन धर्म सहित मानव जाति
को मिटाने के लिए संकलित किया गया है. भारत में
मुसलमानों और ईसाइयों को इसलिए रोका गया
है कि दोनों ने स्वेच्छा से शासकों की दासता स्वीकार कर ली है. ऐसे भयानक भारतीय संविधान का १९५० से आज तक किसी ने विरोध नहीं किया. हमारा कथन है कि यदि आप अपनी, अपने देश व अपने वैदिक सनातन धर्म
की रक्षा करना चाहते हैं तो समस्या की जड़ ईसाइयत और इस्लाम के पोषक भारतीय संविधान को, निजहित में, मिटाने में हमारा सहयोग कीजिए.
मै डेनिअल वेबस्टर के कथन से पूरी तरह सहमत हूँ, “हमको मिटाने के लिए किसी भी राष्ट्र के पास शक्ति नहीं है.
हमारा विनाश, यदि आएगा तो वह दूसरे प्रकार से आएगा. वह होगा सरकार के
षड्यंत्र के प्रति जनता की
लापरवाही. ... मुझे भय है कि जनता अपने उन लोकसेवकों पर अत्यधिक विश्वास करेगी, जिन्हें स्वयं अपने ही सर्वनाश के लिए (सोनिया द्वारा) हथियार
बना लिया गया है.”
अजान क्या है?
यह एक बड़ी ग़लतफ़हमी है जो अज़ान के बोले जाने वाले शब्द ‘अकबर’ का अर्थ न जानने की वजह से पैदा हुई है। यह शब्द रोज़ाना पांच बार, मस्जिदों से ऊंची आवाज़ में ‘अज़ान’ के दौरान सुना जाता है। अज़ान देकर लोगों को पुकारा, बताया, बुलाया जाता है कि नमाज़ का निर्धारित समय आ गया, सब लोग उपासना स्थल(?) (मस्जिद) में आ जाएं।
पूरे अजान को नीचे पढ़ें और बताएं कि यदि मात्र अल्लाह
कि पूजा हो सकती है, तो पाठक की उपासना की आजादी, सहअस्तित्व और साम्प्रदायिक सद्भाव
कहाँ है? हमसे राम राज्य और उपासना की आजादी का वादा किया गया है, हम अल्लाह की पूजा (दासता) क्यों करें?
~अजान~
यहां
पूरी अज़ान के बोल उल्लिखित कर देना उचित महसूस होता है :
● अल्लाहु अकबर-अल्लाहु अकबर (दो बार), अर्थात् ‘अल्लाह सबसे बड़ा है।’
● अश्हदुअल्ला इलाह इल्ल्अल्लाह (दो बार), अर्थात् ‘मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवाय कोई पूज्य, उपास्य नहीं।’
● अश्हदुअन्न मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह (दो बार), अर्थात् ‘मैं गवाही देता हूं कि (हज़रत) मुहम्मद (सल्ल॰)
अल्लाह के रसूल (दूत, प्रेषित, संदेष्टा, नबी,
Prophet) हैं।’
● हय्या अ़लस्-सलात (दो बार), अर्थात् ‘(लोगो) आओ नमाज़ के लिए।’
● हय्या अ़लल-फ़लाह (दो बार), अर्थात् ‘(लोगो) आओ भलाई और सुफलता के लिए।’
● अस्सलातु ख़ैरूम्-मिनन्नौम (दो बार, सिर्फ़ सूर्योदय से पहले वाली नमाज़ की अज़ान में), अर्थात् ‘नमाज़ नींद से बेहतर है।’
● अल्लाहु अकबर-अल्लाहु अकबर (एक बार), अर्थात् ‘अल्लाह सबसे बड़ा है।’
● ला-इलाह-इल्ल्अल्लाह (एक बार), अर्थात् ‘कोई पूज्य, उपास्य नहीं, सिवाय अल्लाह के।’
हमारी
कठिनाई यहाँ से प्रारम्भ होती है कि दास मुसलमान अपनी दासता गैर-मुसलमान पर आरोपित करना अपना मजहबी दायित्व मानते हैं. अपने अजान
द्वारा ईमाम(मुअज्जिन) गैर-मुसलमान को उपरोक्त अजान के पंक्तियों के
अनुसार दिन में लाउड स्पीकर से कम से कम
१५ बार चेतावनी देते हैं कि हमारा ईश्वर
झूठा है. ईश्वर पूजा के योग्य नहीं है. क्या मुसलमान यह बताएंगे कि मुहम्मद के
चित्र बना देने वाले को कत्ल करने वालों को हमारे ईश्वर का अपमान करने का अधिकार
कहाँ से प्राप्त हुआ? हम मुसलमानों को कत्ल क्यों न करें?
