देशद्रोह को संरक्षणदेश द्रोही भारतीय संविधान को संरक्षण स्वयं मीडिया दे रही है. हम चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं कि हमने बाबरी ढांचा गिराया है. हम धरती पर एक भी मस्जिद नहीं रहने देंगे. असीमानंद जी के इकबालिया बयान पर मीडिया के लोग शक करके क्या संदेश देना चाहते हैं? यही न कि आप को अपने ईश्वर व नारियों के अपमान की, अपने सम्मान की, अपने वैदिक संस्कृति के विनाश की, अपने जीवन आदि की तनिक भी परवाह नहीं है. आप को ईसा की भेंड़ बनने में लज्जा नहीं. जो कुछ असीमानंद जी आज कह रहे हैं, उसे हमने साध्वी प्रज्ञा जी के बंदी बनते ही प्रेस विज्ञप्ति के द्वारा भेज दिया था. देखें http://www.aryavrt.com/Home/aryavrt-in-news मीडिया को हमारे राम राज्य से परहेज़ क्यों है? पाक पिता गाँधी ने ही हमसे राम राज्य का वादा किया था, हम सोनिया का रोम राज्य क्यों सहन करें? अमेरिकी, भारतीय और संयुक्त राष्ट्र संघ का सार्वभौमिक मानवाधिकार का घोषणापत्र भी हमे उपासना की आजादी का वचन देता है. हम अल्लाह के उपासना की दासता और ईसा का रोम राज्य क्यों स्वीकार करें? जज व नागरिक दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं १९६ व १९७ के अधीन राज्यपालों द्वारा शासित हैं. अहिंसा, सांप्रदायिक एकता और शांति प्रक्रिया की आड में ईसाइयत व इस्लाम मिशन व जिहाद की हठधर्मिता के बल पर वैदिक संस्कृति को मिटा रहे हैं. वे हठधर्मी सिद्धांत हैं, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो." (बाइबल, लूका १९:२७) और "और तुम उनसे (काफिरों से) लड़ो यहाँ तक कि फितना (अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की उपासना) बाकी न रहे और दीन (मजहब) पूरा का पूरा (यानी सारी दुनियां में) अल्लाह के लिए हो जाये." (सूरह अल अनफाल ८:३९). दोनों का घोषित कार्यक्रम है. यदि आप पलटवार में आर्यावर्त सरकार को सहयोग नहीं देंगे तो मानव जाति ही मिट जायेगी. जब संविधान ही लुटेरा हो तो जज क्या कर लेगा? संविधान का अनुच्छेद ३९(ग) व्यक्ति को सम्पत्ति का अधिकार ही नहीं देता. किसी गैर मुसलमान को जीने का अधिकार न मुसलमान देता है और न किसी उस व्यक्ति को जीने का अधिकार ईसा देता है, जो ईसा को अपना राजा नहीं मानता. फिर आजादी कैसे मिली यह पूछते ही या तो आप ईश निंदा में कत्ल हो जायेंगे या भारतीय दंड संहिता की धारा १५३ अथवा २९५ में जेल में होंगे. जज तो राज्यपाल का बंधुआ मजदूर है. अपराधी वह है, जिसे सोनिया का मातहत राज्यपाल अपराधी माने. ८०० करोड़ के भ्रष्टाचार के लिए पूर्व मुख्य मंत्री मधु कोड़ा जेल में हैं और ७८००० करोड़ के भ्रष्टाचारी आन्ध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री रेड्डी का बेटा जगनमोहन सोनिया को ललकार रहा है और सोनिया की बोलती बंद है! पूर्व राज्यपाल एन डी तिवारी ने विरोध किया और यौन शोषण के अपराध में नप गए. अब जज डी एन ए करवा रहे हैं. लेकिन बेटी से विवाह कराने वाले ईसा (बाइबल, १, कोरिन्थिंस ७:३६) और पुत्र वधू से निकाह करने वाले अल्लाह (कुरान, ३३:३७-३८) सोनिया और प्रतिभा के भगवान हैं. जेहोवाः नारी का बलात्कार उसके पुरुषों के आँखों के सामने कराता है. (बाइबल, याशयाह १३:१६) और अल्लाह लूटी हुई नारी का बलात्कार निंदनीय नहीं मानता. (कुरान, २३:६). वह भी जजों के संरक्षण में. (ए आई आर कलकत्ता, १९८५, प१०४). क्या तिवारी अल्लाह व जेहोवाः से बुरे हैं? सोनिया के देश पर आधिपत्य को स्वीकार करते ही आप ईसा की भेंड़ हैं. ईसा १० करोड़ लाल भारतीयों और उनकी माया संस्कृति को निगल गया. अब ईसा की भेंड़ सोनिया काले भारतीयों और वेदिक संस्कृति पर भिंडी है. संविधान के अनुच्छेद ३१ के संशोधन को मान्यता, समलैंगिक सम्बन्ध, सहजीवन, कन्याओं को पब में शराब पीने और नंगे नाचने का अधिकार, सगोत्रीय विवाह के कानून तो जजों ने ही पास किये हैं. जज ज्यादा उछल कूद करेंगे तो शमित मुख़र्जी व मेरी भांति तिहाड़ जेल चले जायेंगे. बचना हो तो सोनिया को जेल भेजने में हमें सहयोग दीजिए. दैनिक जागरण पहले हमें यह बता दे कि यह देश किसका है? अंग्रेजो की कोंग्रेस ने हमारा भारत चुराकर ईसाइयत व इस्लाम को सौंप दिया है. सोनिया ने राज्यपालों का मनोनयन स्वयं राज्यपालों व नागरिकों को भेंड़ बनाने के लिए किया है. राज्यपाल आप को उन ईसाइयत व इस्लाम मजहबों का सम्मान करने के लिए विवश कर रहे हैं, जो आप को काफ़िर व सैतान मानते हैं और आप की हत्या के लिए स्थापित किये गए हैं. राज्यपालों को इस बात के लिए लज्जा नहीं है कि उनके शासक सोनिया व हामिद अंसारी का मजहबी दायित्व ही स्वयं राज्यपालों की नारियों का बलात्कार, सम्पत्ति की लूट और हत्या राज्यपालों की आँखों के सामने कराना है. जजों, राज्यपालों और लोक सेवकों के पास कोई विकल्प नहीं है. या तो वे स्वयं अपनी मौत स्वीकार करें, अपनी नारियों का अपनी आखों के सामने बलात्कार कराएँ, शासकों सोनिया व हामिद की दासता स्वीकार करें व अपनी संस्कृति मिटायें अथवा नौकरी छोड़ दें. अल्लाह व मुहम्मद के कार्टून बनाने पर मौत का फतवा देने वाले अजान द्वारा हमारे ईश्वर का अपमान क्यों करते हैं? ईश निंदा के अपराध में हम मुसलमानों को कत्ल क्यों न करें? हमसे उपासना की आजादी का वादा किया गया है, ईमाम मस्जिदों से, "ला इलाहलिल्लाहू मुहम्मद्दुर रसुल्ल्लाहू" क्यों चिल्लाते हैं? हम अल्लाह के उपासना की दासता क्यों स्वीकार करें? दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ द्वारा हमसे शिकायत का भी अधिकार क्यों छीना गया है? जब हमने बाबरी ढांचा गिराया था तो मात्र कश्मीर में हमारे १०८ मंदिर तोड़े गए, जिनमे से ३८ की विधिवत प्राथमिकियां पंजीकृत हैं. जिसका विवरण हमारी पुस्तक 'अजान' के १० वें संलग्नक में उपलब्ध है. इन्हें आप हमारी वेब साईट http://www.aryavrt.com/azaan पर निः शुल्क पढ़ सकते हैं. बाबरी विध्वंस के ४९ अभियुक्त बने और १७ वर्षों तक लिब्रहान आयोग जाँच की नौटंकी करता रहा. हमने १५ जनवरी २००१ को शपथपत्र दिया कि ढांचा हमने गिराया है, उसे चुरा लिया. जनता का ८ करोड़ डकार गया. लेकिन हमारे मंदिरों को तोड़ने वाला कोई अभियुक्त नहीं और न कोई जाँच आयोग. आतंकवादी भगवा धारी हैं या सोनिया सरकार? हर मुसलमान व ईसाई खूनी है. सोनिया कैथोलिक ईसाई है. धर्मपरिवर्तन के लिए उकसाने वाले को कत्ल करने की बाइबल की आज्ञा है. (व्यवस्था विवरण, १३:६-११). व धर्मपरिवर्तन करने वाले को कत्ल करने की कुरान की आज्ञा है. (कुरान ४:८९). २०११ वर्ष पूर्व ईसाई नहीं थे. न १४३१ वर्ष पूर्व मुसलमान ही थे. अतएव धर्मत्यागी सोनिया व हामिद को उनके ही मजहब के अनुसार कत्ल करने का हमे भारतीय दंड संहिता की धारा १०२ से प्राप्त अधिकार है. क्यों कि बाइबल, लूका १९:२७ के ईसा के आदेश से सोनिया हमे कत्ल करेगी और कुरान २१:९८ के आदेश से हामिद अंसारी कत्ल करेगा. इनसे अपनी रक्षा का हमारे पास और कोई मार्ग नहीं है. हमारे पूर्वजों से भूल हुई है. हमारे पूर्वजों ने ईसाइयत और इस्लाम की हठधर्मी को ईसाइयों व मुसलमानों पर लागू कर उनको कत्ल नहीं किया. हम अपने पूर्वजों की गलती को सुधारना चाहते हैं. हमें आप के सहयोग की नितांत आवश्यकता है. आप से अनुरोध है कि बहुत हो चुका, असीमानंद के पीछे पड़ने के स्थान पर सोनिया से पूछिए, कि मात्र कश्मीर में १९९२ तोड़े गए १०८ मंदिरों की जांच कौन करेगा? १८ वर्ष पूरे हो चुके हैं. महाराज दिनेश की आज्ञा से मुसलमान व ईसाई सहित मानव मात्र की रक्षा के लिए प्रचारार्थ प्रकाशित. +++ http://in.jagran.yahoo.com/news/opinion/general/6_3_7173884.html जागरण वेबसाइट से साभार...देशद्रोह को संरक्षणJan 13, 01:02 am क्या आप यह विश्वास करेंगे कि मुंबई में 26/11 के हमले की साजिश आरएसएस और इजराइल की गुप्तचर सस्था मोसाद ने रची थी और इसमें शामिल पाकिस्तानियों को गुजरात के मुख्यमत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई के होटलों में ठहराया था। इस 'तथ्य' का रहस्योद्घाटन उर्दू की एक पुस्तक 'आरएसएस की साजिश 26/11' में किया गया है, जिसका लोकार्पण दिल्ली और मुंबई में काग्रेस महासचिव दिग्विजय सिह ने किया है। सभवत: इसका अगला लोकार्पण इस्लामाबाद में हो और वहा भी दिग्विजय सिह ही इस रस्म को अदा करें। इस पुस्तक में यह भी रहस्योद्घाटन किया गया है कि विश्व हिंदू परिषद के महासचिव प्रवीण तोगड़िया के पैसे से आरएसएस कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार को मारने के लिए हथियार खरीदे गए थे। पुस्तक में कुछ और भी रहस्योद्घाटन किए गए है, जैसे अमेरिका की शह पर सऊदी अरब के मौलाना बेदी ने 26/11 के जिहादियों को इकट्ठा किया था और नरेंद्र मोदी ने हमलावरों को मुंबई पहुंचाने और होटलों में रुकवाने में मदद की थी। यह पुस्तक एक उर्दू समाचार पत्र के सपादक ने सपादित की है। इसमें कुछ और भी सनसनीखेज रहस्योद्घाटन है जैसे कि इंडियन मुजाहिद्दीन और इस्लामिक सिक्योरिटी फोर्स जैसे आतकवादी सगठनों को तैयार कर सघ और विश्व हिंदू परिषद ने मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश रची है। असम में बम धमाकों के पीछे इंडियम मुजाहिद्दीन का हाथ नहीं था क्योंकि वह एक काल्पनिक सगठन है। बजरंग दल एक सदिग्ध सगठन है और इंडियन मुजाहिद्दीन बजरंग दल का ही कूट नाम है। यह भी कहा गया है कि सीबीआइ ने हिंदू आतकवाद पर परदा डालने की कोशिश की है और बाटला हाउस मुठभेड़ फर्जी थी। आरएसएस नौजवानों और औरतों को त्रिशूल बाट रहा है। बजरंग दल लोगों को बम बनाने और धमाके करने की ट्रेनिग दे रहा है तथा विश्व हिंदू परिषद ने महाराष्ट्र की कई मस्जिदों में धमाके किए हैं। पुस्तक में एक और बड़ा रहस्योद्घाटन यह भी किया गया है कि आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार ने पाकिस्तान की गुप्तचर इकाई आइएसआइ से तीन करोड़ रुपये लिए थे। इस पुस्तक के रचियता और ऐसे ही अनेक कुप्रचारकों के लिए ऐसी छूट शायद ही किसी देश में हो, जैसी भारत में है। इस पुस्तक को पढ़ने से तो ऐसा लगता है कि मुंबई पर 