सबको दास बनाना और स्वयं दास बनना ईसाइयत (बाइबल, उत्पत्ति २:१७) और इस्लाम (कुरान
२:३५) के मूर्ख अनुयायियों की फितरत है. एकेश्वरवाद
के अनुसंधान का यही कारण है. मूसा एकेश्वरवाद का जनक है. मसीह ईसा और मुहम्मद तो नकलची
हैं. जेहोवा और अल्लाह से क्रमशः मूसा और मुहम्मद ही मिल सकते हैं. इस प्रकार धूर्त
पैगम्बरों ने मानव मात्र को दास बनाने की अनूठी विधि ढूंढ रखी है. यहूदी मूसा का दास
है और मुसलमान मुहम्मद का. जो दास नहीं बनता उसे पैगम्बर लूट और नारी बलात्कार का लोभ
देकर कत्ल कराते हैं. इस प्रकार ईसाइयत और इस्लाम मानव मात्र को दास बनाने के अमोघ
अस्त्र है, पैगम्बर तो रहे नहीं-उत्तराधिकार शासकों और पुरोहितों को सौँप गए हैं.
पाठक का सामना किसी ऐसे समूह से हो जाए, जिसके देवता का पेशा चोरी का कार्य (कुरआन ८:१, ४१ व ६९) है.
जिसने अपने अनुयायी मुसलमानों पर युद्ध अनिवार्य कर दिया है| (कुरआन २:२१६) आतंक (कुरआन ८:१२) और नारियों के
बलात्कार (कुरआन ४:२४ व २३:६) की छूट दे
रखी है | जिस समूह का पूज्य देवता सगर्व कहता है कि वह हत्यारा है| (कुरआन ८:१७).
लूट के माल का स्वामी है, (कुरआन ८:१) लूट के माल को पवित्र बताता है, (कुरआन
८:६९), मुसलमान समाज में लूट का बंटवारा करता है, (कुरआन ८:४१) प्रतिज्ञाऐ तोड़ता
है, (कुरआन ६६:२) जिसने मुहम्मद का निकाह
मुहम्मद की ही पुत्रवधू से कराया था | (कुरआन,३३:३७-३८). जो मुसलमानों द्वारा
गैर-मुसलमान नारियों का बलात्कार निंदनीय नहीं मानता है (कुरआन २३:६) अपितु इन कुकर्मो को करने वाले मुसलमानों
को स्वर्ग भेजता है, जहाँ ऐसे अपराधी मुसलमानों को हूरे व गिलमे मिलेंगे, (यानी
अल्लाह और उसके अनुयायी असामाजिक तत्व हैं. जिन्हें धरती पर रहने का अधिकार नहीं
है) तो क्या आप चुप बैठे रहेंगे? मुझे दुःख है कि आप चुप ही नहीं बैठे हैं, बल्कि
लूट व यौन सुख के लोभ में और मुजाहिदों के हाथों मौत के भय से सच्चाई को सामने
नहीं आने दे रहे हैं | आप मानवदोही क्यों नहीं हैं? भारतीय संविधान मुसलमान और
ईसाई को समर्थन व संरक्षण दे रहा हैं| अतएव आतंकवादी मुसलमान, कसाब या अफजल नहीं,
अल्लाह व मस्जिद का पौषक भारतीय संविधान हैं| अपराध करने वाले से अपराध सहन करने
वाला अधिक अपराधी होता है. अतः अपराधी भारतीय संविधान का बहिष्कार करने में हमारा सहयोग
करें|
आप से ‘स्वतंत्रता’ और रामराज्य का वादा किया गया था. आप को सोनिया के रोम
राज्य की चाकरी करते लज्जा क्यों नहीं आती? भारतीय संविधान ने आप को
उपासना की ‘स्वतंत्रता’ दी है. ईमाम(मुअज्जिन) मात्र अल्लाह की पूजा करने की
मस्जिदों से बांग लगाते हैं. स्वयं अल्लाह के दास हैं. आप को दास बनाने के लिए
ललकारते हैं. अपने इष्ट देवता व संस्कृति का अपमान सहन करते आप को लज्जा क्यों
नहीं आती?
अज़ान
यद्यपि ‘सामूहिक नमाज़ के लिए बुलावा’ है, फिर भी इसमें एक बड़ी हिकमत यह भी निहित है कि अजान मानव मात्र को पैगम्बर या
शासकों का दास बनाता है.
हमारे वैदिक सनातन धर्म में कोई पाप क्षमा नहीं होता. दूसरे
की धन-धरती लूटने, कत्ल करने और नारी बलात्कार की सुविधा नहीं है. हमारा ईश्वर आप
को उपासना, सम्पत्ति और जीवन का अधिकार देता है. आप को दास नहीं बनाता. पशु-पक्षी
तक को अपनी ‘स्वतंत्रता’ प्रिय है. हम आप को धूर्त पैगम्बरों द्वारा छीना गया यही ‘‘स्वतंत्रता’’ का अनमोल रत्न वापस देना
चाहते हैं.
अल्लाह व उसके इस्लाम ने मानव जाति को दो हिस्सों मोमिन और
काफ़िर में बाँट रखा है. धरती को भी दो हिस्सों दार उल हर्ब और दार उल इस्लाम में
बाँट रखा है. (कुरान ८:३९) काफ़िर को कत्ल करना व दार उल हर्ब भारत को दार उल
इस्लाम में बदलना मुसलमानों का मजहबी अधिकार है.
हम इसलिए लड़ रहे हैं कि आप धूर्त पुरोहितों और शासकों के
दास न बनें. मुसलमान और ईसाई आप की आँखों के सामने आप की नारियों का बलात्कार न
करने पायें. आप के घर न लूट लिए जाएँ और आप कत्ल न कर दिए जाएँ. हम आतताई अल्लाह व
जेहोवा को भगवान मानने के लिए तैयार नहीं हैं. और न कुरान व बाइबल को धर्म पुस्तक
स्वीकार करते हैं. हम भारतीय संविधान, कुरान व बाइबल को मानवता का
शत्रु मानते हैं. जो ऐसा नहीं मानता, वह दया का पात्र है.
मुसलमान इतिहासकार सगर्व लिखते हैं कि मुहम्मद ने कितने
शांतिप्रिय नागरिकों को कत्ल किया. कितने मंदिर तोड़े. कितनी अबला नारियों के गहने
लूटे, उनके सगे-सम्बन्धियों को कत्ल किया और उसी रात उनका बलात्कार किया. लेकिन जब
सर्बो ने मुसलमान नारियों का बलात्कार किया और जब लेबनान के नागरिक ठिकानों पर
इजराएल ने बमबारी की तो मुसलमानों को मानवाधिकार याद आ गया. अफगानिस्तान और इराक
पर अमेरिकी आधिपत्य से मुसलमान आतंकित हैं. लेकिन मुसलमान भूल गए हैं कि अल्लाह ने
मुसलमानों को सृष्टि सौँप रखी है (कुरान २:२५५) और ईसा ने ईसाइयों को हर उस
व्यक्ति को कत्ल करने का अधिकार दे रखा है, जो ईसा को अपना राजा स्वीकार नहीं
करता. (बाइबल, लूका १९:२७). मुसलमान विचार करें कि तब क्या होगा, जब ईसाई
मुसलमानों को कत्ल कर विश्व के सभी इस्लामी राज्यों पर आधिपत्य जमा लेंगे? अकेले
इजराएल से तो मुसलमान निपट नहीं पाए, सभी ईसाई राज्यों से मुसलमान कैसे निपटेंगे?
ईसाइयत और इस्लाम में आस्था व्यक्त (दासता स्वीकार) करिये,
चाहे जिस नारी का बलात्कार कीजिये. [(बाइबल, याशयाह १३:१६) व (कुरान २३:६)] जिसकी भी चाहें सम्पत्ति लूटिये [(बाइबल,
व्यवस्थाविवरण २०:१४) व और जिसे भी चाहिए अपनी तरह दास बनाइए. न बने तो कत्ल कर दीजिए.
मूर्खों और दासों के वैश्यालय व मदिरालय नामक स्वर्ग का दरवाजा सदा के लिए खुला है.
{(बाइबल, उत्पत्ति २:१७) व (कुरान २:३५)}.
आजादी नहीं दासता हेतु.
अमेरिकी, संयुक्त राष्ट्र और भारतीय संविधान ने आप को
उपासना की ‘स्वतंत्रता’ दी है. ईमाम(मुअज्जिन) मात्र अल्लाह की पूजा करने की
मस्जिदों से बांग लगाते हैं. इस्लाम का शाब्दिक अर्थ समर्पण है. जहां हम वैदिक
पंथी आजादी के लिए लड़ते हैं, वहीं मुसलमान धरती पर मानव मात्र की दासता के स्थापना
के लिए निरीहों की जान लेते हैं. स्वयं अल्लाह के दास हैं. आप को दास बनाने के लिए
ललकारते हैं. अपने इष्ट देवता व संस्कृति का अपमान सहन करते आप को लज्जा क्यों नहीं
आती?
दासता को पुष्ट करने के लिए नागरिक के सम्पत्ति को छीना
जाना आवश्यक है. अतएव संविधान के अनुच्छेद २९(१) का संकलन कर ईसाइयत और इस्लाम को
अपने लूट, हत्या, बलात्कार और धर्मान्तरण की संस्कृति को बनाये रखने का मौलिक
अधिकार दिया गया है. इसके अतिरिक्त राज्यपालों और प्रेसिडेंट को भारतीय संविधान के
संरक्षण, संवर्धन व पोषण का अनुच्छेदों १५९ व ६० के अंतर्गत भार
सौंपा गया है. लोकसेवकों को संरक्षण देने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९७
बनाई गई है. जो भी लूट का विरोध करे उसे उत्पीड़ित करने की भी दंड प्रक्रिया संहिता
की धारा १९६ के अंतर्गत व्यवस्था की गई है.
आप अकेले यह युद्ध नहीं लड़ सकते.