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकी आरएसएस की साजिश का हिस्सा थे। आश्चर्य की बात है कि पुस्तक के लेखक को जिन 'तथ्यों' की जानकारी बंद कमरों में हो गई, उनका कोई सुराग खुफिया एजेंसियों, पुलिस एव गृह मत्रालय को नहीं लग पाया और मीडिया भी उनसे पूरी तरह अनभिज्ञ रहा। यह जानकारी एक सपादक को कहा से प्राप्त हुई? इस पुस्तक के प्रकाशन से यदि कोई सबसे अधिक प्रसन्न होगा तो वह पाकिस्तान है क्योंकि उसने जो तरह-तरह के हस्तक खड़े किए हैं, उनमें से कुछ की पैठ कांग्रेस में भी है। कांग्रेस के प्रवक्ता के दिलोदिमाग पर ये कुत्सित विचार इस कदर छा गए है कि वह सारे सरकारी सबूतों को नकारते हुए देश के लिए सबसे बड़ा खतरा हिंदू आतकवादियों को बताते फिर रहे है। यही नहीं पूरी पार्टी और इसके युवराज भी इसी लाइन पर चल रहे है। काग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिह ने जब यह दिशा पकड़ी और हेमत करकरे की हत्या के सदर्भ में बयान जारी किए तब लगा था कि यह उनकी व्यक्तिगत सनक है, लेकिन अब तो पूरी पार्टी इसी सनक के सहारे जीवित रहना चाहती है। जिस एक पुस्तक में अंतरराष्ट्रीय मच पर भारत की छवि को खंडित किया गया, समाज में वैमनस्य, अविश्वास और भ्रम फैलाने की साजिश की गई तथा सेना, जाच एजेंसियों, पुलिस और न्यायालय की वैधानिकता पर गभीर सवाल खड़ा किया है, उसका विमोचन करके दिग्विजय सिंह क्या साबित करना चाहते है। यह पुस्तक देश के न्यायालय, पुलिस, खुफिया तंत्र, नागरिक समाज और बुद्धिजीवियों को कठघरे में खड़ा करती है। लगता है कि अनर्गल प्रचार और दुष्प्रचार से शत्रु देशों को मदद पहुंचाने और मित्र देशों से सबध बिगाड़ने वाले क्रियाकलाप 'देशभक्ति' के पर्याय बन गए हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो कांग्रेस आज भी तिब्बत की आजादी के लिए सम्मेलन करती मिलती और चीन के हमले के प्रति नित्य सचेत करना नहीं भूलती। इसमें घरवापसी के बाद कोई व्यक्ति यह कहने का साहस कैसे कर सकता है कि पता नहीं कश्मीर भारत का हिस्सा है भी या नहीं या फिर कश्मीर की 'स्वतत्रता' के लिए कोई चडीगढ़, दिल्ली या कोलकाता में प्लेटफार्म कैसे पाता? काग्रेस जिस वोट के लालच में ऐसी कुत्सित मानसिकता को प्रश्रय दे रही है, वह दिग्विजय सिह के इस सशोधित कथन मात्र से अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकती कि 26/11 के हमले को पाकिस्तानियों ने ही अंजाम दिया था। यदि उनका और काग्रेस का यह मानना है तो फिर ऐसी पुस्तक का एक नहीं, दो बार लोकर्पण का दायित्व उन्होंने क्यों निभाया, जिसमें अनर्गल प्रलाप के अलावा और कुछ नहीं है। या फिर काग्रेस ने मात्र यह कहकर कि यह दिग्विजय सिह का व्यक्तिगत मामला है अपना पिड क्यों छुड़ाना चाहा। घिनौनी और निराधार अभिव्यक्तियों वाली पुस्तक से संबद्ध होकर काग्रेस ने देश के स्वाभिमान पर चोट की है। यह हमारी चिंता का विषय नहीं है कि काग्रेस को इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा। चिता इस बात की है कि वोट की राजनीति के लिए देशद्रोह जैसी हरकतों को खुलेआम सरक्षण मिलने लगा है। [राजनाथ सिह 'सूर्य': लेखक राज्यसभा के पूर्व सदस्य है] हमारे राजाज्ञा को आप जैसे चाहें प्रकाशित एवं प्रचारित कर सकते हैं. |
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