अज़ान के ये बोल १४०० वर्ष से अधिक पुराने हैं। भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में नमाज़ियों को मस्जिद में बुलाने के लिए लगभग डेढ़ हज़ार साल से निरंतर यह आवाज़ लगाई जाती रही है। धरती पर एक से बढ़ कर एक त्रिकालदर्शी, योद्धा, चिन्तक, समाज सुधारक और बुद्धिमान पैदा हुए, लेकिन, मालेगांव व अन्य मस्जिदों पर विष्फोट के अभियुक्त और जेल में निरुद्ध,
जगतगुरु श्री अमृतानंद के अतिरिक्त
ईसाइयत और इस्लाम का
एक भी विरोधी नहीं पैदा हुआ. उनके आशीर्वाद से हम आप के लिए लड़ रहे हैं. क्या आप हम लोगों की सहायता करेंगे, ताकि आप की आँखों के सामने आप की सम्पत्ति और घर
ईसाइयत और इस्लाम
न लूट ले, आप के दुधमुंहे आप की आँखों के सामने पटक कर न मार डाले जाएँ, नारियों का सोनिया बलात्कार न करा पाए और आप कत्ल न हों? (बाइबल, याशयाह १३:१६).
जब ईमाम(मुअज्जिन) मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर अजान चिल्लाता है कि मात्र अल्लाह की पूजा
हो सकती है, तब वह स्पष्टतः, ईसाइयत सहित, गैर-मुसलमान के आराध्य देवों का अपमान
करता है. गैर-मुसलमान के धार्मिक भावनाओं को आहत करता है. इस प्रकार अजान भारतीय
दंड संहिता की उपरोक्त धारा २९५क के अनुसार पाठक के विरुद्ध किया जाने वाला दंडनीय
अपराध है.
बिना राज्यपाल के
संस्तुति के जज सुनवाई नहीं कर सकता. आम नागरिक शिकायत नहीं कर सकता. चूंकि इस
कानून के बनने के बाद से आज तक किसी राज्य ने किसी मस्जिद या ईमाम(मुअज्जिन) के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की
धारा २९५अ के अंतर्गत कोई अभियोग नहीं चलाया, अतएव सोनिया द्वारा मनोनीत सभी
राज्यपाल व उनके राज्य ईमामों व मस्जिदों को संरक्षण
देने के अपराधी है और सर्वोच्च न्यायालय ईमाम(मुअज्जिन) को वेतन
दिलवाने का अपराधी. (एआईआर, एस सी १९९३, २०८६).
सोनिया गैर-मुसलमान और गैर-ईसाइयों की हत्या कराने पर तुली हुई है.
मस्जिदों से ईमामों के
खुतबों को ध्यान पूर्वक सुनिए. ईमामों को कुरान के आदेशों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने
की भी आवश्यकता नहीं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद २७ का उल्लंघन कर आप के कर से
प्राप्त १० अरब रुपयों में से वेतन लेकर ईमाम बदले में
कुरान के सूरह अनफाल (८) की सभी मुसलमानों को सीधी शिक्षा देते हैं. (एआईआर, एससी, १९९३, प० २०८६). अजान
द्वारा ईमाम(मुअज्जिन) स्पष्ट रूप से गैर-मुसलमानों को चेतावनी
देते हैं कि मात्र अल्लाह की पूजा हो सकती है. खुतबे कुरान के सूरह अनफाल (८) में
स्पष्ट दिए गए हैं. अल्लाह निश्चय रूप से कहता हैं कि उसने मुसलमानों को जिहाद के
लिए पैदा किया है, युद्ध (जिहाद) में लूटा हुआ माल, जिसमे नारियां भी
शामिल हैं, अल्लाह और मुहम्मद का है. (कुरान ८:१, ४१ व ६९). जान लो जो
भी माल लूट कर लाओ, उसका ८०% लूटने वाले का है. शेष २०% अल्लाह, मुहम्मद, ईमाम, खलीफा, मौलवी, राहगीर, यतीम, फकीर, जरूरतमंद
आदि का है. (कुरआन ८:४१). लूट ही अल्लाह यानी सत्य है. लूट में विश्वास करने वाले
विश्वासी हैं. (कुरआन ८:२). विश्वासी लूट के लिए घर छोड़ देते हैं, (कुरआन ८:५). मै
गैर-मुसलमानों में भय पैदा करता हूँ. तुम अंतिम गैर-मुसलमान को मिटा दो. (कुरआन
८:७). गैर-मुसलमानों के गले काटो, उनके हर जोड़ पर वार करो और उनको असहाय कर
दो. क्यों कि वे अल्लाह के विरोधी हैं, (कुरआन ८:१२). जो भी अल्लाह और मुहम्मद के
आदेशों का उल्लंघन करता है, वह जान ले कि अल्लाह बदला लेने में अत्यंत
कठोर है. (कुरआन ८:१३). काफ़िर के लिए आग का दंड है. (कुरआन
८:१४). जब काफिरों से लड़ो तो पीठ न दिखाओ. (कुरआन ८:१५). तुमने
नहीं कत्ल किया, बल्कि अल्लाह ने कत्ल किया. (कुरआन ८:१७). मुसलमानों
को लड़ाई पर उभारो. (कुरआन ८:६५). तब तक बंधक न बनाओ, जब तक कि धरती पर खून
खराबा न कर लो. (कुरआन ८:६७). जो भी लूट का माल तुमने (मुसलमानों ने)
प्राप्त किया है, उसे परम पवित्र मान कर खाओ. (कुरआन ८:६९). सत्य
स्पष्ट है. काफिरों को आतंकित करने व समाप्त करने के लिए मुसलमानों में जोश पैदा
करते हुए अल्लाह कहता है, “जब तुम काफिरों से लड़ो, तो उनको इस
तरह परास्त करो कि आने वाले समय में उन्हें चेतावनी मिले. काफ़िर यह जान लें कि वे
बच नहीं सकते. (कुरआन ८:६०). कुरान वर्णित उपरोक्त आदेशों
से क्या आप को नहीं लगता कि भारत के बंटवारे व कश्मीर की मांग, हिंदू जाति संहार,
नारियों के बलात्कार आदि के लिए अल्लाह और उसका कुरान उत्तरदायी है, मुसलमान
नहीं?
दंड प्रक्रिया संहिता
की धारा १९६ के अधीन राज्य अजान व खुतबों को अपराध नहीं मानता. लेकिन अजान का
विरोध करना भारतीय दंड संहिता की धारा १५३अ व २९५अ के
अंतर्गत दंडनीय अपराध है. मेरे विरुद्ध उपरोक्त धाराओं के अधीन ५० अभियोग पंजीकृत हुए, जिनमे से ६ आज भी लम्बित हैं, यह अभियोग
मस्जिद, चर्च, ईसाइयत और इस्लाम, अजान, बाइबल, कुरान और भारतीय संविधान का विरोध
करने के कारण चल रहे हैं.
मस्जिदों से हमारे
वैदिक सनातन धर्म का और ईश्वर का, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन
सरकार द्वारा दिए गए संरक्षण में, अपमान होता है, मुहम्मद के
कार्टून बनाने पर ईशनिंदा के लिए मौत का फतवा देने वाले सरकारी
संरक्षण में अजान द्वारा हमारे ईश्वर का अपमान
क्यों करते हैं? ईश निंदा के अपराध में हम मुसलमानों को कत्ल क्यों न
करें?
हमसे
उपासना की ‘स्वतंत्रता’ का वादा किया गया है, ईमाम(मुअज्जिन) मस्जिदों से, "ला इलाहलिल्लाहू
मुहम्मद्दुर रसुल्ल्लाहू" क्यों चिल्लाते हैं? हम अल्लाह के
उपासना की दासता क्यों स्वीकार करें? ईश्वर का अपमान कराने
वाली सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं.
जजों ने मानवता के हत्यारों जेहोवा व अल्लाह को ईश्वर घोषित कर रखा है. कुरान व बाइबल को धर्मपुस्तक घोषित कर रखा है. (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४). इस्लाम के लिए आप काफ़िर हैं. इस्लाम है तो काफ़िर नही. हम आप के लिए लड़ रहें हैं और आप लोग अपने सर्वनाश की जड़ चर्चों, मस्जिदों और इस्लाम को बचाने के लिए हमें प्रताडित कर रहे हैं.
पन्थनिरपेक्ष सोनिया
वैदिक सनातन धर्म को मिटा रही है और आप की आर्यावर्त सरकार धर्म की स्थापना हेतु
भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) मिटाएगी. किसके साथ हैं आप?
देश की छाती पर सवार
सोनिया ने निम्नलिखित शपथ ली हुई है:-
“… मै यह भी प्रतिज्ञा
करती हूँ कि जब भी अवसर आएगा, मै खुले रूप में
पंथद्रोहियों से, फिर वे प्रोटेस्टैंट हों या उदारवादी, पोप के आदेश के अनुसार,
युद्ध करूंगी और विश्व से उनका सफाया करूंगी और इस मामले में मै न उनकी आयु का
विचार करूंगी, न लिंग का, न परिस्थिति का. मै उन्हें फांसी पर लटकाऊंगी, उन्हें
बर्बाद करूंगी, उबालूंगी, तलूंगी और (उनका) गला घोटूंगी| इन दुष्ट पंथ द्रोहियों
को जिन्दा गाडून्गी| उनकी स्त्रियों के पेट और गर्भाशय चीर कर उनके बच्चों के सिर
दीवार पर टकराऊँगी, जिससे इन अभिशप्त लोगों की जाति का समूलोच्छेद हो जाये| और जब
खुले रूप से ऐसा करना सम्भव न हो तो मै गुप्त रूप से विष के प्याले, गला घोटने की
रस्सी, कटार या सीसे की गोलियों का प्रयोग कर इन लोगों को नष्ट करूंगी| ऐसा करते
समय मै सम्बन्धित व्यक्ति या व्यक्तियों के पद, प्रतिष्ठा, अधिकार या निजी या
सार्वजनिक स्थिति का कोई विचार नहीं करूंगी| पोप, उसके एजेंट या जीसस में विश्वास
करने वाली बिरादरी के किसी वरिष्ठ का जब भी, जैसा भी निर्देश होगा, उसका मै पालन
करूंगी|”
जो लोग स्वयं अपनी
रक्षा नहीं कर सकते, वे उन लोगों की सहायता कर सकते हैं, जो उनके लिए लड़ रहे हैं.
अन्यथा वे बचेंगे नहीं.
मुसलमान आतंक नहीं मचा रहे बल्कि जिहाद कर रहे हैं. जिहाद का संवैधानिक, {भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१)} कानूनी (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६) और न्यायिक (एआईआर, कलकत्ता, १९८५, प१०४) अधिकार, समर्थन व संरक्षण मुसलमानों को सरकार दे रही है. इतना ही नहीं ईमाम मस्जिदों से काफिरों को, सरकार के संरक्षण में, भारतीय संविधान के अनुच्छेद २७ का उल्लंघन कर, वह भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से (एआईआर, एससी, १९९३, प० २०८६) काफिरों के कर से प्राप्त धन में से वेतन ले कर, प्रतिदिन १५ बार चेतावनी देता है कि केवल अल्लाह की पूजा हो सकती है. मुसलमानों को मस्जिदों में शिक्षा देता है कि काफिरों को कत्ल कर दो. अतएव यदि सोनिया के एजेंट इंडियन मुजाहिद्दीन बम विष्फोट कर रहे हैं तो इसकी अपराधी संविधान, कानून, न्यायपालिका और सोनिया है-मुसलमान नहीं.
भारतीय संविधान ने राज्यपालों, जजों व लोकसेवकों की पद, प्रभुता और पेट को वैदिक सनातन धर्म के समूल नाश से जोड़ दिया है. कांग्रेस ने भारतीय संविधान का संकलन कर जिन ईसाइयत और इस्लाम को इंडिया में रोका है, उन्होंने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया. लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए. कांग्रेस ने भारतीय संविधान का संकलन वैदिक सनातन धर्म और उसके अनुयायियों को मिटाने के लिए किया है. ईसा १० करोड़ से अधिक अमेरिकी लाल भारतीयों व उनकी मायासंस्कृतिको निगल गया. अब ईसा की भेंड़ सोनिया काले भारतीयों और उनकी वैदिक संस्कृति को निगल रही है. वैदिक सनातन धर्म की रक्षा के लिए ईसाइयत और इस्लाम का धरती से सफाया आवश्यक है.
प्रेसिडेंट, प्रधानमंत्री और राज्यपाल सोनिया द्वारा मनोनीत मातहत व उपकरण है. परभक्षी संविधान का अनुच्छेद २९(१) किसी नागरिक को जीने का अधिकार नहीं देता और ३९(ग) नागरिक को सम्पत्ति या पूँजी का अधिकार ही नहीं देता. भारतीय संविधान को कोई भ्रष्टाचारी व आतंकवादी नहीं मानता. जज व नागरिक दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं १९६ व १९७ के अधीन, सोनिया के मनोनीत, राज्यपालों द्वारा शासित हैं. अहिंसा, सांप्रदायिक एकता और शांति प्रक्रिया की आड़ में ईसाइयत व इस्लाम मिशन व जिहाद की हठधर्मिता के बल पर वैदिक संस्कृति को मिटा रहे हैं. वे हठधर्मी सिद्धांत हैं, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो." (बाइबल, लूका १९:२७) और "और तुम उनसे (काफिरों से) लड़ो यहाँ तक कि फितना (अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की उपासना) बाकी न रहे और दीन (मजहब) पूरा का पूरा (यानी सारी दुनियां में) अल्लाह के लिए हो जाये." (कुरान, सूरह अल अनफाल ८:३९). स्पष्टतः वैदिक सनातन धर्म मिटाना दोनों का घोषित कार्यक्रम है. सभी राज्यपाल व उनकी सरकार, वैदिक सनातन धर्म और आर्य जाति का, अपने संरक्षण में, भारतीय दंड संहिता की धारा २९५अ के अंतर्गत खूनी अल्लाह व उसके इस्लाम द्वारा किये गए अपराधों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन संरक्षण देकर, विनाश करा रही है.
चीन के युद्ध विशेषज्ञ सन चू ने
कहा है – शत्रु की रणनीति जानो. हम ईसाइयत और इस्लाम की रणनीति को नहीं जानते,
अतएव मानव जाति ही समाप्त हो जायेगी. क्यों कि मुसलमान गैर-मुसलमान को कत्ल करेगा (कुरान
८:३९) और ईसाई गैर-ईसाई को. (बाइबल, लूका
१९:२७). इस प्रकार जो भी ईसाइयत और इस्लाम, बाइबल और कुरान और भारतीय संविधान का समर्थक
है, मानवता का शत्रु है.
इंडिया में लोकतंत्र नहीं
सोनिया केलिए, सोनिया द्वारा चुनागया सोनियातंत्र है. सर्वविदित है कि प्रेसिडेंट
प्रतिभा का मनोनयन सोनिया ने किया. प्रधानमंत्री, सभी राज्यपाल व सभी कांग्रेस
शासित प्रदेशों के मुख्य मंत्री सोनिया द्वारा मनोनीत हैं.
यदि सोनिया को ही देश का
सुपर प्रधानमंत्री बनना था तो विक्टोरिया में क्या बुराई थी? एलिजाबेथ में क्या
बुराई है? क्यों बहाए हमारे पूर्वजों ने रक्त?
हम ईसाइयत और इस्लाम के
विरोधी हैं. यदि आप हमें सहयोग दें तो हम अभिनव भारत और आर्यावर्त के लोग इस्लाम व
उसकी मस्जिदें नहीं रहने देंगे. क्यों कि विवाद का मूल बिंदु है कि अपराध स्थल मस्जिद धरती पर क्यों रहें?
मस्जिद बचाने वाले अपराधी हैं. स्वयं मैकाले के कथनानुसार १८३५ ई० तक मैकाले को
पूरे इंडिया में एक भी भिखारी या चोर नहीं मिला क्यों कि तब वैदिक सनातन धर्म
आधारित राजतंत्र था. पढ़ें मेरी पुस्तक ‘अजान’. हमारे १२ अधिकारी मक्का, मालेगांव
आदि के विष्फोट में बंद हैं. मनुष्य
के पुत्र का मांस खाने वाली और लहू पीने वाली सोनिया (बाइबल, यूहन्ना ६:५३) द्वारा वे इसलिए
सताए जा रहे हैं कि हम जानना चाहते हैं कि नारियों की लूट व उनके बलात्कार को
निंदनीय न मानने वाला अल्लाह ईश्वर कैसे है? (कुरान ४:२४; २३:६; ३३:५० व ७०:३०).
मुहम्मद की अपनी ही पुत्रवधू जैनब के साथ मुहम्मद का निकाह कराने वाला अल्लाह
ईश्वर कैसे है? (कुरान, ३३:३७-३८). लुटेरा व हत्यारा अल्लाह ईश्वर कैसे है? मूर्ति भंजन कराने वाला
अल्लाह ईश्वर कैसे है? (कुरान, बनी इस्राएल १७:८१ व कुरान, सूरह अल-अम्बिया २१:५८). हत्या, लूट, बलात्कार,
धर्मान्तरण और राष्ट्रांतरण की संहिता कुरान धर्मपुस्तक कैसे है?
हमने बाबरी ढांचा गिराया
है. क्यों कि यदि ईसाइयत और इस्लाम धरती पर रहेंगे तो कोई मंदिर नहीं बच सकता. किसी
नारी की मर्यादा नहीं बच सकती.
इस्लाम
सदा सदा के लिए काफिरों के गले पर रखी हुई तलवार है. अजान गैर-मुसलमान मानव जाति
के आराध्य देवों का अपमान और भारतीय दंड संहिता की धाराओं १५३ व २९५ के अधीन
संज्ञेय गैर-जमानती अपराध है-जिसके बदले दण्डित करने के स्थान पर ईमामों को भारतीय
संविधान के अनुच्छेद २७ का उल्लंघन कर १० अरब रुपयों वार्षिक से अधिक ईमामों को
वेतन दिया जा रहा है. (एआईआर, एससी, १९९३, प० २०८६).
जब हमने बाबरी ढांचा गिराया
था तो मात्र कश्मीर में १०८ मंदिर तोड़े गए, जिनमे से ३८ की विधिवत प्राथमिकियां पंजीकृत
हैं. जिसका विवरण हमारी पुस्तक 'अजान' के १० वें संलग्नक में उपलब्ध है. इन्हें आप
हमारी वेब साईट http://www.aryavrt.com/azaan
पर निः शुल्क पढ़ सकते हैं.
बाबरी विध्वंस के ४९ अभियुक्त बने और १७ वर्षों तक लिब्रहान आयोग जाँच की नौटंकी करता
रहा. हमने १५ जनवरी २००१ को शपथपत्र दिया कि ढांचा हमने गिराया है, उसे चुरा लिया.
जनता का ८ करोड़ रुपया डकार गया. लेकिन हमारे मंदिरों को तोड़ने वाला कोई अभियुक्त नहीं
और न कोई जाँच आयोग. ४ मस्जिदों के विष्फोट के लिए हम भगवा आतंकवादी हैं! हम जानना
चाहते हैं कि १०८ मंदिर तोड्वाने वाली सोनिया सरकार कौन है?
हमने कुरान के विरुद्ध
सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका स० १५/१९९३ प्रस्तुत की थी, जो निरस्त कर दी
गई. मैंने पत्रक ‘मुसलमानों इंडिया छोड़ो’ और ‘ईश्वर अल्लाह कैसे बना?’ प्रकाशित
किया और बांटा था. जिनके आधार पर मेरे विरुद्ध थाना रूपनगर, दिल्ली से दो अभियोग
क्रमशः ७८/१९९३ व १३७/१९९३ चले थे, जिनमे मुझे ३ जुलाई, १९९७ को दोषमुक्त कर दिया
गया. बाइबल, कुरान और भारतीय संविधान का विरोध करने के कारण प्रेस परिषद में
अभियोग चला, जिसमें मै दिनांक २५-०२-२००२ को दोषमुक्त हुआ. अभी मेरे विरुद्ध
रूपनगर थाने से अभियोग ४४०/१९९६ व ४८४/१९९६ चल रहे हैं. मैंने कानपूर में पाकपिता
गाँधी की प्रतिमा तोड़वा कर हुतात्मा श्री नथूराम गोडसे की प्रतिमा लगवाई थी. वह
अभियोग १२७/१९९७ थाना रूपनगर, दिल्ली से चल रहा है. इसके अतिरिक्त थाना नरेला
दिल्ली से प्राथमिकी स० ४०६/२००३ व १६६/२००६ ईसाइयत और इस्लाम का विरोध करने के
कारण अभियोग चल रहा है. मैं अजान के विरोध के कारण चले अभियोग प्राथमिकी स०
११०/२००१ से दिनांक २६ फरवरी, २००५ को और आई एस आई एजेंट बुखारी को बंदी बनाये
जाने की मांग के कारण चले अभियोग १०/२००१ से दिनांक ०४-०२-२०१० को आरोप मुक्त हो
चुका हूँ.
हम मानव जाति को बचाना व
विदेशी बैंकों में जमा देश का धन वापस लाना चाहते हैं और सोनिया राज्यपालों के
माध्यम से आप को लूट रही व मिटा रही है. किसके साथ हैं आप?
अ.स.
+++
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/9421429.cms
गैर हिंदुओं से वोट का
अधिकार छीनने के सुझाव पर बवाल
30 Jul 2011, 1651 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम
नई दिल्ली।। अपने विवादास्पद
बयानों से चर्चा में रहने वाले नेता और पूर्व केंद्रीयमंत्री सुब्रमण्यम स्वामी
आजकल अपने एक लेख की वजह से विवाद में हैं। मुस्लिम और अन्य गैर हिंदुओं से वोट
देने का अधिकार छीन लेने की वकालत करने वाले इस लेख पर उनके खिलाफ कार्रवाई की
मांग की जा रही है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग मंगलवार को इस बात का फैसला करने
वाला है कि उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए।
हाल में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट के तीन दिन बाद मुंबई के एक अंग्रेजी
अखबार में छपे लेख में स्वामी ने सुझाया है कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर
देना चाहिए और यहां गैर हिंदुओं से वोट देने का अधिकार छीन लेना चाहिए। उन्होंने
कहा है कि मुस्लिमों या अन्या गैर हिंदू समुदाय के लोगों को वोट देने का अधिकार
तभी होना चाहिए जब वे गर्व से यह बात मानें कि उनके पूर्व हिंदू थे। इस्लामी
आतंकवाद से निपटने के तरीके सुझाते हुए स्वामी ने ये बातें कहीं।
16 जून को छपे स्वामी के इस लेख को लेकर तबी से बवाल शुरू हो
गया। 19 जून को अल्पसंख्यक आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए
इस लेख पर अपनी बैठक में चर्चा की। आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह के मुताबिक
इसमें कोई शक नहीं कि स्वामी का यह लेख बेहद भड़काने वाला और कानून के खिलाफ है।
वह कहते हैं कि उनके मन में कार्रवाई को लेकर भी कोई दुविधा नहीं है, लेकिन फिर बी फैसला आयोग की पूर्ण पीठ से ही होगा। पूर्ण पीठ की बैठक
मंगलवार को होने वाली है।
इस बीच मानवाधिकार संगठनों ने तो उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की ही है, हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में भी उनके
खिलाफ मुहिम शुरू हो चुकी है। गौरतलब है कि स्वामी हॉर्वर्ड में 60 के दशक में इकनॉमिक्स पढ़ा चुके हैं। इस लेख से आहत हॉर्वर्ड छात्रों ने
ऑनलाइन मुहिम शुरू करते हुए यूनिवर्सिटी से अपील की है कि स्वामी के साथ हर तरह के
संबंध खत्म कर लिए जाएं।
उपरोक्त लेख को आप जैसे चाहें प्रयोग कर सकते हैं. यहाँ तक कि रोहिणी, दिल्ली न्यायालय में अभियोग भी चला सकते हैं.| फोन; +९१ ९८६८३२४०२५